पीएम कुसुम योजना में बाँसवाड़ा-डूंगरपुर में 22 हजार 112 किसानों ने किया आवेदन, सिर्फ 909 को ही मिला लाभ – सांसद राजकुमार रोत

संवाददाता - संतोष व्यास

नई दिल्ली/डूंगरपुर। डूंगरपुर-बांसवाड़ा लोकसभा क्षेत्र सांसद राजकुमार रोत ने लोकसभा में एक तारांकित प्रश्न के माध्यम से प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम कुसुम योजना) के तहत किसानों के साथ हो रहे भेदभाव और लाभ वितरण में असमानता का मुद्दा उठाया।

सांसद रोत द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री भूपेंद्र यादव ने स्वीकार किया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान बांसवाड़ा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत डूंगरपुर, बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ जिलों से 22 हजार 112 किसानों ने योजना के अंतर्गत आवेदन किया, लेकिन केवल 909 किसानों को ही लाभ प्रदान किया गया।

सांसद राजकुमार रोत ने सरकार से सवाल किया कि "क्या ये आँकड़े खुद इस बात का संकेत नहीं देते कि सरकार की किसान-आदिवासी विरोधी मानसिकता अब योजनाओं के क्रियान्वयन में भी साफ झलकने लगी है?" केवल 4 प्रतिशत किसानों को ही मिला लाभ, शेष 94 प्रतिशत वंचित रहे है।�

सरकारी उत्तर के अनुसार 601 किसानों को राजस्थान सरकार के ऊर्जा विभाग द्वारा सोलर पंप आवंटित किए गए। 308 किसानों को अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड द्वारा लाभ मिला। कुल मिलाकर 909 किसान ही लाभान्वित हुए, यानी कुल आवेदनों का महज 4.11 प्रतिशत।

राजकुमार रोत ने विशेष रूप से यह सवाल उठाया कि क्या अनुसूचित जनजाति वर्ग के गरीब किसानों को पूर्ण अनुदान देने का सरकार का कोई इरादा है या नहीं?

सरकार ने जवाब में कहा कि इस योजना में सभी सामान्य वर्ग की तरह अनुसूचित जाति/जनजाति के किसानों को भी केंद्र द्वारा 30 प्रतिशत तक की वित्तीय सहायता दी जाती है, परंतु पूर्ण लागत वहन नहीं किया जाता। शेष धनराशि राज्य और किसानों को साझा रूप से वहन करनी होती है। एससी/एसटी को उक्त योजना में अतिरिक्त सब्सिडी देने का कोई मंशा नहीं है यह सरकार के जवाब से स्पष्ट होता है।

सांसद राजकुमार रोत ने सरकार से यह भी मांग की कि पीएम-कुसुम योजना में एससी/एसटी को 30 प्रतिशत के अलावा अतिरिक्त सब्सिडी दे और जनजाग्रति के लिये विशेष शिविर आयोजित किए जाएं ताकि वास्तविक ज़रूरत मंद किसानों तक लाभ पहुंच सके।