श्रीगंगानगर में बनेगा एयरबेस, प्रोजेक्ट 'ओरेशन सिंदूर' के तहत होगा काम, लालगढ़ जाटान सहित 58 किसानों की याचिका हाईकोर्ट ने की रद्द

भारत-पाकिस्तान सीमा से सटे राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में प्रस्तावित फॉरवर्ड कंपोजिट एविएशन बेस (FCAB) के लिए भूमि अधिग्रहण को राजस्थान हाईकोर्ट ने हरी झंडी दे दी है। कोर्ट ने राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए 58 किसानों की याचिका खारिज कर दी। अब 'ऑपरेशन सिंदूर' नाम के इस महत्वपूर्ण रक्षा प्रोजेक्ट का निर्माण तेजी से आगे बढ़ सकेगा।

जस्टिस डॉ. नूपुर भाटी की एकल पीठ ने अपने फैसले में कहा- राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी परियोजनाओं में व्यक्तिगत हितों से ऊपर जनहित और देशहित को तरजीह दी जाती है। कोर्ट ने याचिका को महज तकनीकी आपत्तियों पर आधारित बताते हुए इसे रक्षा प्रोजेक्ट को रोकने की कोशिश करार दिया। पूरी अधिग्रहण प्रक्रिया को वैध ठहराते हुए याचिका और सभी अंतरिम आवेदनों को खारिज कर दिया गया।

क्या है 'ऑपरेशन सिंदूर' प्रोजेक्ट...?

यह प्रोजेक्ट रक्षा मंत्रालय की महत्वाकांक्षी योजना है। जिसके तहत श्रीगंगानगर जिले के सबसे बड़े गांव लालगढ़ जाटान और आस-पास के इलाके में पाकिस्तान सीमा के करीब एक अत्याधुनिक एयरबेस बनाया जाना है। रणनीतिक रूप से यह बेहद अहम है, क्योंकि यह सीमा पर वायुसेना की त्वरित कार्रवाई क्षमता को कई गुना बढ़ा देगा।

अधिग्रहण में चक 21 SDS की करीब 130.349 हेक्टेयर निजी भूमि और 2.476 हेक्टेयर सरकारी भूमि शामिल है। कुल 132.825 हेक्टेयर जमीन पर यह बेस बनेगा।

किसानों ने क्या तर्क दिए....?

याचिकाकर्ताओं के वकील ने कोर्ट में दावा किया कि भूमि अधिग्रहण कानून-2013 का पालन नहीं हुआ, सामाजिक प्रभाव आकलन (SIA) निष्पक्ष नहीं था, प्रभावित किसानों की जनसुनवाई ठीक से नहीं हुई, पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन (R&R) की कोई योजना नहीं बनी, जबकि कई की आजीविका प्रभावित हो रही है, मुआवजा बाजार दर और सेल डीड के आधार पर नहीं तय किया गया व किसान 14 नवंबर 2023 की प्रारंभिक अधिसूचना से लेकर 25 जुलाई 2025 के अवॉर्ड तक पूरी प्रक्रिया रद्द करने की मांग कर रहे थे।

सरकार ने क्या कहा...?

केंद्र और राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि यह प्रोजेक्ट राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी है और 'ऑपरेशन सिंदूर' से जुड़ा है। SIA प्राभु फाउंडेशन से कराया गया, 27 सितंबर 2022 को जनसुनवाई हुई जिसकी वीडियो और फोटो रिकॉर्ड मौजूद है।

संयुक्त सर्वे रिपोर्ट (16 अक्टूबर 2024) में साफ है कि किसी का घर या आवासीय मकान नहीं टूट रहा। कोई विस्थापन नहीं हो रहा, इसलिए R&R योजना बनाने की जरूरत नहीं थी। कुल 162 किसान प्रभावित माने गए, लेकिन किसी की आजीविका का मुख्य स्रोत नहीं छीना जा रहा। पुनर्वास पात्र परिवारों की संख्या शून्य है।

कोर्ट ने क्यों ठुकराई याचिका....?

कोर्ट ने रिकॉर्ड देखा और पाया कि जनसुनवाई की तारीख, अखबारी प्रकाशन, मिनट्स, फोटो सब मौजूद हैं। जॉइंट सर्वे, आपत्तियों का निस्तारण, स्पीकिंग ऑर्डर सब कानून के मुताबिक हैं। डिविजनल कमिश्नर को R&R प्रशासक बनाया गया था, जिनकी रिपोर्ट भी सही है।

कोर्ट की टिप्पणी....

राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जा सकता यह याचिका सिर्फ प्रोजेक्ट को पटरी से उतारने की कोशिश थी। जिसके बाद याचिका खारिज कर दी गई।