*भगवा ध्वज की लहर चली, जन-मन है हर्षाया, नववर्ष हमारा आया...! संत सान्निध्य में साकार भारतीय संस्कृति काव्य रस में भीगा जन-मन!*

*भगवा ध्वज की लहर चली, जन-मन है हर्षाया, नववर्ष हमारा आया...! संत सान्निध्य में साकार भारतीय संस्कृति काव्य रस में भीगा जन-मन!*


पाली।
अखिल भारतीय साहित्य परिषद पाली द्वारा महादेव मंदिर बगीची का प्रांगण पावन हो उठा जब संत शिरोमणि महामंडलेश्वर स्वामी फूलपुरी महाराज के सानिध्य में जन समूह ने नववर्ष का स्वागत किया। हिन्दू नववर्ष के सुअवसर पर आयोजित काव्य संध्या में कवियों ने नववर्ष महिमा का बखान किया और श्री राम की अपने काव्य से आरती उतारी। संत शिरोमणि महामंडलेश्वर स्वामी फूलपुरी महाराज ने कहा कि नववर्ष नव चेतना जगाने वाला नवयुग का आह्वान करने वाला पल है। चैत्र की प्रतिपदा से प्रारंभ होने वाला पर्व हमें अपनी शक्तियों को पहचान कर प्रगति करने को प्रेरित करता है। सीताराम जोशी ने कहा कि हमारी संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम की पवित्र भावना को मूर्त रूप में साकार करने वाली तथा विश्व को एक ही सत्ता का अंश मानकर ससम्मान साथ लेकर चलने वाली भावना है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रांत अध्यक्ष डॉ ओम प्रकाश भार्गव ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में राम के चरित्र से प्रेरणा लेने की अपील करते हुए कहा कि अपनी दिनचर्या में राम-राम करना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि राम जैसा बनने का प्रयास भी जरूरी है।
राम की सार्थकता प्रकट करते हुए भार्गव जी ने कहा, राम है चंदन, राम है वंदन। राम वीर है, राम है क्रंदन। मिट जाए रावण का नाम। सेवक जय जय जय हनुमान। संस्कृत विद्वान प्रो. हरिसिंह राजपुरोहित, जोधपुर ने कहा कि जिस दिन जनमानस भारतीय महिनों और तिथियों की महत्ता को समझ जाएगा और अपनी पीढ़ी को उनका औचित्य समझाने में सफल हो जाएगा, हमारा देश पुनः गुरू रूप में स्वयं को स्थापित कर सकेगा। प्रांत मंत्री लालाराम प्रजापत ने कहा कि राम का नाम मन के अंधकार को मिटाकर संसार में विशुद्ध कर्मों के उजाले और प्रकाश को विस्तार देने वाला है।
प्रांत मीडिया प्रमुख पवन पाण्डेय ने चैत्र प्रतिपदा से प्रारंभ वर्ष विश्व के प्राचीनतम वैदिक विज्ञान की उत्कृष्ट देन है जिसे कोई आधुनिक विज्ञान या गणना चुनौती नहीं दे सकती। हमने विश्व को मानवता रूपी महान धर्म के पथ पर चलने का मूल मंत्र दिया जो वर्तमान युग की आवश्यकता है। हज़ारों की संख्या में उपस्थित जनसमूह को संबोधित नववर्ष कार्यक्रम में काव्य संध्या का शुभारंभ माँ शारदे के चरणों में शब्द-वंदना अर्पण करते हुए कृषणप्रिया ने काव्य संध्या का शुभारंभ किया।
मानव सभ्यता के लिए श्रीराम के स्वरूप का वर्णन करते हुए मनीष कुमार 'अनैतिक' ने कहा, सरयू का पावन जल कहता है, प्राण देश के केवल राम। देवनदी की लहरें कहतीं, साँस-साँस के तारक राम। जिनसे भोर सुनहरी होती, सिंदूरी संध्या वंदन राम। कविराज सत्यनारायण राजपुरोहित 'पुनाडिया' ने तपस्वी बड़े ही त्यागी हैं, इसलिए वो राम हैं। भक्तों के अनुरागी हैं, इसलिए वो राम हैं। रूप-सौंदर्य अनुपम है, इसलिए वो राम हैं। श्री राम की महिमा को शब्द समर्पित करते हुए मन जीत जा रे..! की लेखिका एवं कवयित्री श्रीमती तृप्ति पांडेय ने, बन शबरी थी की हमने प्रतीक्षा, वनवास से श्रीराम दल लौटा। नीर नैनों से बहाए पूरे देश ने, फिर दीये थे जलाए पूरे देश ने। कविता प्रस्तुत कर तालियाँ बटोरी तो कवि प्रमोद भंसाली ने बसता स्वर्ग मातृ चरणों में माॅं होती ईश्वर का रुप, गाकर माहौल को नवरात्र पर्व की ओर मोड़ा तथा शक्ति स्वरूपा नारी का सम्मान करने को प्रेरित किया। कवि प्रवीण त्रिवेदी 'भांवरी' ने राष्ट्रीय चेतना को जाग्रत करता काव्य, भगवा ध्वज की लहर चली, जन-मन है हर्षाया। नववर्ष हमारा आया। गाकर भारतीय संस्कृति की अनूठी पहचान को दृश्यमान बना दिया।
सीमा पर खड़े भाइयों को याद करते हुए अशोक कुमार चौहान ने, जब आँख खुली तो तारे थे और धरती के बिछौने अपने थे, पर करवट युग की धारा ने ली, सब अब केवल सपने थे। पर सावरकर की भूमि ने कब, हार माननी सीखी थी, सुनाकर आजादी के अमृतकाल में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायकों को देश की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित की तो भारत माता की जय, वंदे मातरम के जयघोष से आकाश भी गुंजायमान हो गया। नववर्ष के स्वागत में राष्ट्रीय बाँसुरीवादक देवांग सोनी तथा सुरसाधक श्रीजी दाधीच ने भी बांसुरी वादन कर माहौल को कृष्णमय कर दिया तो अपने भावपूर्ण तेरहताली नृत्य से अंतर्राष्ट्रीय बाल कलाकार अधिश्री सिंह राजपुरोहित ने बच्चों ही नहीं वृद्धों को भी दाँतों तले अँगुली दबाने और वाह-वाह करने को विवश कर दिया।
इस दौरान कवि दिलीप बच्चानी , श्रीराम वैष्णव, प्रेमरतन शर्मा, मागूसिंह दूदावत ने भी काव्य पाठ किया।
कार्यक्रम को भव्यातिभव्य रूप देने में राजेन्द्र सिंह भाटी, कानाराम देवासी, एडवोकेट अशोक अरोड़ा, विक्रम सिंह शेखावत, रामसिंह गोहिल, डा. दिलीप सिंह, भगाराम गुर्जर, अशोक शर्मा, कौशल किशोर शर्मा, सोनाराम काकू, पप्पू शर्मा, दलपत सिंह भाटी, दिलीप सिंह राजपुरोहित, मोहित भाटी, सत्यनारायण वैष्णव, पारस सेन, नवीन मेवाड़ा
सहित कई लोगों ने अपना अमूल्य योगदान दिया।