जिलाधिकारी को शिकायती पत्र देकर लगाई न्याय की गुहार

रायबरेली।राजस्व के मामलों में अधिकारियों की प्रतिक्रिया को सुनते देखते लोगों की उमर निकल गई।लेकिन पीड़ितों को न्याय की जगह पर आश्वासन ही मिला है।अगर मामला कोर्ट में विचाराधीन है तो एक बार लगता है कि समय लग सकता है।किंतु जहां पर राजस्व के अभिलेखों में संक्रमणीय दर्ज है तो उसे संबंधित विभाग निकाल कर अलग करने में देरी क्यों है?जबकि अभिलेखों में कुछ करना नहीं है पीड़िता भी अभिलेखों में दर्ज की हुई मांगों को ही मांग रही हो तब?गौरतलब हो कि सलोन तहसील क्षेत्र अंतर्गत डीह ब्लॉक के गांव गोपालपुर का है।जहां पीड़िता साधना पुत्री सुदामा ने सोमवार को जिलाधिकारी को दिए गए शिकायती पत्र में बताया कि पिछले पांच वर्षों से तहसील और जनपद के राजस्व कर्मचारियों की चौरासी कोसीय परिक्रमा कर रही है अभी तक आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला है।पीड़िता अब पूरे परिवार सहित धरने पर बैठने के लिए बाध्य हो रही है।आए दिन शरण प्राप्त विपक्षी गण गाली गलौज और पूरे परिवार को जान से मारने की धमकियां देते है।गौरतलब हो कि पीड़िता की गाटा संख्या 637 भूमि संक्रमणीय दर्ज जमीन है।इसी गाटा से लगा हुआ गाटा संख्या 642 और 648 राजस्व अभिलेखों में चक मार्ग भी दर्ज है।वही विपक्षी गण चकमार्ग में जुताई बुवाई कर धरातल से तो गायब कर दिया लेकिन अभिलेख बता रहा है साहब मै था।आरोप लगाया है कि विपक्षी गण अपनी पहुंच पकड़ और रुतबा में चकमार्ग को जमीन में गायब कर पीड़िता को आने जाने और खेती किसानी के यंत्रों को लाने ले जाने पर मारपीट पर आमादा हो जाते है।गांवों में एक कहावत है सैयां भए कोतवाल तो अब डर काहे का।बताया कि विपक्षी गण से डीह थाने में चौकीदार भी है और प्रधान राजकुमार पुत्र समर बहादुर सिंह की शरणागति प्राप्त है।विपक्षी शत्रोहन,रामसुख,परमसुख पुत्र गण लल्लू कहां रुकने वाले है।वह पिछले पांच वर्षों से राजस्व विभाग को लगातार गुमराह कर रहे है।राजस्व की टीम मौके पर जाती है और खाली हाथ लौटना पड़ता है।सूत्रों की बातों पर गौर किया जाए तो राजस्व कर्मियों को भी धमकियां मिल चुकी है।तो पीड़ित को न्याय कैसे मिलेगा,जो सबसे बड़ा सवाल है।