अ भा खेत मजदूर यूनियन की नई कमेटी का गठन, दुर्गा स्वामी  प्रदेश अध्यक्ष चुनी गई

खेत मजदूर यूनियन का 9वां राज्य सम्मेलन संपन्न,

मनरेगा बचाने और निजीकरण रोकने पर जोर

श्रीगंगानगर, अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन का दो दिवसीय 9वां राज्य सम्मेलन स्थानीय पंचायती धर्मशाला में संपन्न हो गया। सम्मेलन में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के शिक्षित बेरोजगार युवाओं को धार्मिक उन्माद से बचाने, उनके भविष्य के लिए जन संघर्ष जारी रखने, मनरेगा योजना को बंद होने से रोकने तथा शिक्षा, चिकित्सा और बिजली के निजीकरण का विरोध करने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर जोर दिया गया। सम्मेलन में यूनियन का नाम बदलकर 'अखिल भारतीय खेत और मजदूर यूनियन' करने का प्रस्ताव भी पारित हुआ, साथ ही नई राज्य कमेटी का चुनाव संपन्न हुआ। प्रदेश भर से लगभग 200 प्रतिनिधियों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया।

सम्मेलन के दूसरे दिन दोपहर बाद के सत्र में यूनियन का नाम बदलने का प्रस्ताव चर्चा के बाद सर्वसम्मति से पारित किया गया। अब यूनियन का नया नाम 'अखिल भारतीय खेत और मजदूर यूनियन' होगा, जो मजदूरों के व्यापक हितों को ध्यान में रखते हुए अपनाया गया है। इसी सत्र में आगामी तीन वर्षों के लिए नई राज्य कमेटी का चुनाव भी हुआ। मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष रामरतन बगड़िया को प्रदेश महासचिव चुना गया, जबकि मौजूदा प्रदेश महासचिव श्रीमती दुर्गा स्वामी को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। अन्य पदों पर भुरामल स्वामी, पूरनसिंह शेखावत और बजरंग छींपा को उपाध्यक्ष, तथा रघुवीर सिंह, पालाराम, वकीलसिंह और मनीराम को सह-सचिव चुना गया। राज्य कमेटी के सदस्यों में पलाराम, जीतसिंह, वकीलसिंह, भूरामल स्वामी, हंसराज, श्रीमती सरोज, प्रहलाद, मेवाराम, किरपाराम, मनीराम, रघुवीर वर्मा, जगजीतसिंह जग्गी, कुंदनलाल, हेमाराम, पुष्पा शाक्य, पूरनसिंह, श्रीकांत मेहरिया, शीशपाल, दुर्गा स्वामी, रामरतन बगड़िया, ओमप्रकाश नीमकाथाना और महावीर यादव डीडवाना को शामिल किया गया है।

सम्मेलन के दौरान विभिन्न सत्रों में मजदूरों और किसानों से जुड़े मुद्दों पर गहन चर्चा हुई। आज सुबह के सत्र में प्रदेश महासचिव श्रीमती दुर्गा स्वामी द्वारा कल देर शाम पेश की गई रिपोर्ट पर बहस हुई, जिसमें करीब 25 प्रतिनिधियों ने अपनी राय रखी। इस सत्र में यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव वी. वेंकट, प्रदेश अध्यक्ष रामरतन बगड़िया, जिला अध्यक्ष जीतसिंह, उपाध्यक्ष वकीलसिंह, भूरामल स्वामी, रघुवीर वर्मा समेत अन्य वक्ताओं ने संबोधित किया। उन्होंने मजदूर वर्ग की चुनौतियों, सरकारी नीतियों के प्रभाव और संघर्ष की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

दूसरे सत्र में माकपा के सांसद और पोलित ब्यूरो सदस्य अमराराम ने मुख्य उद्बोधन दिया। उन्होंने केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार गरीब मजदूरों को उनके अधिकारों से वंचित करने की साजिश रच रही है। अमराराम ने देश में भूमिहीन गरीबों को भूमि आवंटित करने के लिए एक बड़े आंदोलन की आवश्यकता पर जोर दिया। सम्मेलन में अनेक प्रस्ताव पारित किए गए, जिनमें एक प्रमुख प्रस्ताव यह था कि सरकार के पास उपलब्ध सार्वजनिक भूमि को गरीब भूमिहीनों में वितरित किया जाना चाहिए, न कि धनाढ्य परिवारों को कौड़ियों के भाव सौंपा जाए। इसके अलावा प्रत्येक भूमिहीन खेत मजदूर को कम से कम दो एकड़ भूमि नि:शुल्क आवंटित करने की मांग को भी मंजूरी दी गई।

श्रीमती दुर्गा स्वामी ने अपने संबोधन में कहा- ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के शिक्षित तथा अशिक्षित युवाओं को नौकरियां देने की बजाय जानबूझकर उनकी धार्मिक भावनाओं को भड़काया जा रहा है और उन्माद में फंसाया जा रहा है। ऐसे में युवाओं को इस माहौल से बचाने, उन्हें एकजुट करने और उनका लक्ष्य निर्धारित करने की जरूरत है। उन्होंने आगे जोड़ा कि केंद्र सरकार की मनरेगा योजना को बंद करने की साजिश को किसी भी कीमत पर सफल नहीं होने दिया जाएगा। इसके लिए व्यापक स्तर पर संघर्ष किया जाएगा और सरकार पर दबाव बनाया जाएगा। साथ ही, शिक्षा, चिकित्सा और बिजली के निजीकरण का हर स्तर पर विरोध किया जाएगा, क्योंकि इनका सीधा असर मजदूर वर्ग पर पड़ता है।

सम्मेलन के दौरान समितियों और अध्यक्षता मंडल का गठन भी किया गया। अंत में शाम के सत्र में सभी प्रतिनिधियों ने इंकलाबी नारों के साथ एक-दूसरे को विदाई दी। यह सम्मेलन मजदूरों के अधिकारों और संघर्ष की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ, जो आने वाले समय में विभिन्न आंदोलनों को गति प्रदान करेगा