मितानिनों का ममता से मोहभंग! 9 अगस्त को जांजगीर-चांपा सहित पूरे बिलासपुर संभाग में मितानिनें करेंगी प्रदर्शन

जांजगीर-चांपा।राज्य सरकार के वादाखिलाफी से नाराज छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य मितानिन संघ ने 7 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल और कलमबंद आंदोलन का ऐलान कर दिया है। यह आंदोलन राज्य के सभी पांचों संभागों में क्रमवार ढंग से आयोजित किया जाएगा। बिलासपुर संभाग, जिसमें जांजगीर-चांपा जिल भी शामिल है, में यह आंदोलन 9 अगस्त को ज़ोर पकड़ने वाला है।

इस दिन जिले की हजारों मितानिनें कामकाज बंद कर सड़कों पर उतरेंगी और शासन के खिलाफ न्याय और अधिकार की हुंकार भरेंगी| आंदोलन का केंद्र नया रायपुर स्थित तूता धरना स्थल रहेगा, जहां प्रदेशभर की मितानिनें एकजुट होकर प्रदर्शन करेंगी।

## जांजगीर-चांपा में भी गूंजेगी मितानिनों की आवाज़

जिले की मितानिनें जो अब तक गर्भवती महिलाओं की देखभाल से लेकर कोविडकाल की अग्रिम पंक्ति की योद्धा रही हैं, अब अपने स्वाभिमान और अधिकारों के लिए मोर्चा खोल रही हैं।

जांजगीर-चांपा जिले में कार्यरत मितानिनों की संख्या लगभग 4,500 से अधिक बताई जा रही है, जो गांव-गांव जाकर महिलाओं, बच्चों और मरीजों की देखभाल में जुटी रहती हैं। लेकिन अब वे खुद को *lशासन की अनदेखी का शिका मान रही हैं।

## मितानिनों का आरोपचुनावी वादे को तोड़ा गया

संघ की पदाधिकारियों ने बताया कि 2023 के विधानसभा चुनाव में तत्कालीन सरकार ने यह वादा किया था कि मितानिन, मितानिन प्रशिक्षक, हेल्प डेस्क फैसिलिटेटर और ब्लॉक कोऑर्डिनेटर को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत नियमित किया जाएगा।

लेकिन इस वादे के विपरीत, कार्यक्रम संचालन की जिम्मेदारी एक दिल्ली की NGO को सौंप दी गई है, जिससे मितानिनें अपने अस्तित्व और स्थायित्व को लेकर बेहद असुरक्षित महसूस कर रही हैं।

## तीन सूत्रीय मांगें, जिन पर अड़ी हैं मितानिनें

मितानिन संघ द्वारा प्रस्तुत तीन मुख्य मांगें निम्नलिखित हैं:

1. मितानिनों को NHM के अंतर्गत लाकर नियमित किया जाए।

2. मितानिन प्रशिक्षकों, हेल्प डेस्क फैसिलिटेटर और ब्लॉक कोऑर्डिनेटरों को भी समान अधिकार मिले।

3. दिल्ली की NGO से कार्यक्रम संचालन का जिम्मा वापस लेकर राज्य की मितानिन यूनिट को सौंपा जाए|

इन मांगों को लेकर मितानिनें अब आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। इससे पहले 29 जुलाई को रायपुर में एक बड़ी रैली निकालकर सरकार को चेतावनी भी दी जा चुकी है।

## जिला प्रशासन की पेशानी पर बल, स्वास्थ्य सेवाएं होंगी प्रभावित

9 अगस्त को प्रस्तावित इस आंदोलन से जांजगीर-चांपा जिले की प्राथमिक स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़ा असर पड़ सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों की एएनसी जांच, टीकाकरण, मातृ-शिशु देखभाल, संदिग्ध मरीजों की रिपोर्टिंग जैसे कई अहम कार्य प्रभावित होंगे।

मितानिनों के कामबंद और कलमबंद आंदोलन से सबसे ज्यादा प्रभावित आदिवासी और पिछड़े इलाके हो सकते हैं, जहां स्वास्थ्य केंद्रों पर मितानिनों का सहयोग ही सेवा की रीढ़ है।

## 72,000 मितानिनों की शक्ति को कम न आँके: संघ

राज्यभर में कार्यरत करीब 72,000 मितानिनें, जो अब तक स्वास्थ्य विभाग का सबसे भरोसेमंद स्तंभ रही हैं, अब अपना भविष्य सुरक्षित करने की लड़ाई लड़ रही हैं।

संघ ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि मांगें नहीं मानी गईं, तो आंदोलन पूरे प्रदेश में विकराल रूप ले सकता है।

## निष्कर्ष:

9 अगस्त, बिलासपुर संभाग और खासकर जांजगीर-चांपा जिले के लिए एक संवेदनशील तारीख बनने जा रही है। जब सेवा की देवी मानी जाने वाली मितानिनें, अपनी दुर्दशा और अधिकारों की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन के लिए विवश होंगी।

यह आंदोलन न केवल शासन के लिए चेतावनी है, बल्कि समाज और नीति-निर्माताओं के लिए भी एक सवाल है ? "जो महिलाएं दूसरों के स्वास्थ्य की चिंता करती हैं, क्या उनका हक़ नहीं बनता कि उन्हें भी सामाजिक सुरक्षा, सम्मान और स्थायित्व मिले?"

✍️ रिपोर्टसमीर खूंटे, CitiUpdate, जांजगीर-चांपा