श्रद्धासुमन अर्पित कर मनाई गई पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय पं श्रीपति मिश्रा की 23वीं पुण्यतिथि  

सुलतानपुर : उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री पण्डित श्रीपति मिश्र अजातशत्रु थे।समाज सेवा के लिए उन्होंने न्यायाधीश जैसी प्रतिष्ठित सेवा को त्याग कर एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया है। लोकोपकार के प्रति समर्पित रचनात्मक राजनीति के पुरोधा पारदर्शी प्रशासक के पुरस्कर्ता पंडित श्रीपति मिश्र का जन्म 20 जनवरी 1924 को जौनपुर जनपद की तहसील शाहगंज के शेखपुर गांव में प्रतिष्ठित राजकीय वैद्य पंडित राम प्रसाद मिश्र के पुत्र के रूप में हुआ था। इनकी माता श्रीमती जसराजी मिश्रा धार्मिक विचारों वाली उदार महिला थी। पंडित श्रीपति मिश्रा की प्रारंभिक शिक्षा गांव में तथा हाई स्कूल की शिक्षा राजकीय हाई स्कूल सुलतानपुर में संपन्न हुई थी। इंटर की परीक्षा काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी से उत्तीर्ण किया। 1947 में एम ए और एलएलबी की उपाधियां एक साथ प्राप्त किया। सम्मोहक व्यक्तित्व के धनी स्वर्गीय श्रीपति मिश्र में राजनीतिक और सामाजिक चेतना का प्रस्फुटन 14 वर्ष की अवस्था में उस समय दृष्टिगत हुआ जब उन्होंने 1937 में विद्यार्थियों की समस्याओं के निराकरणार्थ अपने विद्यालय में भूख हड़ताल पर बैठ गए थे। 1941 ईस्वी में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय बोर्ड यूनियन के सचिव के रूप में पंडित जी का चुना जाना वास्तव में नेतृत्व क्षमता का प्रस्थान बिंदु था। 1941 में अपने गृह जनपद सुलतानपुर में अधिवक्ता के रूप में कार्य प्रारंभ किया और सार्वजनिक जीवन की जिम्मेदारियों के प्रति सचेष्ट हुए। 1952 ईस्वी में अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को सामाजिक कार्यों के प्रति दायित्व के निर्वहन में आगे बढ़ते हुए सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव पहला चुनाव लड़ा सफल नहीं हुए और 1954 में जुडिशल मजिस्ट्रेट का पदभार ग्रहण करते हुए 1958 तक दायित्वों का निर्वहन किया। लेकिन यह पद पंडित जी के लोक जीवन में जोड़ी सक्रिय जिम्मेदारियों के निर्वहन में बाधक बना रहा। अतः उन्होंने 1958 में ही इस पद से त्यागपत्र देकर पुनः वकालत और राजनीति के क्षेत्र में सक्रिय होकर समाज सेवा में लग गए ।कांग्रेस के टिकट पर पंडित श्रीपति मिश्र 1962 ईस्वी में विधायक निर्वाचित हुए पुनः 1967 में विधायक चुने गए इस बार पंडित जी को विधानसभा उपाध्यक्ष का पद सौंपा गया। 1969 के लोकसभा के उपचुनाव में भारतीय क्रांति दल के टिकट पर सांसद बने, चौधरी चरण सिंह के अनुरोध पर लोकसभा से त्यागपत्र देकर उनकी पार्टी में शिक्षा मंत्री के रूप में शामिल हुए। 1970 से 1976 तक विधान परिषद सदस्य के रूप में देश सेवा में आप डटे रहे। 1976 में राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष तथा 1980 में पुनः विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए और 1980 में ही विधानसभा अध्यक्ष के गरिमा पूर्ण पद को अलंकृत किया। स्वर्गीय पंडित के राजनीतिक जीवन की पराकाष्ठा 1982 में दिखाई पड़ी जब उन्होंने देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की बागडोर संभाली 1984 तक सफलतापूर्वक प्रशासनिक क्षमता सामाजिक समरसता एवं सर्वधर्म समभाव की मानसिकता ने उन्हें लोकप्रिय बना दिया और वह सच्चे अर्थों में भारतीय राजनीति के अजातशत्रु थे ।