जी-9 प्रोजेक्ट में पेड़ों की शिफ्टिंग के नाम पर जारी कथित कटाई, वन विभाग के आदेशों की भी अनदेखी, अहलूवालिया कंपनी की कार्यप्रणाली पर गहराया विवाद…

CITIUPDATE NEWS(संतोष सारथी)जिले के बाल्को क्षेत्र में चल रहे बहुचर्चित जी-9 प्रोजेक्ट पर पेड़ों की सुरक्षा को लेकर नए सवाल खड़े हो रहे हैं। परियोजना क्षेत्र में जिन बड़े और पुराने पेड़ों को तकनीकी प्रक्रिया के तहत सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जाना था, वहां अहलूवालिया कंपनी द्वारा पेड़ों की शिफ्टिंग के बजाय उनकी अनावश्यक छटाई की जा रही है। यह छटाई धीरे-धीरे पेड़ काटने की दिशा में बढ़ रही है, जिससे क्षेत्र के सैकड़ों वर्ष पुराने वृक्ष भी समाप्त होने की कगार पर पहुंच सकते हैं। परियोजना मापदंडों के अनुसार, निर्माण कार्य शुरू होने से पहले पूरे हरित क्षेत्र का सर्वे अनिवार्य है और पेड़ों को ट्रांसप्लांटेशन तकनीक से सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जाना चाहिए। लेकिन जमीनी स्तर पर इन नियमों का पालन होता नहीं दिख रहा है। अहलूवालिया कंपनी लागत बचत के लिए पेड़ों की कटाई को छटाई का नाम देकर आगे बढ़ा रहे हैं। प्रोजेक्ट के राजनीतिक पक्ष भी लगातार सुर्खियों में हैं। एक ओर वर्तमान मंत्री ने भूमि पूजन कर प्रोजेक्ट को मंजूरी प्रदान की है, वहीं दूसरी ओर पूर्व मंत्री लगातार इस परियोजना से पर्यावरण को हो रहे नुकसान की शिकायतें प्रशासन को भेज रहे हैं। उनका कहना है कि विकास के नाम पर हरित संपदा की अनदेखी किया जाना गंभीर लापरवाही है। स्थानीय नागरिकों का मानना है कि जिस गति से पेड़ों की छटाई की जा रही है, उससे आने वाले समय में क्षेत्र में पर्यावरणीय असंतुलन पैदा होना तय है। तापमान बढ़ने से लेकर हरित पट्टी घटने और वायु प्रदूषण बढ़ने तक के खतरे सामने दिखाई दे रहे हैं। सबसे गंभीर मामला वन विभाग के आदेशों की खुली अवहेलना का है। विभागीय अधिकारियों द्वारा पेड़ों की कटाई रोकने और केवल आवश्यक तकनीकी प्रक्रिया अपनाने के स्पष्ट निर्देश दिए गए थे, लेकिन मौके पर इन आदेशों का पालन होता नहीं दिख रहा है। अहलूवालिया कंपनी द्वारा लगातार कटाई और छटाई जारी रहने से यह स्पष्ट है कि वन विभाग के निर्देशों को नजरअंदाज किया जा रहा है। जनप्रतिनिधियों, समाजसेवकों और पर्यावरण संगठनों ने प्रशासन से इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। साथ ही प्रोजेक्ट कार्यों पर तत्काल रोक लगाकर पेड़ों की वास्तविक स्थिति सार्वजनिक करने की मांग भी तेज होती जा रही है। फिलहाल, जी-9 प्रोजेक्ट विकास से ज्यादा विवादों में घिरता नजर आ रहा है और आने वाले दिनों में यह मामला और अधिक गंभीर रूप ले सकता है।