Chandauli News:"पौधारोपण के पुरोधा की अनदेखी: चकिया कार्यक्रम में राज्यपाल के सामने भी नहीं लिया वृक्ष बंधु का नाम",

संवाददाता कार्तिकेय पाण्डेय

चकिया।गायत्री परिवार द्वारा आयोजित कार्यक्रम में असम के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य का आगमन नगर में एक विशेष अवसर माना जा रहा था। इस दौरान पं० श्रीराम शर्मा के मुख्य द्वार का उद्घाटन किया गया और माल्यार्पण एवं स्वागत-सत्कार का क्रम भी चला।कार्यक्रम के मंच से कई नामों का संबोधन हुआ, यहां तक कि कुछ ऐसे लोगों का भी नाम लिया गया जिनका इस आयोजन से कोई सीधा संबंध नहीं था।

लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि जनपद के ?वृक्ष बंधु? और स्वीप आइकॉन डॉ. परशुराम सिंह का नाम न तो राज्यपाल के स्वागत संबोधन में लिया गया, न ही उन्हें पौधारोपण कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया।

*लाखों पौधे रोपने के बाद भी उपेक्षा*
डॉ. परशुराम सिंह वह व्यक्ति हैं, जिन्होंने जनपद में अब तक लाखों पौधों का रोपण और संरक्षण किया है। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उनके प्रयासों को स्थानीय स्तर से लेकर राज्य स्तर तक सराहा गया है। इसके बावजूद गायत्री परिवार, स्थानीय प्रशासन और भाजपा के पदाधिकारियों द्वारा उनके योगदान को न तो मंच से मान्यता दी गई और न ही सम्मानित करने की जरूरत समझी गई।

*स्थानीय लोगों में नाराज़गी*
इस उपेक्षा को लेकर स्थानीय पर्यावरण प्रेमियों और नागरिकों में नाराज़गी देखी गई। लोगों का कहना है कि जो व्यक्ति अपनी मेहनत और सेवा से पूरे जनपद को हरियाली दे रहा है, उसका नाम लेना तो दूर, उसे बुलाना भी जरूरी नहीं समझा गया?यह दुर्भाग्यपूर्ण है।"

*सम्मान के बजाय मौन*
राज्यपाल जैसे उच्च पदस्थ अतिथि की मौजूदगी में अगर ऐसे लोगों को मंच पर स्थान और सम्मान नहीं मिलेगा, तो यह संदेश जाएगा कि समाजसेवा और पर्यावरण संरक्षण में योगदान करने वालों की मेहनत राजनीति और रसूख के आगे गौण हो जाती है।