टैरिफ नीति पर भारत का हर निर्णय देशहित को ध्यान में रखकर होना चाहिए

-मंगलायतन विश्वविद्यालय में अमेरिकी टैरिफ नीतियों पर हुई पैनल चर्चा

इगलास।मंगलायतन विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट आफ बिजनेस मैनेजमेंट एंड कामर्स द्वारा वैश्विक परिदृश्य में चर्चित मुद्दे ?टैरिफ या व्यापार युद्ध? अमेरिकी टैरिफ वृद्धि के वैश्विक प्रभावों को समझना? विषय पर एक महत्वपूर्ण पैनल चर्चा का आयोजन कुलपति सभागार में किया गया। इस समूह चर्चा की अध्यक्षता कुलपति प्रो. पीके दशोरा ने की। चर्चा के दौरान प्राध्यापकों, अधिकारियों और विद्यार्थियों ने सक्रिय भागीदारी करते हुए अमेरिका की टैरिफ नीतियों के वैश्विक प्रभावों पर विचार-विमर्श किया। इस चर्चा ने न केवल अमेरिका की नीतियों के वैश्विक प्रभावों पर प्रकाश डाला, बल्कि भारत की संभावनाओं और चुनौतियों पर भी गहन चिंतन का अवसर प्रदान किया।

कुलपति प्रो. पीके दशोरा ने अपने संबोधन में कहा कि हमें अमेरिका पर नहीं, बल्कि भारत पर केंद्रित होकर चर्चा करनी चाहिए। अमेरिका की नीतियों को लेकर चिंतित होने की बजाय हमें अपनी रणनीति और ताकत पर विश्वास करना होगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका की वर्तमान बौखलाहट अंततः उसकी हार में बदल जाएगी। हमें कहीं झुकने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ना चाहिए। युद्धों के बाद भी व्यापार चलता रहता है और भारत अपने प्रतिद्वंद्वियों को उचित जवाब दे रहा है। आज हमें बढ़ते देखकर पूरी दुनिया आश्चर्यचकित है, जबकि हमारे पड़ोसी देश हमारी प्रगति से असहज हैं। भारत का हर निर्णय देशहित को ध्यान में रखकर होना चाहिए। हमें अपनी सेना और सरकार पर पूर्ण विश्वास रखना चाहिए। 140 करोड़ की जनसंख्या हमारे लिए सबसे बड़ी शक्ति है, जो भारत को तेजी से प्रगति की ओर ले जाएगी।

कुलसचिव ब्रिगेडियर समरवीर सिंह ने कहा कि आज पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री की बात दोहराते हुए कहा कि आज का समय युद्ध का नहीं है। अमेरिका अक्सर अपने हथियारों की बिक्री के लिए युद्ध का माहौल बनाता है, जबकि भारत शांति और विकास का पक्षधर है। परीक्षा नियंत्रक प्रो. दिनेश शर्मा ने अमेरिका की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि ट्रंप की नीतियां विश्व के लिए खतरा बन सकती हैं। उन्होंने कहा कि भारत को इस विषय पर स्पष्ट रणनीति अपनाने की आवश्यकता है। हमें चीन-पाकिस्तान के साथ संबंधों को वास्तविकता की दृष्टि से देखना होगा। डीन एकेडमिक प्रो. राजीव शर्मा ने कहा कि मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों को अवसर में बदलना हमारी जिम्मेदारी है। अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ ने व्यापार को नए युग में प्रवेश करा दिया है। इन नीतियों से अमेरिकी उपभोक्ताओं पर भी सीधा असर होगा। यदि रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाया जाए तो यह समय हमारी अर्थव्यवस्था और उद्योगों के लिए मजबूती का कारण बन सकता है।

प्रो. अब्दुल वदूद सिद्दीकी ने कहा कि अमेरिका केवल अपने आर्थिक लाभ पर केंद्रित है। उन्होंने भारत के लिए चुनौतीपूर्ण परिस्थितियां पर चर्चा करते हुए जोर दिया कि हमें अपनी ताकत बढ़ाकर आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ना होगा। प्रो. सौरभ कुमार ने सुझाव दिया कि भारत को अमेरिका पर निर्भरता कम करते हुए नए व्यापारिक बाजार तलाशने होंगे। उन्होंने कहा कि अफवाहों से दूर रहकर हमें अपनी उत्पादन क्षमता और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने की आवश्यकता है। प्रो. अनुराग शाक्य ने कहा कि अमेरिका की वर्तमान नीतियां उसकी आंतरिक राजनीतिक परिस्थितियों का परिणाम हैं। हमने हमेशा मित्रता और व्यापार को अलग रखा है और यही नीति भविष्य में भी लाभकारी होगी। चर्चा में मीनाक्षी बिष्ट, डा. दीपिका बांदिल और छात्र आकाश व नारायण ने भी अपने विचार रखे। आभार ज्ञापन प्रो. सिद्धार्थ जैन ने किया।