डाइट डूंगरपुर में तीसरी वागड़ी भाषा कार्यशाला संपन्न, मोटी मोटी सोपडीये तारेस लखयंगा ज्यारे वागड़ी लखवा मय सिमरध थाय - दिनेश प्रजापति

संवाददाता - संतोष व्यास

डूंगरपुर। डाइट डूंगरपुर के विवेकानंद हॉल में वागड़ी भाषा पर तीसरी कार्यशाला का आयोजन सोमवार को किया गया, जिसका संयोजन दिनेश प्रजापति ने किया। कार्यशाला में डूंगरपुर, बांसवाड़ा और उदयपुर के साहित्यकारों ने भाग लिया। कार्यशाला में भामाशाह वागड़ श्री भुपेंद्र सिंह देवला और साहित्यकार शिक्षक जितेन्द्र मेघवाल ने सहयोग दिया। कार्यशाला का मुख्य विषय हिंदी का पैराग्राफ जो पूर्व में दिया गया है इसके वागड़ी रूपांतरण पर समूह में चर्चा व सुधार करना व वागड़ी लेखन में आने वाली कठिनाईयों पर चर्चा व समाधान करना रहा।

प्रथम सत्र में वागड़ी भाषा कार्यशाला संयोजक दिनेश प्रजापति ने तीसरी कार्यशाला कार्यक्रम के निहितार्थ उद्देश्य व कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी।

वरिष्ठ गीतकार अनुवादक साहित्यकार उपेंद्र अणु ने प्रथम और द्वितीय कार्यशालाओं का समेकन करते हुए तीसरी कार्यशाला के द्वितीय सत्र में कहा कि अपने विचार अपनी वागड़ी भाषा में संप्रेषण करने से लोककला, संस्कृति और लोकभाषा हमें स्थायित्व प्रदान करते हुए हमारी पहचान बनाएं रखती हैं। हमें हमारी वागड़ी भाषा पर गर्व नहीं अभिमान होना चाहिए। कंकू कंबध, जयप्रकाश ज्योति पूंज, अनुवादक के रूप में उपेंद्र अणु, पगरवा दिनेश पंचाल और पंखेरू नी पीडं भोगीलाल पाटीदार ने चार-चार केंद्रीय साहित्य अकादमी के सर्वोच्च पुरस्कार प्राप्त किए हैं इसलिए हमें अग्रज सृजनकर्ताओं को ध्यान में रखते हुए प्रेरणा लेकर अधिक से अधिक वागड़ी में सृजन करना होगा।

इसके पश्चात सहभागियों द्वारा पुर्व में कार्य कर लायें हिंदी पैराग्राफ के वागड़ी रूपांतरण पर समूह बनाकर वरिष्ठ साहित्यकार उपेंद्र अणु के दिशा निर्देशन में वागड़ी लेखन में आने वाली कठिनाईयों पर सामुहिक चर्चा कर सुधार किया।

तृतीय सत्र में वरिष्ठ साहित्यकार इतिहासकार घनश्याम सिंह प्यासा बांसवाडा और उपेंद्र अणु ऋषभदेव के सामने सहभागियों ने किये गये कार्य का वागड़ी में प्रस्तुतीकरण किया। प्रस्तुतीकरण पश्चात वागड़ी बोलने में आने वाली कठिनाईयों पर चर्चा व समाधान किया। वरिष्ठ साहित्यकार दिनेश पंचाल ने कहा कि वागड़ी लेखन में एकरूपता होनी चाहिए जिससे पढ़ने में सबको समझ आ सकें। मौखिक व लिखित गलतियों को सुधारना होगा।

वरिष्ठ साहित्यकारों के द्वारा भामाशाह भुपेंद्र सिंह देवला और जितेन्द्र मेघवाल का सम्मान किया गया। कार्यशाला करने हेतु विवेकानंद हांल उपलब्ध करवाने के लिए डाइट प्रधानाचार्य लक्ष्मीकांत चौबीसा और उप प्रधानाचार्य धर्मेश जैन का आभार प्रकट किया।

समापन सत्र को संबोधित करते हुए संयोजक दिनेश प्रजापति ने कहा कि मोटी मोटी सोंपडीये तारेस् लखयंगा, ज्यारे अणी सोंपडीयं मय आपडा वागड़ क्षेत्र ना किरदार आपडी बोली, भाषा, कला नै संस्कृति लई शबद शबद मय नासैंगा, तो आब्बा वाळा वगत में वागड़ नी थातीयें पीढीयं सुदी सालती रयैंगा। नयी कार्य योजना के साथ सितंबर के अंतिम सप्ताह में सागवाड़ा में चौथी कार्यशाला आयोजित होगी ।

कार्यशाला में साहित्यकार प्रदीप सिंह चौहान, भुपेंद्र सिंह देवला, हरिश्चंद्र सिंह गनोड़ा बांसवाड़ा, के प्रेमी, राधेश्याम पाटीदार, भरत मीणा, गोपाल कृष्ण सेवक, जितेन्द्र मेघवाल, रमेशचंद्र चौबीसा, सुनील पंड्या, हर्षिल पाटीदार, मनिषा पंड्या, अंजलि पंड्या, सुरेश सरगम, उपेन्द्र साद, भारती जोशी, दिनेश दबंग, प्रतिज्ञा भट्ट ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन संयोजक दिनेश प्रजापति ने और रमेश चंद्र चौबीसा ने आभार व्यक्त किया।