आग भड़काकर राजनितिक रोटियां सेकने लगे तथाकथिक दलित नेता , पानी की गाड़ी को लेकर हुआ था मामूली विवाद

चौमुहां । जनपद के गांव तरौली शुमाली में 15 सितंबर को पानी की गाड़ी के चलते हुआ मामूली विवाद अब राजनीतिक रंग लेता हुआ नजर आ रहा है, मामूली कहासुनी और झगड़े को उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के चलते राजनीतिक पार्टियों और विशेष समुदाय के संगठनों ने दलित बनाम दबंग का नाम दे दिया है । दरअसल पूरे मामले को परत दर परत देखे तो 15 सितंबर की सुबह आरो के पानी की गाड़ी मुख्य रास्ते पर खड़ी थी जिससे जाटव समाज के कुछ लोग पानी ले रहे थे उसी समय ठाकुर समाज का एक व्यक्ति खेत पर जाने के लिए अपनी बुग्गी लेकर वहां पहुंचा, रास्ता बंद देख उन्होंने गाड़ी को हठाने के लिए कहा जिस पर जाटव समाज के लोगों ने अनसुनी कर दी। दोबारा से गाड़ी हटाने के लिए कहने पर जाटव समाज और ठाकुर समाज के व्यक्तियों के बीच कहासुनी शुरू हो गई, कहासुनी के दौरान जाटव समाज के लोगों ने लाठी-डंडे और तेज धारदार कुल्हाड़ी से ठाकुर समाज के लोगों पर हमला बोल दिया, जिसमें ठाकुर समाज के करीब 70 वर्षीय बुजुर्ग उदयसिंह उर्फ अद्धा और एदल को गंभीर चोट आई, जिन्हें आनन-फानन में जिला अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती करवाया गया और अब हालत को गंभीर देखते हुए आगरा रेफर कर दिया गया है। �वही जाटव समाज के एक व्यक्ति के हाथ में चोट लगी दोनों पक्षों का झगड़ा छाता थाने में पहुंचा जहां दोनों तरफ से मामला दर्ज कर लिया गया। झगड़े के दूसरे दिन ठाकुर समाज के कुछ लोग जाटव समाज के लोगों को समझाने बुझाने के लिए उनके मोहल्ले में गए हुए थे तभी जाटव समाज की महिलाओं ने गाली गलौज करते हुए सभी पर ईंट पत्थरों से हमला कर दिया, इस बार भी ठाकुर समाज के लोगों ने किसी भी महिला और बच्चे के साथ कोई भी मारपीट नहीं की, उसके बावजूद भी जाटव समाज की महिलाएं अपने समाज के लोगों के साथ छाता थाने पहुंच गई, जहां उन्होंने ठाकुर समाज के सैकड़ों लोगों पर घर में घुसकर मारपीट करने, जान से मारने की धमकी देने, तोड़फोड़ करने जैसे गंभीर आरोप लगाए जिनके आरोपों को सही मानते हुए पुलिस ने लगभग 27 व्यक्तियों के नाम नामजद और कई दर्जन अज्ञात लोगों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के साथ-साथ हरिजन एक्ट लगाते हुए मामला दर्ज कर लिया। इस बार जाटव समाज की महिलाओं ने दर्जनों ऐसे नाबालिक बच्चों के नाम शिकायत में शामिल करवाए हैं, जिनका झगड़े से कोई संबंध नहीं था और यह धमकी भी दी है कि हरिजन एक्ट के चलते वह उन नाबालिक बच्चों की जिंदगी खराब कर देंगी। दूसरी बार मामला दर्ज होने के बाद अब हालात यह है कि दलित समाज से जुड़े तमाम संगठनों ने अब अपनी राजनीतिक रोटियां सेकना शुरू कर दिया है और गांव में भारी पुलिस बल तैनाती के चलते हैं सन्नाटा पसरा हुआ है।। इस पूरे झगड़े में हैं पीड़ित होने के बाद भी ठाकुर समाज के लोगों को आरोपी बनाकर पेश किया जा रहा है।