प्राचीन *सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की श्री रविशंकर द्वारा सोमनाथ मंदिर में होगी पुनः प्राण प्रतिष्ठा।

*श्रीमद् भागवत पुराण, स्कंद पुराण, शिव पुराण, ऋग्वेद* में वर्णित 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे प्राचीन *सोमनाथ ज्योतिर्लिंग*की *पूज्य गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी* द्वारा *सोमनाथ मंदिर में होगी पुनः प्राण प्रतिष्ठा।*
हजार साल पहले *मुस्लिम आक्रांता महमूद गजनी* ने सोमनाथ मंदिर और ज्योतिर्लिंग को नष्ट कर भारत की सनातन संस्कृति को नष्ट करने की कोई कसर नहीं छोड़ी थी।

ऐसा ज्योतिर्लिंग जो अपने भीतर मैग्नैटिक प्रभाव से *धरती से 2 फीट ऊपर हवा* में ही स्थित था।

सोमनाथ मंदिर को नष्ट करने के साथ शिवलिंग को भी तोड़ा गया। लेकिन *अग्निहोत्री ब्राह्मणों* ने इस खंडित शिवलिंग को संभाला और खंडित शिवलिंग से ही लघु शिवलिंग तराश उसकी पूजा करते रहे।

*कांचीपुर के परमाचार्य के आदेशानुसार उन्होंने *100 साल* तक इसे बाहर नहीं निकाला।

शिवलिंग के खंड इंतजार करते रहे दक्षिण के संत रवि शंकर जी का।

अग्निहोत्री परिवार के पुजारी *सीताराम शास्त्री जी* ने *जनवरी 2025* में इस शिवलिंग के लघु रूप गुरूदेव के सुपूर्द किए।

यह ज्योतिर्लिंग खंडित जरूर हुआ पर अपने खंड-खंड से अखंड रूप में आज हम सबके बीच में हैं।

*हमारा सौभाग्य है कि ही गुरुदेव के कृपा से* *दिव्य सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन हमें घर* *बैठे अपने शहर श्री गंगानगर, में 16 नवंबर* *25, दिन रविवार, समय संध्या 4-7 बजे,* *महासत्संग में हो रहे हैं, जो कि ब्लूमिंग डेल्स* *इंटरनेशनल स्कूल में होने जा रहा है।*

*गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी* सही अर्थों में हमारी सनातन संस्कृति के सच्चे संवाहक हैं।
यानी


यही कारण है कि *अयोध्या में राम मंदिर* बनने के बाद अब *सोमनाथ में ज्योतिर्लिंग* की पुनः प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है और हमारी मृत प्रायः प्राचीन संस्कृति विविध रूपों में पुनःजीवित हो रही है।

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