राजस्व विभाग के कुछ अधिकारी कर्मचारी की मिली भगत से कोटवार की भूमि हुई रजिस्ट्री, जिला प्रशासन हुआ नतमस्तक।

बैकुंठपुर। इन दिनों राजस्व विभाग अधिकारी कर्मचारी व भू माफियाओं की मिली भगत से जमीन की हेराफेरी जोरो पर है एक मामला पटना क्षेत्र के ग्राम सोरगा से है जहां कोटवार भूमि की रजिस्ट्री कर दी गई है भू माफियाओं द्वारा कूटरचित करते हुए फर्जी दस्तावेज तैयार कर कोटवार ठुरू आ. बनाफर ग्राम सोरगा जो सन् 1946- 47 में कोटवार भूमि खसरा क्रमांक 1003,1220,1233 है जिसमें भूमि खसरा क्रमांक 1003 (0.3100) हे. क्रेता रामानंदे पिता रामनरेश टेमरी निवासी है जिसका नामांतरण शासकीय भूमि होने के कारण पटना तहसीलदार प्रतीक जायसवाल द्वारा दिनांक 24.03,2025 को निरस्त कर दिया गया था जबकि बाकी बचे खसरे 1220( 0.0900 ), हे. 1233( 0.5400 ) हे. भूमि का दिनांक 01/08/2025 विधिवत रजिस्ट्री की गई है सूत्रों की माने तो प्रस्तावित भूमिस्वामी क्रेता रामानंदे द्वारा सोरगा, सरपंच का फर्जी तरीके से सील हस्ताक्षर कर लिया गया है जिसमें आवेदन में स्पष्ट देखा जा सकता है दोनों हस्ताक्षर अलग अलग व्यक्तियों के है राज्य शासन के नियमानुसार कोटवार को प्राप्त भूमि का क्रय विक्रय करने का प्रावधान नहीं हैं छत्तीसगढ़ में कोटवार को सरकार द्वारा कोटवारी के बदले जीवन यापन के लिए दी गई भूमि होती है, न कि उनकी निजी संपत्ति उच्च न्यायालय के निर्णयों और सरकारी सर्कुलर के अनुसार, इस सेवा भूमि को बेचने या बदलने का कोई प्रावधान नहीं है ।

राज्य सरकार ने जिले के सभी कलेक्टरों को कोटवारी जमीन के संदर्भ में जारी किया निर्देश।

कोटवार भूमि की खरीदी बिक्री पर राज्य सरकार ने जिले के सभी कलेक्टरों को कोटवारी जमीन के संदर्भ में निर्देश जारी किया है. शासन ने स्पष्ट कर दिया है कि कोटवारों को उनकी सेवा के एवज में दी गई जमीन सेवा भूमि है, इसलिए यह बिक नहीं सकती. सभी कलेक्टर को पत्राचार कर कोटवारों की जमीन के संदर्भ में विशेष निर्देश देकर कुछ धाराओं का उल्लेख करते हुए उन्हें वापस कोटवारी भूमि में दर्ज करने की बात लिखी गई है

क्या कोटवार भूमि रजिस्ट्री पर जिला प्रशासन जांच कर कार्यवाही करेगी ?

भू माफियों का आतंक इस कदर बढ़ गया है कि जिले में भूमि संबंधित छोटे बड़े झाड़ की रजिस्ट्री कराने की होड़ जारी है जहां आम नागरिक या किसान,ग्रामीणों की भूमि पर राजस्व लेट लतीफ करती है कई माह तहसील कार्यालय का चक्कर काटने के बाद भी कार्य नहीं हो पाता है वहीं भू माफियों का कार्य चंद मिटो में ही हो जाता है जानकारी के अनुसार ठुरू आ. बनाफर की भूमि में मंगल नामक व्यक्ति द्वारा सेवा भाव से देख भाल का कार्य करता था जिसके मृत्यु उपरांत भूमि पर खेती कर जीवन यापन कर रहा है अब देखना होगा जिला प्रशासन कोटवार भूमि रजिस्ट्री पर कब तक कार्यवाही करती है ।

क्या राजस्व विभाग में संलिप्त अधिकारी कर्मचारी पर गिर सकती है गाज।

भूमि की हेराफेरी करने का मामले में राजस्व विभाग के अधिकारी कर्मचारी पर सवाल उठ रहे है आखिर बिना चौहद्दी, के कैसे रजिस्ट्री हो सकती है क्या जमीन कोटवार के नाम पर है तो मिसल देखे बिना ही भूमि की रजिस्ट्री कर दी गई है जिला प्रशासन द्वारा जांच में दोषियों के विरुद्ध करेगी कड़ी कार्यवाही , या केवल फाइलों में ही जांच सीमित रहेगी अब देखना होगा फर्जी तरीके से कोटवारी भूमि की रजिस्ट्री कब तक रद की जाएगी।