पेंड्रा बाईपास निर्माण नहीं होने के कारण जिले के लोगों को भयंकर तकलीफ रोजाना हो रही है दुर्घटनाएं।

छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र में पेंड्रा बाईपास सड़क एवं कोलबिरा जलाशय के लिए के लिए बजट के स्वीकृति की उम्मीद।

पेंड्रा बाईपास निर्माण नहीं होने के कारण जिले के लोगों को भयंकर तकलीफ रोजाना हो रही है दुर्घटनाएं

कोलबिरा जलाशय से संवरेगी किसानों की तस्वीर, आएगा जीवन में निखार।

पेंड्रा। विधानसभा चुनाव में मरवाही विधानसभा क्षेत्र से भाजपा का विधायक चुने जाने के बाद अब मरवाही क्षेत्र के लोगों को उम्मीद है कि अगले फरवरी महीने की 5 तारीख से शुरू होने वाले छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र में बहुपीक्षित पेंड्रा बाईपास के लिए अतिरिक्त बजट एवं मरवाही की जीवन रेखा सोन नदी पर प्रस्तावित कोलबिरा जलाशय को स्वीकृति मिल सकेगी। इसी तरह सोन नदी पर प्रस्तावित जिले का सबसे बड़ा बांध कोलबिरा जलाशय योजना को भी बजट में स्वीकृति मिल सकेगी।

यह महज संयोग है कि इन दोनों बड़ी परियोजनाओं की स्वीकृति छत्तीसगढ़ की पूर्ववर्ती भाजपा के रमन सरकार के शासनकाल में हुई थी परंतु महज कुछ रुपयों की कमी के कारण पेंड्रा के 13 किलोमीटर लंबे बाईपास का निर्माण लंबित है जिसके कारण पूरे जिले के लोगों को आवागमन संबंधी भयंकर तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है। पेंड्रा बाईपास के अभाव में रोज दुर्घटनाएं हो रही हैं तथा यातायात व्यवस्था का दम निकल चुका है। बाईपास सड़क नहीं होने के कारण जबलपुर, बिलासपुर, रायपुर,अंबिकापुर अमरकंटक, शहडोल सड़क मार्ग की ओर जाने वाले भारी वाहन जब पेंड्रा शहर के बीच से दुर्गा चौक बस स्टैंड होते हुए सकरे सड़क मार्ग से गुजरते हैं तो आम जनों की जान सांसत में पड़ जाती है खासकर तब जब ट्रेलर और हाईवा जैसे वाहन नो एंट्री समाप्त होने के बाद शहर से गुजरते हैं तब यातायात व्यवस्था का भगवान ही मालिक रहता है। पूरे मरवाही विधानसभा क्षेत्र के यातायात को प्रभावित करने वाला 13 किलोमीटर लंबे पेंड्रा बाईपास सड़क नहीं बनने से पेण्ड्रा शहर के बीच से गुजरने वाली पुरानी मुख्य सड़क में यातायात का दबाव पहले से ही काफी बढ़ा हुआ था और अब जिला बनने के बाद तो यातायात को व्यवस्थित करने के लिए बाईपास अत्यंत जरूरी है। कोरबा मनेंद्रगढ़ अंबिकापुर बिलासपुर रायपुर शहडोल जबलपुर को जोड़ने वाले पेंड्रा शहर में यातायात का दबाव इतना अधिक है किअत्यधिक है कि प्रशासन को नो एंट्री करना पड़ रहा है तथा पेंड्रा शहर के चारों ओर की सड़कों पर बड़े-बड़े भीमकाय वाहन रास्ते में खड़े रहते हैं और आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। नो एंट्री खुलने के बाद बड़े-बड़े वाहन शहर के बीचो बीच से गुजरते हैं जिससे यातायात अनियंत्रित हो जाता है तथा लोगों के जान के लाले पड़ जाते हैं। बाईपास सड़क के अभाव में आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं तथा अनेक नागरिक बेवजह मौत का शिकार हो रहे हैं। पेंड्रा नगर की यातायात की इस समस्या एवं अव्यवस्था को समझते हुए पेण्ड्रा बाईपास सड़क निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गई थी तथा इसके निर्माण के भूमि पूजन का कार्य करते हुए 54 करोड़ रुपए एकमुश्त स्वीकृत किया था। शासन द्वारा स्वीकृत 54 करोड़ की राशि लोक निर्माण विभाग संभाग पेंड्रा के खाते में जमा भी कर दी गई थी । पेंड्रा के के चारों ओर प्रस्तावित एवं स्वीकृतलगभग 13 किलोमीटर लंबी यह बाईपास सड़क के निर्माण की पूरी कार्य योजना बनने के बाद सड़क निर्माण की नई नीति के तहत अधिग्रहित जमीन की मुआवजा राशि बढ़ गई है तथा मुआवजा राशि के लिए बजट की स्वीकृति नहीं हो पाई है इसलिए 13 किलोमीटर लंबे बाईपास सड़क निर्माण की स्वीकृति के बावजूद भी सड़क निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं किया जा सका है जबकि बाईपास सड़क के निर्माण

