भारत में वेब मीडिया की मान्यता पर अटका लाखों पत्रकारों का भविष्य 

भारत में वेब मीडिया की मान्यता पर अटका लाखों पत्रकारों का भविष्य

भारत में वेव मीडिया की मान्यता पर लाखों पत्रकारों का भविष्य अटका हुआ है ।केंद्र सरकार वेव मीडिया की मान्यता को लेकर अभी तक कोई ठोस रणनीति नहीं बना पाई है।बढ़ती महंगाई में प्रिंट मीडिया के हजारों समाचार पत्र बंद हो चुके है और हजारों बंद होने की कगार पर है अब इनसे जुड़े पत्रकारों का भी वेव मीडिया की ओर रूझान बढ गया है।जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग सक्सेना ने कहा कि वेब-पत्रकारिता आज दूरस्थ पाठकों के लिए समाचार प्राप्ति का सबसे सुगम माध्यम बन चुका है।इंटरनेट आधारित पत्र-पत्रिकाओं की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। इसमें दैनिक, साप्ताहिक, मासिक, त्रैमासिक सभी तरह के अंतर्गत आने वाले समाचार पत्र और पत्रिकायें शामिल हैं। विषय वस्तु की दृष्टि से इन्हें हम समाचार प्रधान, शैक्षिक, राजनैतिक, आर्थिक आदि केंद्रित मान सकते हैं यद्यपि इंटरनेट पर ऑनलाइन सुविधा के कारण स्थानीयता का कोई मतलब नहीं रहा है किन्तु समाचारों की महत्ता और प्रांसगिकता के आधार पर वर्गीकरण करें तो ऑनलाइन पत्रकारिता को भी हम स्थानीय, प्रादेशिक, राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देख सकते हैं।
श्री सक्सेना ने कहा कि आज वेब-पत्रकारिता के प्रति आम पत्रकारों में रूझान की कमी के पीछे इसमें कार्यरत पत्रकारों को भारत सरकार व राज्य शासनों द्वारा मिलने वाली सुविधाएं एवं मान्यता का अभाव भी है क्योंकि वेब पत्रकारो को प्रिंट मीडिया के पत्रकारो की तरह मिलने वाली सुविधाओ में काफी अंतर ही नही बल्कि सरकार द्वारा मिलने वाली तमाम सुविधाओ से वंचित है।हालांकि अब कुछ राज्य सरकारों ने वेब मीडिया के पत्रकारों को अधिकार देने की पहल की है।
केंद्र सरकार द्वारा वेबसाइटों पर विज्ञापन देने की नीति तो बनाई गयी है लेकिन इनकी मान्यता को लेकर कोई ठोस रणनीति नहीं अभी तक बना पाई ।अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 2016 में बनाई गयी वेबसाइटों पर विज्ञापन देने की नीति में 10 फरवरी 2020 को संशोधन भी किये है लेकिन अंत में यह भी स्पष्ट कर दिया कि इसे रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया न समझकर सूचीबद्ध समझा जाए ।
जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया ने अभी हाल ही एक पत्र लोक सभा अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के माध्यम से वेव मीडिया की मान्यता को सदन में उठाने की मांग भी की है।
वेब पोर्टलो की मान्यता को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के एक पत्र के माध्यम से शिकायत के जबाब में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि वेव पोर्टल सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत नहीं आते।जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया संगठन यह मांग करता है कि जल्द ही वेब मीडिया को सरकार मान्यता दे जिससे वेब मीडिया से जुड़े लाखों पत्रकारों के भविष्य से खिलवाड़ को बचाया जा सके ।