थानों में लौट आई बल्लम की परंपरा 

कानपुर (विवेक शुक्ला).तकनीकि और आधुनिकता के मामले में भले ही पुलिस अब पीछे न हो लेकिन थानों में भारतीय शस्त्र बल्लम की परंपरा लौट आई है । कमिश्नरेट पुलिस के ज्यादा थानों में एक बार फिर से बल्लम के इस्तेमाल का चलन दिखाई पड़ने लगा है । ज्यादातर थानों के प्रवेशव्दार पर मुस्तैद सुरक्षाकर्मी के हाथों में आधुनिक आग्नेय शस्त्र नहीं बल्कि पारंपरिक भारतीय शस्त्र बल्लम नजर आयेगा। काफी समय बाद थानों में पहने पर तैनात सुरक्षा जवान बल्लम के साथ ड्यूटी कर रहे हैं । पहरे पर तैनात सुरक्षा जवानों के हाथों में इंसास जैसे अत्याधुनिक शस्त्र न होकर बल्लम जैसा भारतीय पारंपरिक शस्त्र रहता है जबकि इसके पहले थानों में पहरे पर तैनात होने वाले जवानों को थ्री नॉट थ्री रायफल मुहैया कराई जाती थी थ्री नॉट थ्री राइफल बंद हो जाने के बाद इस हफ्ते के रिप्लेसमेंट में मॉडर्न वेपन थानों के पहरेदारो को दिए गए थे। इंसास जैसे आधुनिक असलहो के साथ थानों पर पहरेदारी करते सुरक्षा जवान दिखाई पड़ते थे, जोगी पुलिस के सिपाही होते थे लेकिन वर्तमान में स्थिति इसके उलट है। बल्लम का चलन लौटने का कारण क्या है ? इस बारे में एसीपी त्रिपुरारी कहते हैं कि पहले थानों की पहरेदारी में पुलिस के सिपाहियों की तैनाती की जाती थी जबकि अब होमगार्ड पहरेदारी में लगाये जाने लगे है । इस समय होमगार्ड का वेतन भी लगभग पुलिस के सिपाही के बराबर हो गया है । चूंकि होमगार्ड के सभी जवानों को आधुनिक असलहों को चलाने का प्रशिक्षण नहीं प्राप्त है , लिहाजा उन्हें थानों की पहरेदारी में भारतीय पारंपरिक शस्त्र बल्लम मुहैया कराया गया है।