विघ्नों से प्रभाभित मत होंना विघ्नों को बिघ्न कर दैना, साधना करोगे तो उसमें  विघ्न आऐंगे,उन विघ्नों को विघ्न कर दे वही तो योगी है:आचार्यश्री

"विघ्नों से प्रभाभित मत होंना विघ्नों को बिघ्न कर दैना, साधना करोगे तो उसमें विघ्न आऐंगे,उन विघ्नों को विघ्न कर दे वही तो योगी है" उपरोक्त उदगार चर्या शिरोमणि आचार्य विशुद्धसागर महाराज ने श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान के पांचवे दिवस व्यक्त किये
उन्होंने कहा कि पैर में कांटा लग जाऐ तो उसे सुई से ही निकाला जाता है लेकिन सुई में ही कांटा हो तो? जैसे एक मां बटोही में दाल बनाने के लिये बघार का उपयोग करती है तो बह दाल स्वादिष्ट बन जाती है उसी प्रकाश यह द्वदशांग बाणी है जो जितना अधिक अध्यन करेगा वह उतने अच्छी तरह से उस ज्ञान को परोस सकेगा।आचार्य समन्तभद्र और आचार्य कुंद कुंद स्वामी ने साधुओं को एक जगह रुकने का उपदेश नहीं दिया बल्कि चलते रहने का उपदेश दिया उन्होंने विदिशा के मुमुक्षु सुरेश बकील की ओर इशारा करते हुये कहा कि जबलपुर से हमारे पीछे पड़े हुये थे,उन्होंने कहा कि जैसे गाय को तो लाना है,और उसकी बछिया को पकड़ लो उसकी मां अपने आप चली आयेगी उसी प्रकार किसी साधू को बुलाना हो तो सिद्धों की आराधना कर लो गुरु जी आ ही जाऐंगे आचार्य श्री ने कहा कि जैसे फसल के आने से किसान मुस्कुराते है,उसी प्रकार "साधुओं के आने से सकल संस्कृति मुस्कराती है" अपनी बाणी को बीणा बना लो और देखो कैसे लोग खिंचे खिंचे चले आते है? देख रहे हो ज्ञानिओ यह भेलसा की तोप है यह भगवान शीतलनाथ की पवित्र भूमी है में भी वही बात कह रहा हुं जो आचार्य समन्तभद्र या आचार्य कुंदकुंद ने कही है उन्होंने कहा कि बक्ता को कभी ऐसी बात नहीं करना चाहिये जिससे समाज में भेद उत्पन्न हो जाये, उन्होंने कहा कि एक जीव की बाणी बीणा बन जाती है,तो एक जीव की बाणी बांण बन कर समाज को खंड खंड कर देती है। उन्होंने कहा कि आचार्य विनोबा भावे ने सर्वोदय विद्यालय खोले वह सर्वोदय शव्द किसकी दैन है?उन्होंने सूत्र सुनाते हुये कि यह जैनाचार्य समन्तभद्र स्वामी हजारों वर्ष पूर्व लिखकर गये है जिसमें संपूर्ण जीव के कल्याण की बात कही गयी है आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज ने "श्रमण सुत्तं" ग्रंथ का प्रकाशन किया जिसमें दिगंम्वर स्वेताम्बर स्थानक तारण पंथी चारों संप्रदाय का उल्लेख है उन्होंने कहा कि जैसे बच्चा मां की गोद में आनंद महसूस करता है,उसी प्रकार जिनवाणी मां को सुनने बाला कभी थकान महसूस नहीं करता उन्होंने कहा अपने ज्ञान का कभी अहंकार और राग मत करना उन्होंने कहा कि आपके व्याख्यान में विषय होंना चाहिये विष नहीं बक्ता के व्यख्यान में वासना का नहीं साधना का व्याख्यान होंना चाहिये जैसे एक मां दूर से आये अपने लाड़ले को खीर खिलाती है बेटा प्रसन्न हो जाता है उसी प्रकार 'हे साधू यह दूर दूर से आऐ श्रावकों को विषय मिलना चाहिये वासना नहीं"उन्होंने कहा कि इस देश में प्रकांड विद्वान अष्टसहस्त्री भाषाओं के ज्ञाता साधू हुये है,उन योगी के चरणों में देव लोटते थे आचार्य श्री ने कहा कि मित्र साधना की ओर चलोगे तो सिद्धी अपने आप आपके पीछे पीछे चली आऐगी
उपरोक्त जानकारी देते हुये श्री सकल दि. जैन समाज के प्रवक्ता अविनाश जैन ने बताया आज की धर्म देशना में राघव जी पूर्व सांसद एवं पूर्व वित्तमंत्री मध्यप्रदेश शासन तथा नगरपालिका की अध्यक्षा श्रीमति प्रीती राकेश शर्मा उपस्थित हुये सकल दि. जैन समाज की ओर से सभी पदाधिकारियों ने तथा नगरपालिका के उपाध्यक्ष संजय दिवाकीर्ती, कोषाध्यक्ष पवन जैन रायल सिटी ने उनका स्वागत किया।