तो क्या साहब की सरपरस्ती से हो रहे खाद्यान्न माफियाओं के हौसले बुलंद

सब कुछ सामने होते और मौके पर पाए जाने के बाद भी नहीं हो रही कोई ठोस कार्रवाई


अलीगढ़। सरकार द्वारा लगातार सुचारू रूप से आम जनता को प्रतिमाह खाद्यान्न मुफ्त में वितरित किया जा रहा है। जिसका देश के करोड़ों लोगों को लाभ मिल रहा है , लेकिन दूसरी ओर जनता के इस लाभ को साहब लोगों की मिलीभगत से माफिया लोग अपना निवाला बना रहे हैं । आलम यह है कि माफियाओं को संबंधितों के द्वारा मौके पर पकड़े जाने के बाद भी कोई ठोस कार्यवाही अमल में नहीं लाई जा रही है। साहब के अनुसार कार्रवाई होना तब तय होता है जब सरकारी खाद्यान्न, सरकारी बोरे में सील लगा हुआ पकड़ा जाता है। वहीं दूसरी ओर सरकारी खाद्यान्न को सरकारी सील लगे हुए बोरों में सीधे-सीधे आटा मिलों में दिया जा रहा है, वह भी दुकानदार के लिए पहुंच में लगी हुई गाड़ियों के द्वारा, जिन पर भारतीय खाद्य निगम के बैनर लगे हुए हैं। दूसरी ओर स्वयं एडब्लूसीसी धौरा माफी (सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान) के सेल्समैन के द्वारा अपने घर में ही जो कि विक्रम कॉलोनी में स्थित है में सरकारी सील बंद बोरे से सील काटकर प्लास्टिक के बोरों में चावल को बराबर बराबर मात्रा में कालाबाजारी के लिए रखा जा रहा था। जब इसकी सूचना 112 पर गई तो आनन फानन में सेल्समेन दीपक गुप्ता के द्वारा आंगनबाड़ियों को फोन किए गए और अपने बचाव के लिए बुलाया गया और उनसे खाद्यान्न लेने की बात बताने पर राजी कर लिया गया। वही इस मामले में पूर्ति विभाग के इंस्पेक्टर दिनेश कुमार के द्वारा कार्रवाई के नाम पर आंगनवाड़ी और सेल्समैन से अपने-अपने पक्ष रखवा दिए गए और स्टॉक पूरा होने का हवाला देते हुए ना जाने कौन सी अनियमितता में मात्र पांच हजार रुपए का जुर्माना एडब्लूसीसी धौरा माफी सेल्समैन दीपक गुप्ता पर जुर्माना कर दिया गया,जबकि इंस्पेक्टर दिनेश कुमार के द्वारा स्वयं बताया गया था कि सरकारी खाद्यान्न सरकारी बोरे में जाएगा अन्यथा कठोर कार्यवाही की जाएगी। मतलब स्पष्ट है इसी तरह का खाद्यान्न जब किसी घोषित खाद्यान्न माफिया या नए नए अवैध व्यापार करने वाले के पास पाया जाता है तो विभाग की तरफ से तीन बटे सात रॉकेट की गति से दर्ज की जाती है वहीं दूसरी ओर स्वयं सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान के सेल्समैन के घर पर खाद्यान्न रखना दूसरा उस खाद्यान्न को माफियाओं को बेचने पर नाम मात्र की कार्यवाही करना आखिर क्या दर्शाता है ? वही एक तरफ विभागीय बड़े साहब माफियाओं के पास मौजूद खाद्यान्न को सरकारी प्रदर्शित करने की जद्दोजेहद में बार बार न्यायालय से फटकार खाते हुए नजर आते है लेकिन फिर भी दूसरी ओर इस चांदी जैसे सफेद चावल के मोह से पीछा नहीं छूट पा रहा है भले ही बड़े साहब के हाथ बिल्कुल पाक साफ हो मगर उनके नुमाइंदे इस चांदी की चमक का भरपूर लुत्फ उठा रहे हैं। अलीगढ़ जनपद में अभी भी इस सफेद चांदी यानी सरकारी खाद्यान्न से मिले हुए चावल के कारोबार एटा दिल्ली हाईवे हाजीपुर चौहट्टा, बोनेर ,अलीगढ़ इगलास रोड पर सिंघारपुर, जीवनगढ़, खैर बायपास रोड, लोधा और गभाना क्षेत्र में खुलेआम किए जा रहे हैं।