एसीबी के चंगुल में फंस सकते हैं राजस्व विभाग के अधिकारी- कर्मचारी।


बलरामपुर :-- जिले में बहुचर्चित मामलों में जाना जाने वाला होगा यह प्रकरण जिसमें करोड़ों के घोटाले का खुलासा होगा मामला गंभीर होने की वजह से शिकायतकर्ता ने राजेश मरावी ने इस मामले को राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो छत्तीसगढ़ रायपुर मुख्यालय में शिकायत दी है जिसे एंटी करप्शन ब्यूरो ने आवेदन को स्वीकार करते हुए भूमि घोटाले में संलिप्त राजस्व अधिकारियों की भूमिका एवं सम्मिलित दलालों की जांच का जिम्मा लिया है वही उम्मीद लगाई जा रही है कि एसीबी के जांच की आंच में राजस्व विभाग के कई बड़े अधिकारियों की भूमिका का खुलासा हो सकता है शिकायतकर्ता राजेश मरावी ने बताया है कि तहसील कार्यालय से लेकर कमिश्नर कार्यालय तक के राजस्व अधिकारी कर्मचारी इस मामले में संलिप्त है जिसकी सूक्ष्मता से जांच के लिए राज्य एंटी करप्शन ब्यूरो के पास शिकायत दिया हूं राजेश मरावी ने बताया कि मेरे सगे संबंधियों एवं मेरे नाम की भूमि जिसका खसरा नंबर 1272 एवं रकबा 0. 42 हेक्टर है इसे राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से बगैर मुझे नोटिस किए ही नाबालिक एवं शासकीय कर्मचारी के पुत्र मिथिलेश दुबे के नाम पर नामांकित कर दिया गया है 1980 - 81 में राजस्व प्रमाण पंजी में अंकित नाम इस बात का तो तक है कि राजस्व विभाग केi बड़े अधिकारी कर्मचारियों की संलिप्तता से ही आदिवासियों के जमीन के घोटाले हुए हैं
राजेश मरावी ने आरोपपत्र में उल्लेख किया है कि पूर्व में जारी पट्टा आदिवासियों के नाम पर थी जिसका पुराना खसरा क्रमांक 493 /8 , 493 /9, 493/ 10 493/ 11 ,493 /12 493/13 जिन का रकबा लगभग 25 एकड़ है उपरोक्त भूमि को राजस्व अधिकारियों के द्वारा आदिवासियों के नाम से हटाकर शासकीय कर्मचारी के नाम एवं उनके परिजनों के नाम पर अंकित कर दिया है वही आदिवासी के भूमि को मध्य परिवर्तन करते हुए राजस्व अधिकारियों के द्वारा सामान्य वर्ग के व्यक्ति के नाम पर नामांकित कर क्रय - विक्रय करने की अनुमति प्रदान की गई एवं आदिवासी की भूमि को टुकड़े- टुकड़े में बिक्री कर दिया गया है जिसमें विक्रेता के द्वारा आनन-फानन में उपरोक्त भूमि को अन्य लोगों के साथ - साथ अपनी पत्नी के नाम से भी बिक्री करना बताया है वही बारीकी से जांच कराए जाने पर लगभग सैकड़ों एकड़ भूमि घोटाले का भी खुलासा होने का अंदेशा जताया है
बलरामपुर जिला भू - माफियाओं के चंगुल में फंसा हुआ है यही कारण है कि यहां पर अब तक कई मामले जमीन से जुड़े घोटाले की खुलासा हो चुकी है एवं जेल में भी भू माफियाओं को भेजा जा चुका है भू- माफियाओं के विरुद्ध प्रशासन की बड़ी कार्यवाही के बावजूद भी लगातार जमीन के घोटाले से जुड़े मामले सामने आ रहे हैं ऐसा ही एक मामला बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर तहसील मुख्यालय का है जो महज तहसील कार्यालय से 400 मीटर की दूरी पर स्थित है माफियाओं का इतना हौसला बुलंद है की वाड्रफनगर , नगर पंचायत की भूमि *दौड़ती, भागती, उड़ती* हुई नजर आ रही है ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि कई किसानों के पास ऋण पुस्तिका घर में रखा हुआ है एवं घर मकान बना हुआ है परंतु राजस्व विभाग के कारनामे से भूमि उस स्थान से उड़कर चलकर अन्यत्र स्थान पर स्थित हो गई है ऐसे कई प्रकरण अभी भी तहसील कार्यालय के इर्द-गिर्द लटके पड़े हुए हैं दरअसल मामला 20 वर्ष पूर्व होने के नाते कई अधिकारी एवं कर्मचारी अनंत्र हो चूके होंगे वही मामला काफी गंभीर एवं संवेदनशील है उपरोक्त मामले की जांच पूर्व में शिकायतकर्ता के द्वारा पुलिस महानिरीक्षक सरगुजा रेंज एवं आयुक्त सरगुजा से भी की जा चुकी है जिसकी जांच चल रही है
ऐसे में देखने वाली बात होगी कि क्या राजस्व विभाग के बड़े घोटाले के खुलासे में सरकार मामले को संज्ञान में लेकर जांच कराते हुए दोषी पाए जाने पर दोषी अधिकारी - कर्मचारियों के विरुद्ध बर्खास्त की कार्यवाही करती है या भू- माफियाओं के साथ चल रहे व्यवसाय को फलने - फूलने का अवसर प्रदान करती है