युवक की शव को लेकर अस्पताल में हुआ हंगामा एक तरफ मृतक का भाई तो दूसरी तरफ दूर का भांजा करते रहे दावा

CITI UPDATE NEWSरायगढ़। वृद्धाश्रम में रह रहे एक युवक की अस्पताल में उपचार के दौरान मौत होने की सूचना मिलते ही उसके परिजन पहुंच गए, और शव को अपने कब्जे में लेने के लिए आपस में इस कदर विवाद किया कि अंत में शव को आश्रम संचालक के सुपुर्द करना पड़ा, तब कहीं जाकर मामला शांत हुए।

इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार जूटमिल थाना क्षेत्र के सोनुमुड़ा-सोनकरपारा निवासी विनोद गोरख उर्फ पप्पू पिता स्व. शिवधर गोरख (45 वर्ष) कुछ सालों मानसिक रोग से पीडि़त हो गया था, इससे राह चलते किसी से भी मारपीट करने लगता था, साथ ही कई बार तो रेलवे स्टेशन में भी हंगामा कर दिया था, इससे परेशान होकर उसके परिजनों ने पहले बिलासपुर के मेंटल अस्पताल में भर्ती कराया था, लेकिन उसके बाद भी उसकी तबीयत मेें सुधार नहीं हुआ, इस दौरान लगातार उसके द्वारा मारपीट की घटनाएं सामने के बाद परिजन व अन्य लोगों द्वारा विगत तीन साल पहले उसे शहर से लगे सांगीतराई स्थित अपना घर आश्रम में पहुंचा दिया गया, जहां नियमित देख-रेख के चलते उसकी तबीयत में अच्छा खासा सुधार हो गया था, ऐसे में शनिवार को अचानक उसकी तबीयत खराब होने पर आश्रम के कर्मचारियों ने उपचार के लिए उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया, जहां इलाज के दौरान रविवार को सुबह उसकी मौत हो गई। इससे आश्रम संचालक द्वारा घटना की सूचना उसके परिजनों को दी गई, इससे मृतक का बड़ा भाई अस्पताल पहुंचा और उसके शव को अपने कब्जे में लेने के लिए कागजी कार्रवाई शुरू करने ही वाला था, कि उसी समय मृतक का दूर का भांजा पहुंच गया और उसने विवाद करते हुए कहने लगा कि शव हमारे सुपुर्द होना चाहिए। इस बात को लेकर अस्पताल में जमकर हंगामा हुआ।

घंटों देर तक पुलिस रही परेशान

मृतक के भाई और भांजा में बढ़ते विवाद को देखते हुए मौके पर पहुंची पुलिस दोनों का काफी समझाईश देने का प्रयास किया, लेकिन दोनों एक दूसरे पर लगातार आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहे, इससे विवाद काफी बढ़ गया। इससे पुलिस ने शव को अपने अस्पताल के मरच्यूरी में रखवाते हुए दोनों को शव देने से मना कर दिया, और दोनों पक्ष को एसडीएम के पास भेजा दिया, इसके बाद दोनों पक्ष ने आपस में यह फायनल किया कि अब इसका अंतिम संस्कार आश्रम द्वारा कराया जाए। इसके बाद मामला शांत हुआ

क्या कहते है परिजन

इस संबंध में मृतक का भाई उमाशंकर गोरख का कहना था कि जब तक उसका क्रियाक्रम नहीं होगा, तब तक उसके आत्मा को शांती नहीं मिलेग, ऐसे में उसका क्रियाक्रम उसी के द्वारा किया जाएगा, लेकिन शव नहीं मिलने से उसकी मुश्किले बढ़ गई थी, ऐसे में अब यह कहा गया कि आश्रम संचालक द्वारा अंतिम संस्कार किए जाने के बाद वह खुद से उसका क्रियाक्रम करेगा। वहीं बताया जा रहा है कि मृतक की शादी नहीं हुई थी, इससे उसके हिस्से के मकान जमीन को लेकर भी विवाद भी हो सकता है।