गाँव की मिट्टी से उठकर देश का रक्षक बना — उमेश खूंटे

  • तालदेवरी (जांजगीर-चांपा) की एक सच्ची प्रेरणा गाथा|

रिपोर्ट: समीर खूंटे | CitiUpdate विशेष

छत्तीसगढ़ राज्य के जांजगीर-चांपा जिले के बम्हनीडीह विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत तालदेवरी यह वही भूमि है, जहाँ की सादगी, संघर्ष और संस्कृति ने एक ऐसा बेटा गढ़ा, जो अब देश की सरहदों की रक्षा करेगा। यह कहानी है उमेश खूंटे की एक किसान परिवार के साधारण बेटे की असाधारण यात्रा, जो आज लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी है।

#### संघर्षों में पलती उम्मीदें

उमेश खूंटे का बचपन भी उसी संघर्ष से भरा था, जैसा एक आम ग्रामीण बालक का होता है।

उनके पिता श्री दिलीप कुमार खूंटे एक कर्मठ और मेहनतकश किसान हैं, जिनकी पहचान गाँव में सादगी और ईमानदारी से होती है। उनकी माता श्रीमती गीता दिलीप खूंटे, एक संस्कारी और दृढ़ नारी हैं, जिनके जीवन मूल्य ही उमेश के चरित्र की नींव बने।

उमेश की प्रारंभिक शिक्षा गाँव के ही सरकारी विद्यालय में हुई। जहाँ कभी बिजली के भरोसे क्लास लगती थी, वहीं ट्यूशन का नाम सिर्फ सीनियर भाई का गाइड समझना होता था। लेकिन उमेश के भीतर कुछ खास था कुछ कर दिखाने की आग।

#### पहला सपना: वर्दी पहनना

गाँव में जब-जब कोई फौजी छुट्टी पर घर लौटता, तब उमेश घंटों उसे निहारते रहते। उनकी वर्दी, उनका चलना, बोलना, और आँखों में देशभक्ति का तेज ये सब उमेश के सपनों में बस गया।

बारहवीं के बाद उन्होंने अपने आप को पूरी तरह फिजिकल ट्रेनिंग, NCC, और रक्षा सेवा परीक्षा की तैयारी में झोंक दिया। कई बार असफलता हाथ लगी, लेकिन एक बार भी मन नहीं डगमगाया।

#### परीक्षा में चयन और परिवार का गौरव

2024 में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की भर्ती परीक्षा में उमेश ने सफलता पाई। यह खबर जब तालदेवरी पहुँची, तो एक लहर सी दौड़ गई पूरे गाँव ने इसे अपनी जीत माना।

उनके माता-पिता की आँखों में गर्व के आँसू थे। गीता जी ने कहा:

"मैंने कभी सोचा नहीं था कि हमर बेटा वर्दी पहिन के देश के सेवा म जाही। आज मैं डराय नहीं, मैं खुश हूँ। वइ हमर देश के बेटा बन गे हे।"

#### नागपुर की ट्रेनिंग: मेहनत की असली परीक्षा

चयन के बाद उमेश को नागपुर में 6 महीने की कड़ी ट्रेनिंग के लिए भेजा गया। यह प्रशिक्षण शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्तर पर परखा जाता है।

गर्मी में दौड़, ठंड में हथियार चलाना, रात की निगरानी, और सैकड़ों घंटों की रणनीतिक कक्षाएँ उमेश ने हर चुनौती को एक अवसर की तरह लिया।

#### दीक्षांत समारोह: LIVE टेलीकास्ट का भावुक क्षण

ट्रेनिंग पूरी होने के बाद नागपुर में आयोजित दीक्षांत समारोह�का LIVE टेलीकास्ट जब तालदेवरी में टीवी और मोबाइल पर चला, तो पूरा गाँव भाव-विभोर हो गया।

लोगों ने देखा�उमेश खूंटे गर्व से सिर उठाए, वर्दी में, परेड की अगुवाई करते नज़र आ रहे थे। उनकी चाल में अनुशासन था, आँखों में आत्मविश्वास और हृदय में देश के प्रति समर्पण।

#### माँ का आशीर्वाद: वर्दी में विदा

दीक्षांत के बाद�श्रीमती गीता खूंटे ने अपने बेटे को खुद अपने हाथों से तैयार कर, वर्दी में सजा कर हँसी-खुशी झारखंड रवाना किया।

यह दृश्य पूरे परिवार के लिए अविस्मरणीय था। बिना रोए, बिना चिंता के एक माँ का यह त्याग, यह हौसला, हर उस माँ के लिए उदाहरण है, जो अपने बेटे को मातृभूमि के नाम करना जानती है।

#### पहली तैनाती: झारखंड के चाईबासा में CRPF की 197वीं बटालियन

उमेश की पहली पोस्टिंग झारखंड राज्य के चाईबासा�स्थित CRPF की 197वीं बटालियन�में हुई है। यह क्षेत्र नक्सल प्रभावित है, जहाँ जवानों की जिम्मेदारी और खतरा दोनों अधिक होता है।

लेकिन उमेश ने कभी भी कठिनाइयों से मुँह नहीं मोड़ा। वे कहते हैं:

"मैं अब सिर्फ गाँव का नहीं, देश का जवान हूँ। माँ के आँचल से निकलकर अब देश की सरहद मेरी छाँव है।"

#### गाँव का गौरव, समाज की प्रेरणा

आज तालदेवरी का हर बच्चा, हर बुज़ुर्ग उमेश के नाम पर गर्व करता है। उनके सहपाठी कहते हैं:

"जब कोई हमसे पूछता है तुम किस गाँव से हो तो हम कहते हैं जहाँ उमेश खूंटे पैदा हुआ।"

शिक्षक उनके उदाहरण से बच्चों को प्रेरित करते हैं। कई युवाओं ने अब सेना और अर्धसैनिक बलों की तैयारी शुरू कर दी है।

#### राष्ट्र के लिए समर्पण का प्रतीक

CRPF की वर्दी सिर्फ कपड़े नहीं होती यह ज़िम्मेदारी, अनुशासन, और बलिदान का प्रतीक है। उमेश खूंटे अब उस परंपरा में शामिल हो गए हैं, जहाँ हर साँस राष्ट्र को समर्पित होती है।

उनका यह सफर गाँव की गलियों से देश की सीमा तक एक संदेश है:

"अगर इरादे बुलंद हों, तो न साधन की कमी मायने रखती है, न रास्ते की मुश्किलें।"

#### समापन: एक नया सूरज उगा है

उमेश खूंटे अब एक नाम नहीं, एक पहचान है। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि छोटा गाँव, सीमित साधन और साधारण परिवार यह सब सिर्फ स्थिति है, मंज़िल की बाधा नहीं।

उनके जैसा युवा जब देश की वर्दी पहनता है, तब सिर्फ उनका परिवार नहीं, पूरा राष्ट्र उनका हो जाता है।

CitiUpdate उनकी इस कहानी को सलाम करता है और उम्मीद करता है कि आने वाली पीढ़ियाँ उमेश जैसे बेटे, दोस्त और नागरिक बनने की प्रेरणा लें।

🇮🇳 जय हिन्द! वंदे मातरम्!