नारी शक्ति को समर्पित कार्यक्रम ‘नई चेतना 4.0’ ब्लूमिंगडेल स्कूल परिसर में अत्यंत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया,

बदायूं में ब्लूमिगडॉल स्कूल में नारी शक्ति को समर्पित कार्यक्रम ?नई चेतना 4.0? ब्लूमिंगडेल स्कूल परिसर में अत्यंत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया, जिसमें छात्राओं ने नारी शक्ति को उजागर करते हुए अनेक कार्यक्रमों का प्रस्तुतिकरण किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्यातिथि वंदना राठौर, विद्यालय मैनेजिंग हेड श्वेता मेंहदीरत्ता एवं विद्यालय की मेधावी छात्रा संस्कृति गुप्ता ;डठठै लखनऊ) के कर कमलों द्वारा माँ सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण कर किया गया। छात्राओं ने जहाँ एक ओर स्वागतगीत से मुख्यातिथि, स्कूल प्रबंधन का स्वागत किया वहीं दूसरी ओर नारी शक्ति को समाहित किए काव्य पाठ, लघु नाटिका, भाषण आदि को प्रस्तुत कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया, इतना ही नहीं इस मौके पर छात्राओं ने अपनी जिज्ञासाओं एवं मन में चल रहे अनेक सवालों के समाधान हेतु आगन्तुक अतिथियों से प्रश्नोत्तरी भी की जिनका प्रेरणादायक उत्तर सुन सभी उपस्थित छात्राएं, अभिभावक एवं शिक्षिकाएं आदि नारी सशक्तिकरण एवं उत्थान को प्रेरित हुये। इस सम्पूर्ण कार्यक्रम का आयोजन ब्लूमिंगडेल स्कूल की छात्राओं द्वारा उनके शिक्षिकाओं के मार्गदर्शन में किया गया। इस मौके पर मुख्यातिथि ने समस्त छात्राओं एवं उपस्थित जनों को सम्बोधित करते हुए नारी जीवन की संघर्ष गाथा जीवन के उतार-चढ़ाव आदि के विषय में अवगत कराया एवं अनेक विख्यात महिलाओं के विषय में जानकारी दी। इस मौके पर स्कूल अध्यक्षा पम्मी मेंहदीरत्ता ने भी इस विषय पर अपने विचार अभिव्यक्त करते हुए प्रत्येक नारी के जीवन मूल्यों व संघर्षशील एवं समाज की दोहरी मानसिकता आदि के विषय में बताया और जीवन के संघर्षो का सामना करते हुए बिना किसी भय के निरंतर दायित्वों की पूर्ति करने का आहवान किया। इतना ही नहीं विद्यालय की मेधावी छात्रा रही संस्कृति गुप्ता ने भी इस मकाम तक पहुँचने के लिए अपनी संघर्षशील जीवनशैली एवं स्कूल की अविस्मरणीय यादों को साझा किया।

इस मौके पर कॉर्डिनेटर अंजला सोनी, मृणाल सक्सेना, सुषमा वर्मा एवं समस्त शिक्षिकाएं आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम के आयोजन में कक्षा 11 एवं कक्षा 12 की छात्राओं सांस्कृतिक क्लब हेड मरियम एवं क्लब की सदस्य छात्राओं सौम्या, तहूरा, उमाएजा, शिविका, सान्वी, कनिष्का एवं आदि के साथ-साथ सहयोगी शिक्षिकाओं का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा