गुरुकुल को लेकर कहा की यह आदिवासी बच्चों के लिए बनाया गया था इसे हटाना नहीं है ठीक, सहाय ने कहा खाली जगह पर प्रशासनिक भवन का करवाया जाना चाहिए निर्माण कार्य।

गुरुकुल को लेकर कहा की यह आदिवासी बच्चों के लिए बनाया गया था इसे हटाना नहीं है ठीक।

सहाय ने कहा खाली जगह पर प्रशासनिक भवन का करवाया जाना चाहिए निर्माण कार्य।


सीएसआईडीसी के अध्यक्ष डॉ नंद कुमार साय ने कहा औद्योगिक विकास के तहत वनौषधि पार्क भी बनाने पर दिया जायेगा जोर।

स्थानीय वैद्यों की पहचान कर औषधीय जड़ी-बूटियों को संरक्षित करने बनाए कार्य योजना।

पेंड्रा। छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम के अध्यक्ष केबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त नंदकुमार साय आज अपने एक दिवसीय दौरे पर जिले में पहुचे जहा पर वे सबसे पहले मरवाही पहुचे जहा पर वे काग्रेस कार्यकर्ताओ से मुलाकात की। इसके बाद पेण्ड्रा में पंडित माधव राव सप्रे जी के प्रतिमा पर माल्यर्पण किया। माधव राव सपरे प्रेस क्लब पेण्ड्रा में पहुचकर कई मुद्दों पर पत्रकारों से बातचीत किया गया। जहां प्रेस वार्ता के दौरान उन्होने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि औद्योगिक विकास के तहत छत्तीसगढ़ औषधीय पादप बोर्ड से समन्वय कर वनौषधि पार्क बनाने और स्थानीय वैद्यों की पहचान कर औषधीय जड़ी-बूटियों को संरक्षित करने के लिए कार्य योजना बनाने पर विशेष जोर दिया जायेगा। वही मीडिया के द्वारा गुरुकुल विद्यालय को लेकर सवाल किया गया तो डॉ नंदकुमार सहाय ने कहा कि वही उन्होंने गौरेला पेण्ड्रा मरवाही के जिला मुख्यालय और गुरुकुल के मामले में सर्व आदिवासी समाज और पूर्व विधायकों के लगातार विरोध के साथ-साथ आदिवासी छात्रों के विरोध पर कहा कि इस गुरुकुल को आदिवासी बच्चों के लिए बनाया गया था। वहीं सरकार की नोटिस में सब बातें जानी चाहिए, अन्यत्र कहीं कार्यालय बनाने के संबंध में विचार होना चाहिए। वहीं अगर प्रशासनिक भवन के लिए इसे हटाया जा रहा है तो यह ठीक नहीं है। साथ ही डॉक्टर सहाय ने कहा कि इस क्षेत्र में प्रशासनिक भवन बनाने के लिए जगह की कमी नहीं है। और भवन को खाली जगह पर बनाया जाना चाहिए। साथ ही डॉ साहाय ने कहा कि मैं इस विषय को लेकर मुख्यमंत्री जी से चर्चा करूंगा और आप लोगों के द्वारा कहीं गई बातों को मुख्यमंत्री के समक्ष रखूंगा।


1. वहीं डॉ साय ने कहा कि जिला वन और आदिवासी बाहुल्य जिला है, यहां वनौषधि जड़ी-बूटियों की कमी नहीं है। उन्होने औद्योगिक विकास के तहत वनौषधि पार्क भी प्रस्तावित करने कहा। डॉ साय ने औषधीय जड़ी-बूटियों के गुणों के बारे में अपने स्वयं के अनुभव भी साझा किए। उन्होने हड्डी जोड़, जहरीले सांप बिच्छु का विष उतारनें, पीलिया खत्म करने आदि के बारे में बताते हुए कहा कि जड़ी बूटियों के जानकार वैद्यों कि पहचान करें और वनौषधि पार्क बनाने में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करें। उन्होने कहा कि अश्वगंधा, गिलोय आदि वनौषधीयों का प्रभाव काफी कारगर है। वनौषधियों के उपयोग से किसी तरह का दुष्प्रभाव भी नहीं होता है।

2. नंदकुमार साय ने पत्रकारों के द्वारा पूछे गए सवाल पर उन्होंने मिजोरम की घटना को लेकर नंदकुमार साय ने बयान देते हुए कहा कि - छत्तीसगढ़ सुकमा हो या फिर मिजोरम कहीं भी महिलाओं बच्चियों के साथ अनाचार बलात्कार हो दुर्भाग्यपूर्ण है इसका विरोध को रोका जाना चाहिए, वहीं मिजोरम की घटना को छत्तीसगढ़ से जोड़ना ठीक नहीं है, जनजाति वर्ग कूकी और मैकेई के मध्य हिंसा हो रही है उन्होंने कहा कि मैंने प्रधानमंत्री को अपना अभिमत भेजा है कि सबसे पहले वहां फोर्स लगा कर हिंसा रोकी जानी चाहिए, उनकी मांगों पर बैठकर विचार किया जाना चाहिए रणभूमि पर इसका इलाज नहीं हो सकता, इसके बाद वहां बैठकर चर्चा करके उनकी मांगों पर विचार किया जाए और संविधान के अनुसार निर्णय लिया जाए। सरकार की ओर से विलंब हुआ जिसकी वजह से स्थिति बेकाबू हो गई है, सरकार की जिम्मेदारी है कि पहले वहां शांति बहाली करें।

3. वही उन्होंने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बदलने के साथ मंत्रियों के प्रभार और उप मुख्यमंत्री बनाने से कांग्रेस को चुनाव में होगा फायदा, ढाई ढाई साल का जो विवाद था वह भी एक वजह बतलाया है।

4. वही उन्होंने प्रदेश प्रधानमंत्री के लगातार दौरे पर कहा कि मुझे लगता है प्रधानमंत्री को छत्तीसगढ़ से बहुत प्रेम हो गया है। साथ ही उन्होंने बीजेपी की स्थिति प्रदेश में बहुत अच्छी नहीं, लोकतंत्र में सरकार और विपक्ष दोनों का मजबूत होना आवश्यक, मैंने बीजेपी में रहते हुए प्रदेश की लीडरशिप पर सवाल उठाए थे।पत्रकारों से चर्चा के बाद नंदकुमार साय अमरकंटक रवाना हुए। जहा से वे नर्मदा दर्शन के बाद रतनपुर माँ महामाया के दर्शन के बाद रायपुर रवाना हुए।