पटवारियों की हड़ताल का 13 वा दिन

दिलीप तोलानी

पटवारियों की 9 सूत्रीय मांगो को लेकर अनिश्चित कालीन हड़ताल 13वे दिन जारी है

*प्रदेश में हड़ताल पटवारियों की.
अपनी 9 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदेश के पटवारी हड़ताल पर हैं। पटवारियों की बहुत सी मांगे जायज है। और उनमें से कुछ तो ऐसी भी हैं जिन्हें, बहुत पहले ही पूरा हो जाना चाहिए। लेकिन अफसरशाही और लालफीताशाही के कारण उनके मांग पत्र, पता नहीं, सरकार के पास किन फाइलों के नीचे दबे हुए पडे रहे। आज उनकी हड़ताल का 13 वां दिन है। और अभी तक उनके हाथ में सिवाय आश्वासन के और कुछ नहीं आया है। आंदोलनरत पटवारियों की तरह हम भी चाहते हैं कि सरकार उनकी मांगों पर पूरी गंभीरता से विचार करे.. और उनमें से जो मांगें, तुरंत पूरी की जा सकती हैं। उन्हे तुरंत पूरी करें..बाकी पर एक समय सीमा के भीतर निराकरण करने का भरोसा आंदोलनरत पटवारियों को प्रदान करें। जिससे राजस्व अमले का रुका हुआ जमीनी कामकाज शुरू हो सके।
यह तो हुई पटवारियों की बात। अब इससे जुड़ी बात है। उनके आंदोलन के ऐन धान खरीदी के समय तकलीफ हुआ तो है किसानों की। तो प्रदेश में धान खरीदी और पटवारियों की हड़ताल लगभग एक साथ शुरू हुई है। पटवारियों ने धान खरीदी के पहले गिरदावली के नाम पर किसानों के रकबे में "गांसा और पखार" के साथ ही खेतों के चारों ओर की मेढों को जाय-जबरन नाम-जोख कर किसानों के रकबे में जो दंडी मारी है। उससे परेशान किसान आज हर गांव में मिल जाएगा। ऐसे किसानों की संख्या बिलासपुर जिले में भी सैकड़ों में है,जो रकबे में की गई नाजायज कटौती को ठीक करवाने के लिए तहसील ऑफिसों के चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन पटवारियों के हड़ताल पर जाने के कारण उनकी कोई सुनवाई नहीं हो पा रही है। जबकि धान खरीदी को शुरू हुए आज 25 दिन हो चुके हैं। हर गांव में कम से कम 10 15 ऐसे किसान जरूर हैं, ( कहीं-कहीं इनकी संख्या बहुत अधिक भी है)जिनके रकबे में गिरदावली के जरिए नाजायज कटौती कर उनका रकबा कम कर दिया गया है। अब पटवारियों द्वारा की गई इस गलती को पटवारी ही ठीक कर सकते हैं। जो आज 12 दिनों से खुद हड़ताल पर है।