श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान का हुआ समापन,आचार्य श्री संघ के सान्निध्य में निकली श्री जी की शोभा यात्रा 


- तारण तरण जैन चैत्यालय में हुआ स्वाध्याय
-विदिशा नगर से आचार्य श्री संघ का हुआ मंगल विहार सागर रोड़ पर


(विदिशा) चर्या शिरोमणि आचार्य श्री विशुद्धसागर महाराज स संघ के सानिध्य में श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान का हुआ समापन विगत दिवस हो गया सकल दि. जैन समाज के प्रवक्ता अविनाश जैन विद्यावाणी ने बताया विगत 13 जून से 19 जून तक श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान आचार्य श्री के संघ सानिध्य में प्रारंभ हुआ था आज प्रातःकाल हवन के साथ विश्वशांति महायज्ञ के साथ प्रतिष्ठाचार्य कमल कमलांकुर के निर्देशन में श्री जी की शोभायात्रा आचार्य श्री संघ के साथ समाप्त हुआ। आचार्य गुरुदेव के द्वारा प्रतिदिन प्रातः से लेकर दौपहर एवं संध्याकाल 8 दिवसीय देशना विदिशा नगर में हुई।सांयकाल तारण तरण दि. जैन स्वाध्याय भवन में प्रवचन के उपरांत संघ का विहार विरागोदय तीर्थ पथरिया मध्यप्रदेश की ओर हो गया प्रवक्ता अविनाश जैन ने बताया रात्री विश्राम ओलम्पस स्कूल में होकर 20 जून को प्रातःकाल आहारचर्या ग्राम हिरनई में होगी" आचार्य श्री संघ का जब विदिशा नगर से मंगल विहार हुआ तो सभी की आंखें नम थी और गुरुदेव को नारों के माध्यम से संदेश दिया *गुरु जी हमको भूल न जाना विदिशा नगर में लौटकर आना"*
इस अवसर पर आचार्य श्री ने अपने सम्वोधन में कहा कि "चित्त की प्रसन्नता और भावों की शुद्धी के लिये ऐसे ही आप लोग मिलकर सिद्धों की आराधना करते रहना और निर्ग्रन्थों की सेबा करते रहना इसी से समाज की अखंडता तथा जैनत्व के संस्कार तथा श्रमण संस्कृति की सुरक्षा होती रहेगी। उन्होंने कहा जैसे काला नाग बांबी के भीतर रहता है लेकिन जैसे ही बीन बजती है,और वह सर्प बांबी से निकल कर नाचने लगता है उसी प्रकार विदिशा के ज्ञानिओ जब जब भी प्रभु भक्ती की बीन बजे तो आप लोग सब काम छोड़कर नाचने लग जाना और निर्ग्रन्थों की सेवा में तल्लीन हो जाना उन्होंने कहा कि "अच्छे दिन कब निकल जाते है पता ही नहीं चलता" उन्होंने कहा कि जो निर्ग्रन्थ के हाथ पर ग्रास रखता है उसे नियम से सम्यक् दर्शन की प्राप्ती होती है,धन्य है वह लोग जो निर्ग्रन्थों की सेवा मेंअपनी संतान को लगाते है,आचार्य श्री ने कहा
"ज्ञानी" को बक्ता नहीं ज्ञाता होंना चाहिये। मध्यान्ह में आचार्य श्री संघ सहित अरिहंत विहार स्थित तारण समाज के स्वाध्याय भवन में पहुंचे यंहा पर सकल तारण जैन समाज ने श्री फल अर्पित किया इस अवसर पर आचार्य श्री ने कहा कि आत्मा को जानने वाला ज्ञान है,उस ज्ञान से ही यह ज्ञाता जान रहा है जैसे जल में जल की ही कल्लोले होती है उसी प्रकार इस चेतन आत्मा में ज्ञान की ही हिलोरें उठ रही है, विषय चोर जागे उसके पहले अपने आत्मज्ञान को जगाइये और अपनी आत्मा का उद्धार कर लैना चाहिये। उन्होंने आचार्य सुमति सागर महाराज जो कि मुरैना मध्यप्रदेश के थे उनके जीवन में एक घटना घटी उनको चम्वल के डाकू फिरौती के उद्देश्य से उठा ले गये रात हुई जब सभी डाकू सो गये तो वह चतुराई से भाग आये और मुनि दीक्षा ले ली ओर अपने जीवन का उद्धार कर लियि आचार्य श्री ने कहा कि संसार में विषय चोर बहुत है उनसे अपने आपको बचाइये काम इंद्रिय के विषय चोर जागें उसके पहले अपने आपको जगा लो और अपनी आत्मा का उद्धार कर लो आचार्य श्री ने कहा कि एक स्वस्थ मनुष्य को ज्यादा से ज्यादा छै घंटे सोना चाहिये।