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"बहन की राखी ने बदली किस्मत, किसान का बेटा बना देश का सिपाही"

# 🇮🇳"राखी से बंधी उम्मीदें, पसीने से सींचे सपने ? जब किसान का बेटा वर्दी में लौटा"

### ✍🏻 CitiUpdate के लिए समीर खूंटे की विशेष रिपोर्ट

"हर घर की छत के नीचे एक सपना पलता है। लेकिन कुछ सपने होते हैं जो सिर्फ आंखों में नहीं, खेतों की धूल, मां की ममता और बहन के विश्वास में पनपते हैं? और जब वो साकार होते हैं, तो सिर्फ परिवार नहीं, पूरा गांव उनका माथा चूमता है।"

## 🌾 गांव की धूल से शुरू होकर देश की वर्दी तक पहुंची कहानी...

जिला जांजगीर-चांपा के एक छोटे से ग्राम पंचायत तालदेवरी में एक नाम आज हर दिल पर हैभागवत रत्नाकर।

एक ऐसा नाम, जो कुछ दिन पहले तक सिर्फ एक गरीब किसान का बेटा था, और आज देश की सुरक्षा में तैनात जवान है। लेकिन ये कहानी सिर्फ एक भर्ती की नहीं है यह एक संघर्ष है, एक आस्था है, एक बहन की राखी का चमत्कार है, और एक मां की सूनी आंखों से निकले आंसुओं की ताकत है।

## 👦 बचपन की टूटी चप्पलें और मिट्टी में उगते सपने

भागवत का बचपन आम बच्चों जैसा नहीं था। जब दूसरे बच्चे छुट्टियों में खेलते थे, तब वो अपने पिता होशराम रत्नाकर के साथ खेतों में हल चलाता था। जब गांव के बच्चे स्कूल बैग टाँगकर जाते, तब भागवत कई बार बिना चप्पल के स्कूल जाता। उसकी मां पुनीबाई अक्सर रोटी कम खाकर बेटे के लिए एक कौर बचाती थीं। बृजेश, उसका छोटा भाई, खेतों में बैलों के साथ दिन बिताता और कहता, "भैया, तू आगे बढ़, मैं पिताजी के साथ खेती संभाल लूंगा।" रामशिला, उसकी बहन, हर साल राखी बांधते हुए एक ही बात कहती "भैया, तू वर्दी जरूर पहनेगा एक दिन... भगवान से यही मांगूंगी।"

## 🎯 पहला ठोकर सेना में रिजेक्शन, फिर एयरफोर्स में नाकामी

जैसे ही भागवत ने 12वीं पास की, वो सीधे भारतीय सेना में भर्ती के लिए गया। गांव ने आशाएं बांध ली थीं, मां ने मनौती मानी थी, और बहन ने भगवान से कहा था "इस बार मेरा भैया पास हो जाए।" लेकिन कड़ी मेहनत के बाद भी उसका नाम फाइनल लिस्ट में नहीं आया। वो टूटा नहींहिला। पर रुका नहीं। फिर उसने भारतीय वायुसेना (Air Force) में आवेदन दिया। फिजिकल पास, लिखित ठीकलेकिन किसी तकनीकी कारण से फिर रिजेक्शन। उस दिन भागवत गांव के पास के पेड़ के नीचे बैठकर देर तक रोया। पिता की कमर झुकी थी, बहन की आंखें गीली थीं और मां की रोटी नमक के साथ चली गई थी।

## 🕯️"आखिरी कोशिश कर भैया, राखी पर वचन दो" एक बहन का विश्वास

2022 का रक्षाबंधन आया। बहन रामशिला ने राखी बांधते हुए हाथ नहीं, आत्मा थामी और कहा: "भैया, इस बार भी हार मान ली तो भगवान भी हार जाएगा... एक बार और, सिर्फ एक बार कोशिश कर।"

भागवत ने वादा किया "अबकी बार बहन, तेरे वचन के लिए जान लगा दूंगा।"

वो आवेदन भेजा CRPFकेंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल में। उसने फॉर्म भरते समय किसी से न कहा, सिर्फ अपने पसीने से लिखा "अबकी बार मैं खुद को साबित करूंगा।"

