लाखों की स्ट्रीट लाइट लगी फिर भी नगर में अंधेरा

रायगढ़। जिले के धरमजयगढ़ नगर पंचायत में नगर को जगमगाने का सपना महज कुछ दिनों में ही अंधेरे में तब्दील हो गया। नगर पंचायत ने करीब एक करोड़ रुपये का टेंडर जारी कर स्ट्रीट लाइट लगाने का काम अम्बिकापुर व जांजगीर के ठेकेदारों को सौंपा था। ठेकेदारों ने आनन-फानन में लाइट तो लगा दी, लेकिन गुणवत्ता का हाल यह है कि दो-चार दिन भी लाइट ढंग से नहीं जल सकीं और नगर फिर से अंधेरे में डूब गया।

बताया जाता है कि अम्बिकापुर का ठेकेदार मुख्यमंत्री के कार्यक्रम से एक दिन पहले ही बिजली व्यवस्था चालू कराना चाहता था। इस जल्दबाजी में न तो खंभों की लाइनिंग सही हुई और न ही फिटिंग। जहां मन आया वहां खंभा गाड़ दिया गया। नतीजाकृकार्यक्रम के बाद से ही लाइटें एक-एक कर बंद होना शुरू हो गईं। नगर को आकर्षक बनाने के लिए खंभों पर तिरंगा लाइट लगाई गई थी। लेकिन भ्रष्टाचार और घटिया क्वालिटी का आलम यह है कि दो दिन भी वह लाइट नहीं टिक सकीं। पूरे खंभे की रोशनी अब अंधेरे में समा चुकी है।

इसी परियोजना में नगर पंचायत ने करोड़ों रुपये खर्च कर अंदर-ग्राउंड स्ट्रीट लाइट फिटिंग का काम भी दो ठेकेदारों को दिया। लेकिन यहां भी भ्रष्टाचार की वही कहानीकृफाउंडेशन बनाते समय बिजली तार डालने के लिए पाइप तक नहीं डाला गया। नतीजा, अब खुले में तार फिट किए जा रहे हैं, जिससे सुरक्षा पर भी बड़ा खतरा मंडरा रहा है।

ठेकेदारों की मनमानी पर नगर पंचायत के अधिकारी और चुने हुए जनप्रतिनिधि चुप्पी साधे हुए हैं। आरोप है कि कमीशनखोरी के लालच में जनप्रतिनिधि भी भ्रष्टाचारियों का साथ दे रहे हैं। नगरवासी सवाल कर रहे हैं जब बिल निकालने से पहले ही लाइटें बंद हो रही हैं तो बिल भुगतान के बाद इनका क्या हाल होगा? नगर की खूबसूरती और विकास जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है। ठेकेदारों की लापरवाही और करोड़ों की परियोजना में खुलेआम हो रहे भ्रष्टाचार पर नगर पंचायत परिषद अगर कड़ी कार्रवाई नहीं करती तो यह उनकी मिलीभगत मानी जाएगी। अब देखना यह है कि प्रशासन व परिषद इस करोड़ों के घोटाले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करती है या फिर कमीशन की चमक भ्रष्टाचार की अंधेरी गलियों को ढक लेती है।