अवधूत दीक्षा लेकर ओमप्रकाश पोनियाँ बने प्रकाशानंद अवधूत महाराज

खेरागढ़ - सन्यास का मार्ग मात्र बिरले साधक ही चुन सकते हैं। जिनका मन निष्काम कर्म करते-करते पवित्र हो गया है संसार की आसरिक्तयों गौण पड़ती जा रही है वही यह मार्ग अपनाने की सोचें। परन्तु जिनके मन में द्वन्द्व है, संषष्ज्ञ्र हैं कभी मन इधर दौड़ता है कभी उधर उनके लिए सन्यास एक सिरदर्द बन जाता है। ऐसे व्यक्ति के लिए भगवद्गीता कहती हैं-
संन्यासस्तु महाबाहो दु:खमाप्तुम् अयोगत:
कस्बा स्थित ब्रजधाम उदासीन आश्रम पुल वाले हनुमान मंदिर पर स्वामी बृजानंद जी महाराज अवधूत कोदरिया सरकार की परम कृपा और आशीर्वाद से गृहस्थ जीवन का त्याग कर भैंसोन खेरागढ़ निवासी ओमप्रकाश पोनियाँ गुरु पुर्णिमा के पावन के पर्व पर अवधूत की दीक्षा लेकर स्वामी प्रकाशानंद महाराज अवधूत बन गए हैं। बृजधाम उदासीन आश्रम खेरागढ़ के महंत स्वामी ज्ञानानन्द जी महाराज (डॉ बाबा) ने उन्हें दीक्षा संस्कार देकर उनको अपना कार्यभार देकर मंहत गद्दी सौंप दी है। अब उन्हें महंत स्वामी प्रकाशानंद महाराज अवधूत के नाम से जाना जाएगा। उन्हें दीक्षा संस्कार देने महंत उनके बड़े भाई हैं।विगत कई सालों से उन्होंने घर परिवार का त्याग कर दिया था।