किसी अपने की जिंदगी बचाने के लिए रक्तदान जरुर करें रक्तदान जरूर करें: मुकेश पाटीदार


डूंगरपुर। के आसपुर क्षेत्र के गांव गढ़ा भाभा निवासी मुकेश पाटीदार रक्तदान करने के लिए आमजनों व युवाओं को प्रेरित कर रहे हैं। मुकेश का कहना है कि रक्तदान को महादान कहा जाता है। जरूरतमंदों को रक्तदान निश्चय ही करना चाहिए। क्योंकि रक्त खरीदा और उत्पादन नहीं किया जा सकता है। रक्त की आवश्यकता आपातकाल में कभी भी और किसी को भी हो सकती है। वहीं, थैलेसेमिया और एनिमिया जैसी रक्त संबंधी बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए यह अनिवार्य हो जाता है। इन दिनों संपूर्ण विश्व सहित भारतवर्ष और में कोरोना वायरस संक्रमण के दौर से गुजर रहे हैं। इसके साथ ही यातायात संसाधन क्षेत्र एवं रक्त-दान एवं भंडारण प्रक्रिया में भी आंशिक रूप से प्रभाव पड़ा है। रक्तदान करने से दोहरा लाभ होता है। इसके लिए निधार्रित मापदंड में जांच उपरांत किए गए रक्तदान से रक्तदाता के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है साथ ही रक्त प्राप्त करने वाले का जीवन भी दीर्घायु होता है। हमारे द्वारा किया गया रक्तदान कई जिंदगियों को बचाता है। इस बात का अहसास हमें तब होता है जब हमारा कोई अपना खून के लिए जिंदगी और मौत के बीच जूझता है। उस वक्त हम नींद से जागते हैं और उसे बचाने के लिए खून के इंतजाम की जद्दोजहद करते हैं। अनायास दुर्घटना या बीमारी का शिकार हममें से कोई भी हो सकता है। आज हम सभी शिक्षि?त व सभ्य समाज के नागरिक है, जो केवल अपनी नहीं बल्कि दूसरों की भलाई के लिए भी सोचते हैं तो क्यों नहीं हम रक्तदान के पुनीत कार्य में अपना सहयोग प्रदान करें और लोगों को जीवनदान दें।हमारे द्वारा किया गया रक्तदान कई जिंदगियों को बचाता है। इस बात का अहसास हमें तब होता है जब हमारा कोई अपना खून के लिए जिंदगी और मौत के बीच जूझता है। उस वक्त हम नींद से जागते हैं और उसे बचाने के लिए खून के इंतजाम की जद्दोजहद करते हैं। अनायास दुर्घटना या बीमारी का शिकार हममें से कोई भी हो सकता है। आज हम सभी शिक्षि?त व सभ्य समाज के नागरिक है, जो केवल अपनी नहीं बल्कि दूसरों की भलाई के लिए भी सोचते हैं तो क्यों नहीं हम रक्तदान के पुनीत कार्य में अपना सहयोग प्रदान करें और लोगों को जीवनदान दें।
रक्तदान ही है, जो न केवल किसी जरूरतमंद का जीवन बचाता है बल्कि जिंदगी बचाकर उस परिवार के जीवन में खुशियों के ढ़ेरों रंग भी भरता है। कल्पना कीजिए कि कोई व्यक्ति रक्त के अभाव में जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहा है और आप एकाएक उम्मीद की किरण बनकर सामने आते हैं और आपके द्वारा किए गए रक्तदान से उसकी जिंदगी बच जाती है तो आपको कितनी खुशी होगी। हालांकि एक समय था, जब चिकित्सा विज्ञान इतना विकसित नहीं था और किसी को पता ही नहीं था कि किसी दूसरे व्यक्ति का रक्त चढ़ाकर किसी मरीज का जीवन बचाया जा सकता है। उस समय रक्त के अभाव में असमय होने वाली मौतों का आंकड़ा बहुत ज्यादा था किन्तु अब स्थिति बिल्कुल अलग है, लेकिन फिर भी यह विड़म्बना ही कही जाएगी कि रक्तदान के महत्व को जानते-समझते हुए भी रक्त के अभाव में आज भी दुनियाभर में हर साल करोड़ों लोग असमय ही काल के ग्रास बन जाते हैं, जिनमें अकेले भारत में ही रक्त की कमी के चलते होने वाली ऐसी मौतों की संख्या करीब बीस लाख होती है क्योंकि देश में प्रतिवर्ष करीब पच्चीस लाख यूनिट रक्त की कमी रह जाती है।