फतेह सिंह और जोरावर सिंह की शहादत धार्मिक आस्था और साहस की शक्ति का प्रतीक

ऊंचाहार,रायबरेली।महाराजा रणजीत सिंह के पुत्र जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह की कहानी इतिहास के सबसे मार्मिक और प्रेरणादायक अध्यायों में से एक है।दिसंबर 1704 में मात्र 9 और 6 वर्ष की आयु में उनकी शहादत उनके धर्म और सिद्धांतों के लिए सर्वोच्च बलिदान का प्रतीक है।यह विचार बुधवार को ऊंचाहार ब्लॉक के शहीद स्थल पर आयोजित कार्यक्रम में भाजपा ओबीसी मोर्चा के प्रांतीय मंत्री अभिलाष कौशल ने व्यक्त किए।उन्होंने कहा कि दोनों कम उम्र के बच्चों के अपने विश्वास में अडिग रहने और उनमें साहस और दृढ़ता की भावना का संचार युगों युगों तक प्रेरणा का श्रोत रहेगा।उनका अपने धर्म के प्रति अटूट विश्वास और साहस अत्याचार के विरुद्ध विद्रोह का प्रतीक बन गया था।भाजपा नेता ने कहा कि उनकी कहानी अन्याय के विरुद्ध अकल्पनीय विपत्तियों के बावजूद दृढ़ रहने के सिद्धांत का उदाहरण प्रस्तुत करती है।उनका जीवन चरित्र हमें विषम परिस्थितियों में भी अपने विश्वासों के लिए दृढ़ रहने के लिए प्रेरित करता है और मानवता को आस्था और साहस की शक्ति का स्मरण कराती है। इस मौके पर भाजपा मंडल अध्यक्ष पवन सिंह,मंडल महामंत्री अरविंद सेन,विकास श्रीवास्तव,ज्ञानेंद्र सिंह , राजू सोनी,राजन कौशल,संजय यादव,दक्ष गुप्ता आदि मौजूद थे।