मनुष्य जीवन अनमोल है इसकी सार्थकता धर्म कार्य में प्रवृत्त होने में ही है :-गौतम मुनि गुणाकर

धर्म नारायण पुरोहित की रिपोर्ट

राजसमंद 12 मार्च मानव अपने मन को परमात्मा के चरणों में समर्पित कर दें, अपना मन धर्म के कार्य में लगा ले। ऐसे मानव सौभाग्यशाली है। मनुष्य जीवन बड़ी मुश्किल से मिलता है, आगामी जीवन को सार्थक बनाना है तो सभी गुणों को अपनाना है। गौतममुनि 'गुणाकर' ने शनिवार को ताल ग्राम में धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि सद्गुरु के चरणो में बैठकर कार्य करें तो जीवन धन्य हो जाता है। सद्गुरु का सानिध्य मिलने से मानसिक खुशी मिलती है, धर्म का दूसरा पहलू आंतरिक संदेश है जो सर्व उपयोगी होता है। इससे पूर्व सागर मुनि ने कहा कि वसंत और संत आते हैं तो धर्म का प्रकाश लेकर आते हैं जहां धर्म होता है वहां आंतरिक प्रकाश होता है। दया और अहिंसा धर्म का प्रकाश है। विनयमुनिजी 'वागीश' श् गौतममुनिजी, संजयमुनिजी, सागरमुनिजी के ताल पधारने पर ताल के जैन धर्मावलंबियों ने स्वागत अभिनंदन किया।
धर्म सभा में लसानी,भीम, ज्ञानगढ़, कलादेह, उत्तर गुजरात संघ, देवगढ़ आदि अनेक गांवों के सदस्य उपस्थित हुए।
ताल गौशाला (जय जैन गौशाला) पधारने पर स्व. श्रीमती शीलाबाई की स्मृति में नेमीचंद नितिनकुमार दलाल के सौजन्य से गौ माताओं को मीठा भोजन लापसी खिलाई गई। गौशाला में गुरुदेवों का स्वागत किया। लापसी खिलाने में ग्राम वासियों ने सहयोग प्रदान कर पुण्य उपार्जन किया।
सभा का संचालन मंत्री प्रकाश जैन ने किया।