पंचायत सचिव अपने ही उच्चाधिकारियों पर पड़ रहा है भारी,  सीडीओ के आदेश के बाद भी दोषी पाए गए रोजगार सेवक व बैंक मित्र के खिलाफ नहीं दर्ज कराई गई FIR

पंचायत सचिव अपने ही उच्चाधिकारियों पर पड़ रहा है भारी, सीडीओ के आदेश के बाद भी दोषी पाए गए रोजगार सेवक व बैंक मित्र के खिलाफ नहीं दर्ज कराई गई FIR

अमेठी: संग्रामपुर ब्लॉक के धौरहरा ग्राम पंचायत में पीएम आवास योजना की लाभार्थी दलित महिला से आवास की दूसरी किश्त दिलाने के नाम पर बैंक मित्र की सहायता से रोजगार सेवक ने धोखाधड़ी कर 20 हजार रूपए निकाल लेने के मामले में 6 फरवरी को मीडिया में खबर चली तो सीडीओ के आदेश पर 8 फरवरी को संग्रामपुर बीडीओ के साथ पीडी ने मामले का भौतिक सत्यापन कर लाभार्थी व ग्रामीणों का बयान लिया जिसमे मामला सही पाया गया और अपनी रिपोर्ट सीडीओ को सौंप दी।
रिपोर्ट पढ़ने के बाद सीडीओ ने बीडीओ संग्रामपुर को दोनों कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया। उक्त आदेश के बाद बीडीओ संग्रामपुर ने पंचायत सचिव को पत्र लिखकर FIR दर्ज़ कराने का आदेशित किया लेकिन पंचायत सचिव ने आज तक धोखाधड़ी मे लिप्त पाए गए दोनों कर्मियों के विरुद्ध FIR दर्ज नहीं सके।
यहां गौरतलब बात ये है कि पंचायत सचिव सीडीओ /बीडीओ के आदेश को न मानकर मनमानी कर रहा है या खुद भी उक्त धोखाधड़ी मे हिस्सेदार होने के कारण दोनों कर्मियों को किसी तरह से बचाने की कोशिश रहा है जबकि सीडीओ ने जांच वाले दिन ही FIR दर्ज़ कराने का आदेश कर दिया था।
वहीं जब इस प्रकरण पर बीडीओ संग्रामपुर से जब इस संवाददाता ने कार्यवाही किए जाने के बावत जानकारी ली तो उन्होंने कहा कि रोजगार सेवक का नियुक्ति प्राधिकारी पंचायत सचिव होता है इसलिए उसमे कार्यवाही उसे ही करना है। कार्यवाही करने के लिए पंचायत सचिव को पत्र लिख दिया गया है।
यहां देखने वाली बात ये भी है कि एक जिलास्तरीय अधिकारी ने जांच में दोषी पाए जाने पर शाम तक कार्यवाही करने का आदेश दिया तो वहीं दूसरे अधिकारी ने पंचायत सचिव को पत्र लिखकर अपने कर्तव्यों से इतिश्री कर ली उसके बाद गेंद अब पंचायत सचिव की पाले में जा गिरी। देखना ये होगा कि इस प्रकरण में अब पंचायत सचिव किसके पाले में गेंद डालता है।