शिलान्यास 24 सितंबर 2018 को तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के द्वारा कर दिया गया गया था। वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के बुरी तरह चुनाव में हार जाने के बाद पेंड्रा की इस बाईपास योजना को कांग्रेस सरकार ने भुला दिया था परंतु मरवाही विधानसभा क्षेत्र में अब भाजपा के विधायक के रूप में प्रणव मरपच्ची के निर्वाचित होने तथा प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद मरवाही क्षेत्र के लोगों में उम्मीद की किरण जगी है।

यहां पर उल्लेखनीय है कि 13 किलोमीटर लंबी पेण्ड्रा बाईपास सड़क पेंड्रा से सटे 7 गांवों से होकर गुजरेगी जिससे पेंड्रा का विस्तार संभव होगा वही यह गांव भी बाईपास सड़क के माध्यम से विकास की मुख्यधारा में आ सकेंगे और पेंड्रा शहर के भीतर से यातायात का दबाव कम हो जाएगा। बाईपास सड़क जिन गांव से होकर गुजरेगी उनमें दुवटिया ,कुडकई,अड़भार, अमरपुर, पेण्ड्रा, सेमरा, बंधी सेमरा,भदौरा, अमरपुर पेंड्रा है इस सड़क के निर्माण में इन उल्लेखित गांव के 288 किसान प्रभावित हो रहे हैं जिनकी 26 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित कर ली गई है जिन्हें 50 करोड़ 96 लाख रुपया मुआवजा देना है जिसमें से 13 करोड़ 82 लख रुपए स्वीकृत होकर विभाग के पास जमा है बाकी की 37 करोड़ 13 लख रुपए मिलने पर मुआवजा बताकर सड़क का काम चालू किया जाएगा इसी 37 करोड़ 13 लाख की स्वीकृत बजट में मिल जाए तो काम शुरू हो सकता है। शुरु में कुछ किसानों को मुआवजा दिया जा रहा था परंतु बाद में सड़क की चौड़ाई में परिवर्तन किए जाने के कारण अधिग्रहित भूमि की मुआवजा राशि बढ़ गई है परंतु शासन द्वारा मुआवजा हेतु अतिरिक्त बजट स्वीकृत नहीं हुआ है जिसके कारण मुआवजा वितरण कार्य रोक दिया गया है और इसी के कारण बाईपास सड़क का निर्माण प्रारंभ नहीं किया जा सका है परंतु मुआवजा वितरण नहीं हो सका है। पेंड्रा बाईपास के निर्माण प्रारंभ किए जाने से गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के लोगों को इस समस्या से मुक्ति मिलेगी तथा पेंड्रा शहर का चौतरफा विकास होगा।

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विधानसभा के बजट सत्र में पेंड्रा बाईपास और कोलबिरा जलाशय योजना शामिल हुआ तो भाजपा को लोकसभा चुनाव में मिलेगा लाभ

जिस तरह से पेंड्रा बाईपास निर्माण की आवश्यकता जिले वासियों को महसूस हो रही है उसे देखते हुए सत्तासीन भाजपा से जुड़े नेता चाहते हैं कि लोकसभा चुनाव के पूर्व पेंड्रा बाईपास सड़क एवं कोलबिरा जलाशय का निर्माण प्रारंभ हो जाए इसलिए इसके लिए बजट की स्वीकृति आगामी फरवरी महीने की 5 तारीख से शुरू होने वाले बजट सत्र में ही मिल जाए ताकि आने वाले लोकसभा चुनाव में इसका लाभ भाजपा को मिल सके। उल्लेखनीय की पूरा मरवाही विधानसभा क्षेत्र अभी कोरबा लोकसभा क्षेत्र में शामिल है तथा वर्तमान में कोरबा लोकसभा क्षेत्र की संसद श्रीमती ज्योत्स्ना महंत है। ऐसे में भाजपा कोरबा लोकसभा सेट को अपने पक्ष में लाने के लिए इन दोनों परियोजनाओं के लिए बजट की स्वीकृति दे सकती है।