*"अतीत में हस्तियां आज सिर्फ अस्थियां:~राजेश्वरानंद"*

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* " अतीत में हस्तियां , आज सिर्फ आस्तियां "--राजेश्वरानंद *

*"अनजान मृतकों के अस्थि अवशेषों का गंगा विसर्जन"*

*"अतीत में हस्तियां आज सिर्फ अस्थियां:~राजेश्वरानंद"*

*"अस्थियां विसर्जन से यज्ञ की अनुभूति:~पूजा कालरा"*

दिल्ली 31अगस्त:~ "स्वयं को हस्ती का अभिमान व्यर्थ,क्षण में हस्ती अस्थि मात्र रह जाती है" यह संदेश दिया गया श्री राजमाता झंडेवाला मंदिर समूह के प्रमाध्यक्ष स्वामी राजेश्वरानंद जी महाराज द्वारा "अनजान मृतकों के अस्थि अवशेषों को गंगा विसर्जन" हेतु गैर सरकारी संस्था एक राहत फाउंडेशन, विश्व हिंदू परिषद के सदस्यों के साथ अस्थियों का गंगा विसर्जन हेतु प्रस्थान करने से पहले उपस्थित विशिष्ट लोगों को गोरख पार्क शाहदरा स्थित श्री राजमाता झंडेवाला मंदिर में।

श्री राजमाता झंडेवाला मंदिर समूह,एक राहत फाउंडेशन एवं विश्व हिंदू परिषद जिला नागलोई के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अस्थि विसर्जन यज्ञ के संदर्भ में राम वोहरा ने बताया कि सनातन संस्कृति में भाद्रपद मास में गणेशोत्सव को शुभकार्य हेतु अति उत्तम माना जाता हैं।इस पावन अवसर पर एक राहत फाउंडेशन की चेयरमैन पूजा कालरा एवं सेवादारों द्वारा दिल्ली के पश्चिम विहार ,शकूर बस्ती आदि विभिन्न शमशान घाटों पर अनजान मृतकों के अस्थि अवशेषों (फूलों) को एकत्रित करके दिल्ली शाहदरा गोरख पार्क स्थित मंदिर में विद्वान ब्राह्मणों द्वारा मंत्रोचारण करते हुए दूध दही शहद गंगाजल घृत आदि से निर्मित पंचामृत से अभिषेक करने के बाद पुष्प अर्पित करते हुए बृज घाट की ओर प्रस्थान किया।सर्व विदित है कि स्वामी श्री राजेश्वरानंद जी महाराज द्वारा कोरोना काल में भी अनेक कोरोना संक्रमित मृतकों का अंतिम संस्कार एवम हजारों मृतकों के अस्थि अवशेषों को गंगा विसर्जन किया गया।ब्रज घाट प्रस्थान से पहले विद्वान ब्राह्मणों द्वारा वैदिक मंत्रोचारण के साथ पूजा अर्चना की गई।लगभग 60 मृतकों के अस्थि कलश को विसर्जन के बाद गंगा किनारे साधु संतो को शॉल ओढ़ाकर प्रसाद दक्षिणा सहित देकर इन दिवंगत आत्माओं की शांति,मुक्ति हेतु प्रार्थना की जाएगी।

अनजान मृतकों के अस्थि विसर्जन के संदर्भ में स्वामी श्री राजेश्वरानंद जी महाराज ने कहा कि "मनुष्य को अपने परिवार, पैसा,पद प्रतिष्ठा का अभिमान नहीं करना चाहिए।हम जिन अनजान मृतकों के अस्थि अवशेषों को दिल्ली से गंगा विसर्जन कर रहे है अतीत में कल तक इनको भी अपनी हस्ती होने का अभिमान रहा होगा लेकिन वर्तमान में वह हस्तियां मात्र अस्थियों में परिवर्तित होकर रह गई।सनातन धर्म में यह मान्यता है कि मृत्यु पश्चात जब तक मृतक के अस्थि अवशेषों को गंगा विसर्जन नही कर दिया जाता तब तक उन्हें मुक्ति नहीं मिलती।सनातन संस्कृति के इन तथ्यों के पीछे धार्मिक के अलावा सामाजिक आध्यात्मिक एवम वैज्ञानिक आधार भी होते हैं।एक राहत फाउंडेशन की चेयरमैन पूजा कालरा ने कहा कि फिर सबसे बड़ी यह बात है कि "वसुधैव कुटुंबकम्" विचारधारा के अनुसार यह सभी अनजान मृतक हमारे ही परिवार का अभिन्न अंग रहें हैं अतः अपने कर्तव्य निर्वहन हेतु यह अस्थि विसर्जन कार्यक्रम विशेष महत्व रखता है। विश्व हिंदू परिषद जिला नागलोई के अध्यक्ष राजकुमार जिंदल,गौरव कालरा,जितेन्द्र अलघ द्वारा विशेष सहयोग प्राप्त हुआ।

स्वामी राजेश्वरानंद जी महाराज ने विशेष रूप से बताया कि पितृ पक्ष में इन अनजान मृतकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सर्व पितृ यज्ञ का आयोजन किया जाएगा जिसमें इन मृतकों के साथ वैष्णोदेवी एवं इन दिनों प्राकृतिक आपदा में मारे गए अनेक सनातनी भाइयों को श्रद्धांजलि,आत्मिक शांति हेतु "सर्व पितृ यज्ञ तर्पण"का अनुष्ठान किया जाएगा जिसमे उन स्वतंत्रता सेनानियों एवं पुण्य आत्माओं हेतु श्रद्धांजलि तिलांजलि पुष्पांजलि अर्पित किए जायेंगे जिन्होंने धर्म एवम राष्ट्र सेवा हेतु प्राण न्योछावर कर दिए।

राम वोहरा 9212315006