जान से खेलने वाली पैथोलॉजी को स्पष्टीकरण के खेल से बचाया जा रहा है 25 मई 2021 को पटना DM ने जिस पैथोलॉजी के खिलाफ 3 दिन में कार्रवाई का आदेश दिया वह 5 माह बाद भी नहीं हो सका है।

पटना ,जान से खेलने वाली पैथोलॉजी को स्पष्टीकरण के खेल से बचाया जा रहा है

25 मई 2021 को पटना DM ने जिस पैथोलॉजी के खिलाफ 3 दिन में कार्रवाई का आदेश दिया वह 5 माह बाद भी नहीं हो सका है। DM के आदेश के बाद भी सिविल सर्जन ने संबंधित पैथोलॉजी को बचाने के लिए स्पष्टीकरण मांग लिया। जबकि प्रशासन की जांच में लैब की मनमानी साबित हुई थी। अब पटना एयरपोर्ट पर फर्जी जांच रिपोर्ट के खुलासे में फिर उसी लैब की भूमिका सामने आई तो स्पष्टीकरण से बचाने का खेल चालू हो गया है।

DM के आदेश को भी किया अनसुना

25 मई 2021 को DM ने सिविल सर्जन को जारी आदेश में कहा था कि पटना में कई प्राइवेट लैब में कोरोना की जांच हो रही है। सैंपल लेने के साथ कोविड पोर्टल पर इंट्री करना होता है। इसी तरह से जांच के बाद रिपोर्ट तत्काल बिहार कोविड पोर्टल पर अपलोड करना होता है। लेकिन प्राइवेट लैब इस प्रोटाेकॉल का पालन नहीं कर रहे हैं। बार बार निर्देश देने और स्पष्टीकरण मांगने के बाद भी लैब इस नियम का पालन नहीं कर रहे हैं। लैब द्वारा पॉजिटिव मामलों को छिपाया जा रहा है। 25 मई को आदेश जारी होने तक सरल लैब के पास 15544, लाल पैथ के पास 1878 और सुरक्षा डायग्नोस्टिक के पास 1333 रिपोर्ट पेंडिंग थी। DM के आदेश में साफ कहा गया था कि इन जांच लैबों से पूछे गए स्पष्टीकरण और इनके द्वारा दिए गए जवाब को भेजते हुए निर्देश दिया जाता है कि 3 दिनों के अंदर इनके खिलाफ कठोर कार्रवाई करते हुए अधोहस्ताक्षरी को सूचित करें।

DM के आदेश पर कार्रवाई के बजाए मांगा स्पष्टीकरण

25 मई को DM के बादेश के 5 दिन बाद 30 मई को सिविल सर्जन डॉ विभा कुमारी सिंह ने कार्रवाई करने के बजाए सरल पैथ लैब के निदेशक से स्पष्टीकरण मांग लिया। सिविल सर्जन ने पत्र में लिखा कि संस्थान ने कोविड 19 जांच का डेटा समय से पोर्टल पर अपलोड नहीं किया। इससे कोरोन के मरीजों की कांट्रैक्ट ट्रेसिंग में समस्या हुई। संक्रमित मरीजों की जानकारी के अभाव में संक्रमण की वृद्धि से इनकार नहीं किया जा सकता है। इसके लिए सरल लैब को प्रथम दृष्टया जिम्मेदार भी बताया गया। यह भी कहा गया कि समय से डेटा अपलोड नहीं किए जाने से मृत संक्रमितों को सरकार की तरफ से मिलने वाली अनुदान राशि भी नहीं मिल पाई। इसके लिए 24 घंटे में स्प्ष्टीकरण मांगा गया था और निबंधन रद्द करने के साथ आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत कार्रवाई की बात कही गई थी।

गंभीर आरोप के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई

DM ने सरल पैथ के साथ अन्य पैथोलॉजी पर कोविड प्रोटोकॉल तोड़ने का गंभीर मामला पाया इसके बाद भी ऐसी कार्रवाई नहीं हुई जिससे लैब भविष्य में कोई गड़बड़ी करें, अब पटना एयरपोर्ट पर फर्जी रिपोर्ट मामले में सरल पैथ का नाम फिर सामने आ गया है। सिविल सर्जन की तरफ से कार्रवाई की गई होता तो शायद लैब दोबारा ऐसा नहीं कर पाते। 29 सितंबर को डीएम पटना डॉ चंद्रशेखर सिंह के आदेश पर कराए गए जांच में राजाबाजार स्थित प्लाज्मा डायग्नोस्टिक का बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ। यह लैब हवाई यात्रा करने वालों को कोरोना की फर्जी निगेटिव जांच रिपोर्ट देता था। छापेमारी में जिन 4 लैब की रिपोर्ट और पैसे की रसीद पाई गई उसमें सरल पैथ लैब भी शामिल है जिसपर कार्रवाई के लिए 25 मई को ही डीएम ने आदेश जारी किया गया था। सरल पैथ लैब के साथ जेनरल डायग्नोस्टिक इंटरनेशनल, हिंद लैब डायग्नोस्टिक सेंटर शामिल रहे। सिविल सर्जन कार्यालय से फिर सरल पैथ लैब के साथ अन्य लैब से स्पष्टीकरण मांगा गया है।

सिविल सर्जन ने कहा लैब बंद कराना आसान नहीं

कोरोना काल में मनमानी कर कोरोना का संक्रमण फैलाने वाले लैब पर कार्रवाई को लेकर सवाल पर सिविल सर्जन डॉ विभा कुमारी ने कहा कि डीएम का जो आदेश आया उसका अनुपालन किया गया है। उनका कहना है कि लैब को बंद कराना इतना आसान नहीं है। कोरोना काल में मनमानी करने वाली लैब का फर्जी जांच रिपोर्ट में नाम आने के एक सप्ताह बाद भी कार्रवाई नहीं होने के सवाल पर सिविल सर्जन ने कहा कि पैथ लैब से स्पष्टीकरण मांगा गया है।