## 🏋️ सुबह 3 बजे उठकर दौड़ना, दिन में पसीने से भीगी मिट्टी

भागवत सुबह 3 बजे उठकर खेत की मेंड़ पर दौड़ता।दांत भींचकर अभ्यास करता। खाली पेट, कभी-कभी बिना चप्पल के, लेकिन एक संकल्प के साथ"या तो इस बार CRPF में जाऊंगा, या फिर गांव लौटने की हिम्मत नहीं होगी।"

जब दोस्तों की नींद गहराती, तब उसका अभ्यास शुरू होता।

जब घर में सब थककर सोते, तब भागवत उठकर तैयारी करता। और फिर एक दिन, उसका कॉल लेटर आयाआपका चयन CRPF के लिए हुआ है। कृपया शिवपुरी, मध्यप्रदेश में रिपोर्ट करें।

## 🔥 शिवपुरी कैंप जहां दर्द तपस्या बना और पसीना हथियार

शिवपुरी (म.प्र.) का CRPF प्रशिक्षण केंद्र कोई साधारण जगह नहीं। यहां शरीर ही नहीं, आत्मा भी परखी जाती है। जहां हर दिन युद्ध हैखुद से, हालात से, और थकान से।

भागवत ने वहां 6 महीने की कठोर ट्रेनिंग पूरी की धूप में दौड़, 20 किलो वजन के साथ चढ़ाई, हथियारों की शिक्षा, और अनुशासन का पाठ। कई बार उसका शरीर जवाब देता, घुटने फेल हो जाते, लेकिन आंखों में बस मां-पिता और बहन की तस्वीर होती।

## 📜 और फिर आया वो दिन लखनऊ से आदेश: GD Constable 93वीं बटालियन?

छह महीने बाद, जब उसका फाइनल परिणाम आयावो फूट-फूटकर रो पड़ा|

वो गांव का एक लड़का अब लखनऊ CRPF की 93वीं बटालियन में नियुक्त हुआ थावह अब एक "सैनिक" था।

## 🏡 गांव लौटते वक्त माताएं बिछ गईं, तिरंगे लहराए और डीजे पर गूंजा "संदेशे आते हैं..."

जब भागवत तालदेवरी के सेमरिया मोड़ पर पहुंचेसिर्फ गांव नहीं, इतिहास खड़ा था उनका स्वागत करने। मां पुनीबाई कांपते हाथों से तिलक किया।

पिता होशराम की आंखें भर आईं, और बस इतना बोले "अब तो जीते जी सब देख लिया बेटा..."

रामशिला ने सिर झुकाया और कहा "आज मेरी राखी सफल हो गई भैया।"

गांव में डीजे बजा "संदेशे आते हैं...",

बच्चों ने झंडे लहराए, बुज़ुर्गों ने आशीर्वाद दिए और पूरा गांव गर्व की सिहरन में डूब गया।

## 🗣️ भागवत की बात ये वर्दी मेरी नहीं, पूरे गांव की मेहनत है

Citiupdate से बातचीत में भागवत ने कहा:

"मैं किसी अकेले की जीत नहीं हूँ। यह वर्दी मेरे पिताजी के जले हुए हाथों की मेहनत है, मेरी मां की अधूरी रोटियों का आशीर्वाद है, और मेरी बहन की राखी का चमत्कार है। मैं अब सिर्फ गांव का बेटा नहीं? भारत माता का सिपाही हूं।"

## 📣 प्रेरणा हर टूटे सपने को जोड़ने वाली कहानी

भागवत रत्नाकर की यह यात्रा उस हर युवक के लिए है जो गरीबी, संसाधनों की कमी या असफलताओं से डर जाता है।

यह कहानी बताती है

"अगर बहन की राखी सच्ची हो, पिता की छांव मजबूत हो और मां की ममता साथ हो, तो कोई भी बेटा फौजी बन सकता है।"

## 🙏 जय जवान! जय भारत! जय तालदेवरी!!

✍🏻 रिपोर्ट: समीर खूंटे, CitiUpdate न्यूज़ टीम