थाना,कोतवाली में टॉप टेन हिस्ट्री सीटरों का बोल बाला कराते है न्याय

रायबरेली।भले ही जनपद का कमान बदल गया हो,लेकिन पुलिसिंग व्यवस्था वही की वही है।पुलिस अधीक्षक आलोक प्रियदर्शी के बाद नवागंतुक पुलिस अधीक्षक अभिषेक अग्रवाल ने संभाली है।लेकिन क्या थाना कोतवाली की हालातों में कुछ सुधार हुआ या नहीं।आम जन मानस को न्याय प्रक्रिया में कुछ राहत मिली या नही,ये देखने योग्य होगा,पहले भी और आज भी वही हाल है।थाना कोतवाली में वही हिस्ट्री सीटर नजर आएंगे जो पहले पुलिस प्रशासन के डर से छुपते और भागते थे,आज किसी न किसी पार्टी से कोई न कोई पदभार ग्रहण किए बैठे है।अगर थाना कोतवाली की सीसीटीवी फुटेज खंगाली जाए तो सबसे ज्यादा फुटेज टॉप टेन अपराधियों और हिस्ट्री सीटरों की होगी,जबकि फरियादी तो किनारे बैठ कर साहब साहब कर न्याय की गुहार लगाते नजर आएंगे।लेकिन बिना हिस्ट्री सीटर के दिशा निर्देश के पीड़ित को न्याय कोतवाली थाना से न्याय मिल पाना असम्भव है। अंतःपीड़ित को उच्चाधिकारियों की चौखट का परिक्रमा करना पड़ता है,क्योंकि ये लोग कुछ न कुछ पेंच फंसा देते है या तो फैसले को स्वीकार्य करो या फिर उच्च अधिकारीयों का चौखट खटखटाओ,सबसे मजेदार बात तो यह है कि यही टॉप टेन अपराधी,हिस्ट्री सीटर थाना,कोतवाली पुलिस के मुखबिर होते है।जो यह तय करते है कि कब किसे पकड़ना है और केश दर्ज करना है।क्योंकि थाना कोतवाली की पुलिस इन्हे अपना मार्गदर्शक मानती है।दूसरी तरफ ऐसे लोगो का सुबह शाम थाना कोतवाली में आना जाना लगा रहता है और ऐसे ही संभ्रांत लोगो पुलिस अपने पीस कमेटी की बैठक में बुलाकर कुर्सी प्रदान करती है।जो न्याय प्रक्रिया के शुभ संकेत नही देता है।भले ही प्रदेश के मुखिया रामराज्य की कल्पना करे,किंतु जब तक अव्यवस्थाओं को दूर नही किया गया तो आम आदमी,आम नागरिक को न्याय मिल पाना नामुमकिन है।खबर के लिए उदाहरण,प्रमाण बहुत है लेकिन देखना शासन और प्रशासन को है।