आबकारी व पुलिस प्रशासन को चांदी के जूते में परोसी मलाई ने बिगाड़ा हाजमा, श्रीकरणपुर शराब ठेकेदारों में टकराव की स्थिति बनी, वैध व अवैध के क्षेत्राधिकार को लेकर आमने-सामने ठेकेदार,

राज्य में आबकारी नीति ने कुत्ते के मुंह खून लगने की कहावत को चरितार्थ करते हुए क्षेत्र के शराब ठेकेदारों को एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई के मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया है। शराब ठेको के वार्षिक सत्यापन के आखिरी मुकाम पर शराब ठेकेदारों के बीच विवादास्पद स्थिति बनी हुई है जिससे शराब ठेकेदारों के गुटों के बीच भीषण टकराव के संकेतों से इनकार नहीं किया जा सकता। फल स्वरुप क्षेत्र में माहौल बिगड़ने के संकेतों के बाद भी आबकारी विभाग व पुलिस प्रशासन कबूतर की भांति आंखें मूंदकर सब कुछ देख रहे है। पूरे माजरे को भांपा जाए तो आबकारी विभाग की नीति के मककड़जाल में फंसे अधिकारी एवं ठेकेदारों के बीच बड़ी मछली के छोटी मछली को खाने वाली स्थिति पैदा कर दी है। आबकारी विभाग व पुलिस के अधिकारियों और ठेकेदारों के बीच मिलीभक्त का रिवाज बीते कई वर्षों से राज्य भर में चल रहा है। ठेकेदारों द्वारा चांदी के चमचों में खिलाई गई मलाई से मदमस्त होकर अधिकारियों ने आबकारी नीति को खुट्टी पर टांग कर निर्धारित ठेको के बजाय ठेकेदारों को क्षेत्रधिकार के तहत शराब की अवैध ब्रांचे बांट दी जिससे ठेकेदारों को वैध दुकानों की आड़ में अवैध दुकाने खोलने की जद्दों जहेद के चलते अनेकों अवैध दुकाने चला कर भी घाटा होने की दहाड़ मार रहे हैं। शराब दुकानों के साथ-साथ बड़ी मात्रा में खोली गई इन अवैध दुकानों से हाल फिलहाल आबकारी विभाग व पुलिस प्रशासन ने क्षेत्र का माहौल बिगाड़ने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी वहीं शराब ठेकेदारों द्वारा शराब के निर्धारित मूल्य से कहीं अधिक मूल्य में शराब बेचकर शराब प्रेमियों की जेबों पर सीधा डाका डालने का काम किया जा रहा है। दूसरी तरफ शराब ठेकेदार राज्य सरकार द्वारा निर्धारित रात 8:00 बजे तक शराब बेचने के कानून को ठेंगा दिखाते हुए देर रात 11:00 बजे के बाद तक शराब की बिक्री व शराब परोसने का गोरख धंधा कायम किये हुये है जो आबकारी व पुलिस के अधिकारियों के साथ ठेकेदारों की चोली दामन वाली मिलीभगत को उजागर करती है। इसी मिलीभगत के चलते हाल ही में शराब की दुकानों के लिये आबकारी आयुक्त शिवप्रसाद नकाते द्वारा जारी किये गये निर्दशों को भी ठेकेदारों द्वारा पलिता लगाया जा रहा है। कमोबस यह स्थिति श्रीगंगानगर जिले के श्रीकरणपुर की ही नहीं बल्कि पूरे राजस्थान प्रदेश की हो रखी है।

श्रीकरणपुर की स्थिति तो इतनी भयंकर हो चुकी है कि कभी भी ठेकेदारों का आपस में टकराव हो सकता है जिससे क्षेत्र में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति बिगड सकती है।