निजी स्कूलों की लूट के खिलाफ अभिभावकों ने उठाई आवाज, डीएम को सौंपा ज्ञापन

कासगंज। निजी स्कूलों की मनमानी और आर्थिक शोषण किए जाने से आक्रोशित अभिभावकों ने जिलाधिकारी कासगंज को एक ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में अभिभावकों ने शहर के निजी स्कूलों पर गंभीर आरोप लगाए हैं और स्कूलों पर कार्यवाही करने की मांग की है।

दिनांक 11 अप्रैल 2025 को सामाजिक कार्यकर्ता हरवीर सिंह भारतीय के नेतृत्व में अभिभावकों द्वारा जिला मुख्यालय पर एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन करते हुए जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें निजी विद्यालयों द्वारा अभिभावकों से किताबें, यूनिफॉर्म, शुल्क व विभिन्न फंड्स के नाम पर किए जा रहे आर्थिक शोषण पर गंभीर आपत्ति दर्ज की गई। ज्ञापन में निजी स्कूलों को किताबों में केवल एनसीईआरटी या राज्य शिक्षा बोर्ड की पुस्तकों को अपनाने का निर्देश देने, स्कूल यूनिफॉर्म कम-से-कम तीन वर्षों तक न बदले जाने, अभिभावकों को किसी भी दुकान से यूनिफॉर्म व स्टेशनरी खरीदने की स्वतंत्रता दिए जाने, फीस संरचना को पारदर्शी और युक्तिसंगत बनाने के लिए सरकारी स्तर पर निगरानी तंत्र बनाए जाने, अनावश्यक फंड्स की वसूली पर तत्काल रोक लगाने और प्रत्येक फंड की उपयोगिता का स्पष्ट विवरण विद्यालय द्वारा सार्वजनिक किए जाने एवं सभी निजी विद्यालयों की फीस और सामग्री खरीद संबंधी नीतियों की समीक्षा करने के लिए एक जांच समिति के गठन की मांग की गई है।

ज्ञापन के दौरान हरवीर सिंह भारतीय ने कहा, शिक्षा सेवा है, व्यापार नहीं। जब किताबें, ड्रेस और फीस कमाई का ज़रिया बन जाएं, तो बच्चों का भविष्य दांव पर लग जाता है। उन्होंने बताया कि हमारा आंदोलन बच्चों के हक और अभिभावकों की आवाज़ है। हमने जिलाधिकारी से आग्रह किया है कि वे इस मामले पर त्वरित व सख्त कार्रवाई करें, ताकि शिक्षा को फिर से पवित्र बनाया जा सके। ज्ञापन देने आए अभिभावकों ने बताया कि आजकल निजी स्कूल शिक्षा के पवित्र क्षेत्र को व्यापार का अड्डा बना चुके हैं। अभिभावकों को किताबों और यूनिफॉर्म के नाम पर मनमाने दाम चुकाने को मजबूर किया जा रहा है। छात्रों को केवल विद्यालय द्वारा निर्धारित दुकान से ही सामग्री खरीदने का दबाव बनाया जाता है, जहां वही सामान बाजार मूल्य से कई गुना अधिक दाम पर बेचा जाता है। यूनिफॉर्म का रंग, डिज़ाइन या प्रतीक चिन्ह हर वर्ष बदलकर अभिभावकों को नए कपड़े खरीदने के लिए बाध्य किया जाता है, एक अभिभावक ने बताया कि इतना ही नहीं, फीस के नाम पर भी खुली लूट मची है। ट्यूशन फीस के अतिरिक्त कई प्रकार के अनिवार्य फंड, जैसे बिल्डिंग फंड, स्मार्ट क्लास फंड, डेवलपमेंट फंड, कंप्यूटर फंड, इवेंट फंड आदि के नाम पर अतिरिक्त धनराशि वसूली जाती है, जिसकी कोई पारदर्शिता नहीं होती। अभिभावकों से बिना किसी ठोस विवरण के हजारों रुपये एक साथ जमा करने को कहा जाता है, जो पूरी तरह अन्यायपूर्ण है। यह स्थिति न केवल नियमों के विरुद्ध है, बल्कि समाज में शिक्षा को अमीरों की वस्तु की ओर धकेल रही है। इस प्रकार की मनमानी व्यवस्था का शिकार सबसे अधिक वे अभिभावक हो रहे हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति सीमित है और जो बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए हर संभव त्याग करते हैं।

ज्ञापन देने वालों में विपिन बघेल, राजू सक्सैना, जितेंद्र यादव, योगेश यादव, जीतू यादव, ब्रजेश कुमार, अर्जुन कुमार, राहुल कुमार, अजमत खान, अंशुल कुमार, लवकुश कुमार, विशाल कुमार, प्रदीप यादव, राघवेंद्र यादव, सुल्तान सिंह, समीर वर्मा, रामलखन, ब्रजभूषण भारती, सोनू आजाद, मान सिंह, कैलाश यादव, जोनी कुमार, अनबार कैफ सहित अन्य लोग मौजूद रहे।