वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स से बचाव ,

कोरोना की वैक्सीन कोविड शील्ड कंपनी एस्ट्रेजेनेका ने लंदन के कोर्ट में ये माना है की इस वैक्सीन के अत्यधिक दूष परिणाम हो सकते हैं थ्रंबोसाइटोपिनिया नामक सिंड्रोम जिसमे खून के अंदर थक्के जम जाते हैं।

अब आप पुनः संसार की आस आयुर्वेद के ऊपर रुख करने को ही है आयुर्वेद सहायक हैं शरीर को स्वस्थ बनाने के लिए और रोगों के निवारण हेतु।

आज इस प्रिस्थिति में हम को आवशक जानना ह की कोन कौनसी आयुर्वेदिक हर्ब्स हमारे स्वास्थ्य को ठीक करने में हेल्प करेगी रक्त को पतला करने में हर्ब्स प्रयोग और एक प्रकार से शरीर के शोधन में सायक होगा पंचकर्म

किस ओषधि के सेवन से शरीर की सभी नसो की ब्लॉकेज खुल जाती हैं?

शरीर की नसों में रक्त प्रवाह को बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां एक प्राकृतिक और सुरक्षित उपाय है। यह जड़ी-बूटियां शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करती है और साथ ही रक्त प्रवाह को सुधारती भी हैं।

शरीर की नसों में रक्त प्रवाह बढ़ाने वाली आयुर्वदिक जड़ी बूटियाँ

दालचीनी

दालचीनी के प्रयोग से आप शरीर में बढ़े कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकते हैं

अर्जुन छाल

अर्जुन छाल में हृदय के स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए गुण होते हैं और इससे रक्त प्रवाह में सुधार होता है।

अर्जुन छाल को रोजाना 500 मिलीग्राम से 1 ग्राम के बीच में सेवन कर सकते हैं।

अश्वगंधा

अश्वगंधा शरीर को स्ट्रेस से निकालने में मदद करती है और रक्त प्रवाह को सुधारती है।

अश्वगंधा पाउडर को 1-3 ग्राम रोजाना सेवन कर सकते हैं।

त्रिफला

त्रिफला एक औषधि है जिसमें तीन फलों का मिश्रण है। यह रक्त प्रवाह को सुधारने में मदद कर सकती है और पाचन को भी सुधार सकती है।

1 चम्मच (1 ग्राम की मात्रा) त्रिफला पाउडर को रात में गरम पानी के साथ ले सकते हैं।

गोखरू

गोखरू का सेवन रक्त प्रवाह को बढ़ाने और मूत्र तंत्र को सुधारने में मदद कर सकता है।

1 चम्मच (1 ग्राम की मात्रा) गोखरू पाउडर की दिन में दो बार ले सकते हैं।

शंखपुष्पी

शंखपुष्पी का सेवन रक्त प्रवाह को सुधारने साथ-साथ यह मानसिक को सुधारता है।

शंखपुष्पी पाउडर को दिन में दो बार 1-2 ग्राम मात्रा (1-2 चम्मच) तक लिया जा सकता है।

खट्टे फलों का सेवन

खट्टे फलों का सेवन रक्त प्रवाह में सुधार करते हैं. रोजाना एक नींबू का रस पीना आदि। रोजाना एक नींबू का रस पीने से लाभ हो सकता है।

संक्षेप में,

वैसे आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के सेवन का साइड इफ़ेक्ट न बराबर होता है लेकिन, प्रत्येक व्यक्ति का शारीरिक स्वास्थ्य अलग होता है, इसलिए यदि कोई व्यक्ति इन जड़ी-बूटियों का सेवन करना चाहता है, तो उसे पहले एक वैद्य से सलाह लेनी चाहिए।

साथ ही, स्वस्थ आहार, नियमित योग आसान और प्राणायाम, और अच्छी जीवनशैली का पालन करना भी रक्त प्रवाह में सुधार करने के लिए जरुरी है।

पंचकर्म चिकित्सा पद्धति के अंदर आप शरीर का शोधन करवा कर शरीर के अंदर से बाहर निकाल सकते हैं शोधन क्रिया के द्वारा इसमें जो जो दुष्प्रभाव स्ट्रीयोड से हुआ है या हेवी साल्ट आदि से उसमे भी आपका पंचकर्म बहुत लाभकारी साबित होगा।