1985 से 1989 तक मछली शहर जौनपुर से सांसद के रूप में सक्रिय रहे पार्लियामेंट्री एसोसिएशन की बैठक में भाग लेते हुए बर्मा, लुसाका, जांबिया, मारीशस तथा श्रीलंका की यात्राएं की। सांसद शिष्टमंडल के प्रतिनिधि के रूप में मंगोलिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, हांगकांग, जापान और सेसिल दीप समूह आदि देशों की सफल यात्राएं की तथा अपनी अविस्मरणीय भूमिका का निर्वहन किया ।स्वर्गीय पंडित श्रीपति मिश्र ने जीवन पर्यंत अपने सार्थक उपक्रमों के माध्यम से मानवता के विकास का पथ प्रशस्त किया। सांप्रदायिकता संकीर्णता और हठवादिता के ऊपर उठकर उन्होंने सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय को अपना लक्ष्य बनाया। जिसकी पूर्ति के लिए शिक्षा को आधारभूत अनिवार्य तत्व मानते थे। पूर्व मुख्यमंत्री पंडित श्रीपति मिश्र की काया दिनांक 7- 12- 2002 को पंचतत्व में विलीन हो गई। पर अब उनके विचार आज भी जीवित हैं और समाज के लिए प्रत्येक प्रभावोत्पाद हैं। ऐसे निष्काम कर्म के साधक स्मृति शेष पंडित श्रीपति मिश्र की 23 वीं पुण्यतिथि 7 दिसम्बर 2025 को आयोजित की गई। पंडित श्रीपति मिश्र की तेईसवीं पुण्यतिथि के इस पावन अवसर पर तव्वकलपुर नगरा सूरापुर स्थित पण्डित श्रीपति मिश्र महाविद्यालय परिसर में शान्ति पाठ, श्रद्धांजलि सभा,कम्बल वितरण, विशिष्ट अतिथियों का सम्मान समारोह पण्डित श्रीपति मिश्र के छोटे सुपुत्र प्रमोद मिश्रा छोटे मुन्ना के संयोजन में आयोजित किया गया। इस अवसर पर संत तुलसीदास पीजी कॉलेज कादीपुर के पूर्व प्राचार्य प्रो इन्दुशेखर उपाध्याय ने पंण्डित जी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि- बहुमुखी प्रतिभा के धनी, कुशल राजनीतिज्ञ, स्वाभिमानी व्यक्तित्व के पुरोधा, क्षेत्र के गौरव, प्रातः स्मरणीय पंण्डित जी ने न्यायाधीश के पद से होते हुए विधायक, सांसद, विधानसभा अध्यक्ष व मुख्यमंत्री तक का सफर तय करते हुए राजनैतिक क्षितिज पर अर्जित महानता अपने सत्कर्मों व सद्प्रयासो से प्राप्त किया था। श्रद्धांजलि सभा के आयोजन के अवसर पर अघोर पीठ बाबा सत्यनाथ मठ अल्देमऊ नूरपुर कादीपुर के पीठाधीश्वर अवधूत कपाली बाबा, डॉ मदनमोहन मिश्रा,शैलेन्द्र यादव ललई पूर्व मंत्री, राजेश गौतम, पूर्व विधायक भगेलूराम, नगर पंचायत अध्यक्ष आनंद जायसवाल,बार एसोसिएशन कादीपुर के अध्यक्ष बद्री सिंह, पूर्व अध्यक्ष जयशंकर तिवारी,कादीपुर ब्लाक प्रमुख डॉ श्रवण मिश्र, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ओपी चौधरी, पूर्व प्रमुख कादीपुर बीरेंद्र सिंह,पूर्व चेयरमैन प्रभुराज सिंह, कांग्रेस सुल्तानपुर जिला अध्यक्ष राणा अभिषेक सिंह,सुइथाकला जौनपुर ब्लाक प्रमुख उमेश तिवारी, संत तुलसीदास महाविद्यालय के मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष व पूर्वांचल राज्य हिन्दी दैनिक के सुल्तानपुर ब्यूरो डॉ जितेन्द्र कुमार उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार केशव मिश्रा, रमाकांत बरनवाल, राम विनय सिंह, श्याम चन्द्र श्रीवास्तव, अम्बरीष मिश्रा, हरिश्चंद्र श्रीवास्तव सहित हजारों लोग उपस्थित रहे।