Hardoi News:-श्री गायत्री महायज्ञ में यज्ञ के महत्व का वर्णन करते:-कथा व्यास गोविंदाचार्य

हरदोई।ग्राम बिलालपुर में चल रहा 32 वा श्री गायत्री महा यज्ञ में गोविंदाचार्य ने बताया यज्ञ भारतीय संस्कृति का आदि प्रतीक है। हमारे धर्म में जितनी महानता यज्ञ को दी गई है, उतनी और किसी को नहीं दी गई। हमारा कोई भी शुभ-अशुभ धर्म-कृत्य यज्ञ के बिना पूर्ण नहीं होता। जन्म से लेकर अन्त्येष्टि तक 16 संस्कार होते हैं। इनमें अग्निहोत्र आवश्यक है। जब बालक का जन्म होता है, तो उसकी रक्षार्थ सूतक-निवृत्ति घरों में अखंड अग्नि स्थापित रखी जाती है। नामकरण, यज्ञोपवीत, विवाह आदि संस्कारों में भी हवन अवश्य होता है। अन्त में जब शरीर छूटता है तो उसे अग्नि को ही सौंपते हैं। अब लोग मृत्यु के समय चिता जलाकर यों ही लाश को भस्म कर देते हैं, पर शास्त्रों में देखा जाय, तो वह भी एक यज्ञ है। इसमें वेद मन्त्रों से विधिपूर्वक आहुतियां चढ़ाई जाती हैं और शरीर को यज्ञ भगवान के अर्पण किया जाता है।
शास्त्रों में यज्ञ की महत्ता पर बहुत कुछ कहा गया है?

??यज्ञो वै श्रेष्ठ तमं कर्म??