सवा सेर शीशा पिने वाले सन्त सुरमाल व गुरु गोविंद की वंशज को जौहार उगलवाना गलत परम्परा -काग्रेस

काग्रेस के जनजाति वक्ताओं ने कहा टीएसपी क्षेत्र में बीटीपी की गतिविधियों पर लगे अंकुश

डूंगरपुर। टीएसपी क्षेत्र में बिटीपी की गतिविधियों पर उपजे विवाद को लेकर रोजाना राष्ट्रीय पार्टियो सहित स्थानीय स्तर पर विरोध प्रदर्शन तेज होता जा रहा है जिसके चलते शनिवार को जिला काग्रेस कार्यालय में जिले के काग्रेस जनजाति प्रतिनिधियों ने कोरोना संकट को ध्यान में रखते हुए सीमित संख्या में बैठक का आयोजन कर बिटीपी के खिलाफ आक्रोश व्यक्त कर जिला प्रशासन से मांग करि है कि बिटीपी की गतिविधियों को जिले में पनपने से रोका जावे ओर वागड की भोली-भाली जनता व युवा अग्रेजो के सामने सवा सेर शीशा पिने वाले सन्त सुरमाल दास व गुरु गोविंद की वंशज है जिन्हें जबरन जोहार शब्द का पाठ पढ़ाना ओर इनके मुह से जोहार उगलवाना गलत परम्परा को बढ़ावा देना है ऐसे में यहां की भोली जनता का भविष्य खतरे में है जिसे बचाया स्थानीय जनप्रतिनिधियों व प्रशासन का सामुहिक दायित्व है।
बैठक में सभी वक्ताओं ने सामूहिक तोर पर कहा की वागड़ क्षेत्र में हाल ही राजनैतिक दल के रूप में पैदा हुई भारतीय ट्रायबल पार्टी धर्म-जाति और समाज के नाम पर जनजाति संस्कृति से खिलवाड़ करने, जनजाति समाज के लोगों, युवाओं को भ्रमित करने का काम कर रही है। झारखंड प्रदेश की विचारधारा वाला शब्द जय जौहार अभिवादन शब्द वागड की परंपरा नही है जिसे जबरन थोंपा जा रहा है। हाल ही में भी बीटीपी के कुछ लोगों ने मंदिरो पर धर्म पताकाएं हटाकर पूजारियों को धमकाने का काम किया है जिससे जनजाति वर्ग की धार्मिंक भावनाओं को आगात पहुचा है।
जनजाति समाज के वक्ताओं ने कहा कि वागड़ क्षेत्र के महान संत सुरमालदास, गोविंद गुरू और राणा पूंजा भील का अनुयायी रहा है। हाल के चार-पांच वर्षो में यकायक जय जौहार के नारे परवान पर चढ़ने लगे जिसके माध्यम से जनजाति युवाओं को गुमराह किया गया और मूल संस्कृति से दूर किया जा रहा है। समाज के नाम पर राजनीति करना और संस्कृति को छिन्न-भिन्न करना भविष्य के लिए उचित नहीं है। वक्ताओं ने कहा कि बीटीपी समाज में फूट डालो और राज करो की नीति पर काम कर रही है, लेकिन अब जनजाति समाज जाग गया है। दबाव बनाकर संस्कृति को बदलने का षडयंत्र कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। जनजाति समाज को वास्तविक दिशा दिखाने का श्रेय संत सुरमालदास महाराज और गोविंद गुरू को जाता है। वागड़-मेवाड़, संतरामपुर और सांबरकाठा,अरवली, दाहोद आदि क्षेत्र में दोनों ही संत-महापुरूषों ने आदिवासी समाज में जागृति लाने का काम किया है। संत सुरमालदास महाराज व गोविंद गुरु ने अंग्रेजी हुकूमत के प्रति अंग्रेजों से लड़े और जनजाति समाजजनों को धर्म के मार्ग पर लाएं ओर संतो ने समाज को धर्म और भक्ति का मार्ग दिखाया, शिक्षा की अलख जगाई। आज दक्षिणी राजस्थान के वागड़ क्षेत्र के जनजाति वर्ग के लोग उत्थान की दिशा में आगे बढ़ रहे है जो बिटीपी पचा नही पा रही और झारखंड की विचारधारा के माध्यम से गरीब को ओर गरीब बनाने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। वक्ताओं ने कहा कि झारखंड में आज भी असाक्षरता, पिछड़ापन दंश बना हुआ है, वहां गांवो का विकास कही नजर नही आता है। जबकि वागड़ क्षेत्र के जनजाति समाज के लोग हर दृष्टि से आगे बढ़ रहे है।
उदाहरण के तौर पर रास्तापाल की वीरबाला कालीबाई और नानाभाई खांट ने आदिवासी समाज में शिक्षा की अलख जगाई जिनकी प्रेरणा से जनजाति समाज शिक्षा से जुडक़र सामाजिक उत्थान का उदाहरण पेश कर रहा है। बीटीपी के लोग खुद के राजनीति धरातल को बचाने के लिए समाज को गुमराह कर रहे है, जबकि हमारी मूल संस्कृति जय गुरू महाराज, जय सीताराम, राम-राम की है। झारखंड विचारधारा का संबोधन शब्द जय जौहार जनजाति वर्ग पर थोंपा जा रहा है, इसका हम कड़ा विरोध करते है। वक्ताओं ने कहा कि समाज का विघटन किए जाने का षडयंत्र सफल नहीं होने दिया जाएगा।
बैठक में पूर्व विधायक व पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष जनजाति काग्रेस पूँजीलाल परमार,प्रधान लक्ष्मण कोटेड,सरपंच संघ जिलाध्यक्ष सुरमाल परमार,निवर्तमान प्रदेश महासचिव उर्मिला अहारी,जनजाति काग्रेस उपाध्यक्ष कांतिलाल मनात, सेवादल बच्चुलाल खराड़ी,वासुदेव कटारा,सुनन्दा सहित जिले के कांग्रेसजन मौजूद रहे।