क्या कोरोना जांच टीम के साथ किसी ने अभद्रता की या फिर पूरा मामला उल्टा है?


रायबरेली-कल स्वास्थ्य कर्मियों से अभद्रता की खबर पर हर तरफ आलोचना शुरू हो गई लेकिन क्या यह मामला सही है या फिर इसमें कुछ उल्टा ही है। हम यह बात इसलिए कह रहे हैं क्योंकि बाद में इस मामले की पूरी जानकारी होने के बाद यह लगता है कि गलती स्वास्थ्य विभाग की टीम की है जो साफ उजागर हो रही है।दरअसल लैब टेक्नीशियन की टीम को कई जगह पर लगाया गया है। उनका काम है कि सड़क पर चलने वाले लोगों का करोना चेक करें। अगर उनको किसी प्रकार के संक्रमण होने की संभावना है तो तत्काल जिला अस्पताल में भर्ती करें। उनका नाम, पता और आधार नंबर नोट कर लिया जाता है साथ में मोबाइल नंबर भी लिया जाता है।
कल स्वास्थ्य विभाग की एक टीम सुपर मार्केट में लगाई गई थी। स्वास्थ्य कर्मियों का आरोप है कि एक प्रभावशाली व्यक्ति ने 2 लोगों की जांच करने पर आपत्ति की और उनके साथ गाली गलौज की जहाँ बगल में पुलिस चौकी भी है लेकिन यह बात क्या सही है की ऐसी कोई घटना हुई है।इसको समझने के लिए जरा जांच के विषय में जानकारी ले ले।
स्वास्थ विभाग की टीम जोकि सड़क पर चलने वाले की जांच करती हैं। उसको एक टारगेट दिया जाता है कम से कम 150 लोगों का सैंपल उनको लेना होता है। ऐसे में टीम के जो साथ चलने वाले कर्मचारी हैं वह लोगों के साथ जबरदस्ती भी करते हैं और उन्हें दौड़ा कर पकड़ भी लेते हैं, कल भी कुछ ऐसी ही घटना हुई थी।
सूत्रों की माने तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दो कार्यकर्ता जिला अस्पताल में खाना वार्ड में बाँट कर वापस आ रहे थे। तभी सुपर मार्केट में लगी स्वास्थ्य विभाग की टीम के 2 लोगों ने उनकी गाड़ी रोकी और उनसे जांच कराने के लिए कहा उन्होंने अपनी पूरी बात बताइए कि वह संघ के कार्यकर्ता हैं और जिला अस्पताल में भोजन वितरण करके आ रहे हैं और उनकी जांच पहले भी हो चुकी है लेकिन टीम के साथ मौजूद लैब टेक्नीशियन ने उनकी गाड़ी से चाबी निकाल ली और उनसे जबरदस्ती जांच करवाने का दबाव बनाने लगे। जिस पर दोनों कार्यकर्ता ने फोन करके अपने उच्च अधिकारी को बुला लिया। स्वास्थ विभाग की टीम ने उनके साथ भी अभद्रता की इसी बात पर बात बिगड़ गई।सूत्रों की माने तो लैब टेक्नीशियन का आरोप गलत साबित होता नजर आ रहा है कि उसके साथ गाली गलौज की गई क्योंकि बगल में पुलिस चौकी है और वहां सीसीटीवी कैमरा भी लगा हुआ है फोटो में साफ देखा जा सकता है कि वहां पर कम से कम 10 पुलिसकर्मी भी हैं क्योंकि मामला चौकी के बगल का था।
ऐसी ही कुछ घटना है गोरा बाजार चौराहे पर भी आपको देखने को मिल जाएंगी। गांव देहात से आने वाले लोगों को यह टीम दौड़ाकर पकड़ती है और जबरन उनका सैंपल लेती है क्योंकि इस टीम को अपना रोज का टारगेट पूरा करना होता है।हो सकता है कि जांच न करवाने पर बहस हुई हो लेकिन गाली गलौज और मारपीट की घटना बिल्कुल गलत है। वहां मौजूद आसपास के लोगों ने इसकी पुष्टि की है कि किसी प्रकार की कोई गाली गलौज नहीं हुई है और न ही मारपीट करने की बात हुई है।लोगों ने यह भी बताया कि यह लोग जबरन लोगों को रोक लेते हैं और उनका सैंपल लेने का प्रयास करते हैं। संघ के दोनों कार्यकर्ता के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था और कार्यकर्ता ने जब विभाग की टीम के साथ मौजूद लैब टेक्नीशियन से यह कहा कि आपको गाड़ी की चाबी निकालने का अधिकार किसने दिया तो उसने साफ कहा कि तुम्हें जांच करानी पड़ेगी। तुम चाहे जो हो और चाहे जहां से आ रहे हो इसी बात को लेकर विवाद बढ़ गया।स्वास्थ्य विभाग की जो टीम लगाई गई हैं,उनकी ऐसी शिकायतें कई जगह से आई हैं।यह लोग अभद्रता करते हैं और व्यक्ति से जबरदस्ती जांच कराने का दबाव बनाते हैं।