क्या राजस्व विभाग मे दलालों का कब्जा, मंगलवार को गायब रहते है अधिकारी

बैकुण्ठपुर। जिला मुख्यालय के राजस्व कार्यालय/न्यायालयों में खास तौर से तहसील न्यायालय में दलालों का कब्जा सा है इन कार्यालयों में लोगों को यह नहीं पता चलता कि कौन कार्यालय का कर्मचारी है और कौन नहीं मजेदार बात तो यह है कि लोगों को तो छोड़ो कार्यालय में काम कर रहे अन्य कर्मियों को भी नहीं पता कि मेरे साथ काम करने वाला कर्मी कार्यालय का कर्मी है या नहीं इन कार्यालयों में न्यायालयों में काम कर रहे शासकीय कर्मियों को ही जब पता नहीं कि उनके साथ काम कौन कर रहा सहकर्मी कर्मचारी है या नहीं तो आम जनता को कैसे पता चल पाएगा कि वह जिस व्यक्ति से मैं बात कर रहा हूं जिससे निवेदन कर रहा हूं जिसे अपना प्रकरण दे रहा हूं वह कौन है इस तरह के व्यक्तियों की कर्मियों की जानकारी केवल और केवल अधिकारी को ही होता है कौन सा व्यक्ति शासकीय कर्मी है या नहीं उसका मतलब साफ है कि अधिकारी की सहमति से ही इस तरह के फर्जी लोग इन कार्यालयों में न्यायालयों में बैठकर अपनी दुकानदारी चला रहे हैं इस तरह के कर्मचारियों की साहब के अलावा यदि किसी को पता होता है तो वह राजस्व विभाग के दलालों का जिन्हें सब पता होता है कि कौन राजस्व कार्यालय में फर्जी व्यक्ति है जिससे मिलकर अपना निकाल लेते हैं इस तरह के लोग कार्यालयीन समय में किसी न किसी व्यक्ति को पकड़े इस तरह के कार्यालयों में फाइल लिए दिख जाएंगे इस तरह पर लोगों पर कार्यवाही करने हेतु कलेक्टर कोरिया, मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री कार्यालय मे शिकायत करने की तैयारी कर रहे है जिसमे ऐसे फर्जी व दलालों पर कार्यवाही की जाऐ। लेकिन क्या ऐसा हो पाऐगा जब खुद अधिकारी अपना रिस्तेदार बताकर बिचौलिये को अपने सांथ बैठाते है और उन्हे सारी जानकारी रहती है, शासकीय जानकारी गोपनिय होनें के बाद भी कार्यालय से बाहर आ रही है और पैसे का खेल चल रहा है। सुत्रों की माने तो राजस्व विभाग मे दलालों को अधिकारियों के सांथ पटवारियों का भी खुला समर्थन प्राप्त है। वह सभी जानकारी देकर अपना पिछे रहते है और दलाल को आगे कर काम करा रहे है। अधिकारियों के कार्यालय मे नही रहनें से ग्रामिणजन सुबह 11 बजे से 05 बजे तक कार्यालय के बाहर बैठकर इंतजार करते है। बैकुण्ठपुर अनुविभागीय कार्यालय राजस्व मे इनदिनों प्रकरणों मे देरी देखी जा रही है, एक मामले को तीन माह बीत जानें के बाद भी अबतक निराकरण नही किया गया है, पक्षकार को लगातार आजकल आजकल करके घुमाया जा रहा है, नकल के लिए एक वर्ष का लंबा इंतजार करना पडा था तब जा कर नकल प्राप्त हुआ, अब मामले मे लेटलतिफ किया जा रहा है। आवेदक लगातार न्याय की गुहार लगा रहा है लेकिन उसे न्याय नही मिल रहा है।