ग्राम पंचायत गोधना में भ्रष्टाचार का बोलबाला – अधिनियम की धारा 40 के तहत पद से हटाए जाने तक की कार्रवाई संभव

Citiupdate के लिए समीर खूंटे की विशेष रिपोर्ट

जांजगीर-चांपा, नवागढ़।छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के नवागढ़ जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत गोधना में भ्रष्टाचार का बड़ा मामला उजागर हुआ है। 15वें वित्त आयोग से मिली लाखों की राशि हैंडपंप मरम्मत, तालाब सफाई, पंचायत भवन रंग-रोगन, शौचालय मरम्मत, नाली सफाई और गौठान सुधार जैसे कार्यों के नाम पर खर्च दिखा दी गई, लेकिन जमीनी स्तर पर इनमें से कोई भी कार्य पूरा नहीं हुआ।

ग्रामीणों का कहना है कि

हैंडपंप आज भी खराब पड़े हैं

तालाब की गंदगी जस की तस है

पंचायत भवन की दीवारों पर पुराना रंग फीका पड़ चुका है

शौचालय और नालियों की मरम्मत का तो नामोनिशान भी नहीं है

ग्राम पंचायत अधिनियम में क्या कहता है कानून?

छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम, 1993 की धारा 40 के तहत यदि किसी सरपंच या पंचायत पदाधिकारी पर वित्तीय अनियमितता, कर्तव्य की उपेक्षा या भ्रष्टाचार का दोष सिद्ध होता है, तो जनपद पंचायत का मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ), जिला पंचायत के अनुमोदन के बाद संबंधित पदाधिकारी को पद से हटा सकता है।

इसके अलावा, धारा 89(1) के तहत गबन या वित्तीय हानि की स्थिति में वसूली की कार्रवाई भी की जा सकती है, जिसमें व्यक्तिगत संपत्ति तक कुर्क करने का प्रावधान है।

प्रशासनिक प्रतिक्रिया

मामले में जब Citiupdate की टीम ने गोधना पंचायत के सरपंच और सचिव से सवाल पूछा, तो उन्होंने कैमरे के सामने बयान देने से इंकार कर दिया।

वहीं, नवागढ़ जनपद पंचायत के सीईओ ने "जांच कर कार्रवाई" का भरोसा तो दिलाया है, लेकिन ग्रामीणों को आशंका है कि यह मामला भी कई अन्य मामलों की तरह सिर्फ फाइलों में दबकर रह जाएगा।

ग्रामीणों की मांग

ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि

ग्राम पंचायत अधिनियम की धारा 40 के तहत तत्काल निलंबन व पदमुक्ति की कार्रवाई की जाए

धारा 89(1) के तहत वित्तीय हानि की वसूली की जाए

धारा 92 के अनुसार सार्वजनिक लेखा परीक्षण (ऑडिट) की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए

दोषियों पर आपराधिक मामला दर्ज कर पुलिस जांच कराई जाए

क्या होगा आगे?

अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन सचमुच इस मामले को कानूनी अंजाम तक पहुंचाएगा, या फिर यह भी ?जांच चल रही है? वाले सरकारी वाक्य के नीचे दबकर रह जाएगा।

गोधना के ग्रामीणों की नजरें अब जिला पंचायत और नवागढ़ जनपद के अधिकारियों पर टिकी हैं, जो तय करेंगे कि यह लड़ाई कागज पर खत्म होगी या न्यायालय तक पहुंचेगी।