आबकारी टीम ने वेश बदलकर मारा छापा

बरेली भोजीपुरा इलाके में मंगलवार को शराब तस्करों को पकड़ने के लिए वेश बदलकर छापा मारने पहुंची आबकारी टीम खुद मुश्किल में फंस गई। ग्रामीणों ने किडनैपर समझकर टीम को बंधक बना लिया। ग्रामीणों के बीच घिरी टीम की सूचना पर आबकारी और पुलिस कर्मी वर्दी में मौके पर पहुंचे तो ग्रामीण पीछे हटे। काफी देर तक वहां अफरा-तफरी का माहौल बना रहा।आबकारी टीम को भोजीपुरा इलाके में कच्ची शराब की तस्करी होने की सूचनाएं मिल रही थी। मंगलवार को सूचना पर टीम मझौआ गांव के पास पहुंची। कंचनपुर से मझौआ मार्ग की ओर आ रहे बाइक सवार दो लोगों को पकड़कर उत्तराखंड नंबर की कार में बिठा लिया। टीम में शामिल सिपाही मुनाजिर हुसैन ने लुंगी पहन रखी थी। इस पूरे घटनाक्रम को मझौआ के ही दो लोगों ने देखा। उन्होंने गांव में सूचना दे दी।आबकारी टीम तस्करों को लेकर जैसे ही मझौआ में पहुंची, पहले से तैयार खड़े ग्रामीणों ने कार रुकवाकर बंधक बना लिया। ग्रामीणों को लगा कि ये अपहरणकर्ता हैं और युवकों को अगवा करके ले जा रहे हैं। हालांकि आबकारी टीम ने बार-बार बताने की कोशिश भी की लेकिन लोग मानने को तैयार नहीं थे। ग्रामीण भोजीपुरा थाने की पुलिस के नहीं आने तक न छोड़ने की जिद पर अड़े रहे। इसकी सूचना क्षेत्रीय आबकारी इंस्पेक्टर जितेंद्र प्रताप सिंह को दी गई।आबकारी इंस्पेक्टर भोजीपुरा थाने का पुलिस फाेर्स लेकर मौके पर पहुंचे और टीम को छुड़ाया। इसके बाद पकड़े गए शराब तस्करों को भोजीपुरा पुलिस के हवाले कर दिया गया। जिला आबकारी अधिकारी विजय प्रताप सिंह ने बताया कि ग्रामीणों को कुछ गलतफहमी हो गई थी। मामले में भोजीपुरा के चौपारा शुमाली निवासी यशपाल, हाफिजगंज थाना क्षेत्र के मिलक निवासी बबलू के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है। शराब के 40 पाउच, बाइक बरामद हुई है।उत्तराखंड नंबर से गहराया शक, सिपाही दिखाते रहे आईकार्ड आबकारी टीम को बंधक बनाने वाले ग्रामीणों का शक उत्तराखंड नंबर की कार से गहराया था। गैर राज्य की कार को देखकर लोगों को लगा कि ये लोग अपहरणकर्ता हैं। ग्रामीणों के चंगुल में फंसे सिपाही ने अपना परिचय बताकर आईकार्ड और वर्दी के साथ फोटाे भी दिखाए लेकिन ग्रामीण नहीं माने। ग्रामीणों के कब्जे से छूटने के बाद सिपाहियों ने कार में रखी वर्दी को तत्काल पहन लिया।अकेले वाहवाही लूटने में झेलनी पड़ी जलालत अक्सर अकेले ही कार्रवाई कर वाहवाही लूटने की काेशिश में आबकारी टीम फंस जाती है। मंगलवार को भी ऐसा हुआ। घटना के बाद विभाग के ही लोग दबी जुबान कह रहे हैं कि शराब तस्करों को पकड़ने से पहले टीम अगर स्थानीय पुलिस से संपर्क कर मदद ले लेती तो शायद इस फजीहत का सामना नहीं करना पड़ता लेकिन आबकारी टीम खुद ही कार्रवाई का पूरा श्रेय लेने की फिराक में थी। लिहाजा, जलालत झेलनी पड़ी। ऐसा पहली बार नहीं है बल्कि अक्सर आबकारी टीम अपने ऑपरेशन को स्थानीय पुलिस से साझा नहीं करती है। क्षेत्रीय लोगों के बीच परिचय न होने की वजह से दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं।