रायबरेली की डीएम ने पाया भ्रष्टाचार का दोषी, शासन ने बना दिया कन्नौज का सीवीओ

यूपी के पशुपालन विभाग में सीएम योगी आदित्यनाथ की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पूरी तरह बेअसर है। तभी यहां उन अफसरों को भी मलाईदार तैनातियां देकर महिमामंडित किया जाता है जिनके घोटाले जांच में प्रमाणित हो चुके हैं। पूर्व प्रमुख सचिव के. रविंद्र नायक ने जाते जाते तबादला घोटाला के जरिये ऐसा ही कारनामा इस विभाग में अंजाम दिया है। सीएम योगी से तमाम शिकायतों के बावजूद कोई भी जांच कराने को कतई तैयार नहीं है। जिस अफसर को भ्रष्टाचार के चलते निलंबित किया जाना चाहिए था। उसको नायक ने रिटायरमेंट के एक दिन पहले पुनः लूट का लाइसेंस देते हुए कन्नौज जिले में मुख्य पशु चिकित्साधिकारी बनाकर उपकृत कर डाला। रायबरेली के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी (सीवीओ) रहे डॉ. अनिल कुमार को नायक ने कन्नौज के सीवीओ पद पर नई तैनाती से नवाजा है जबकि शासन के अफसरों ने डीएम रायबरेली की उस जांच रिपोर्ट को मानो कूड़े के ढेर में फेंक दिया, जिसमें इस अफसर को कई वित्तीय गड़बड़ियों का दोषी करार देकर कठोर कार्रवाई की अनुशंसा की गयी थी। वहीं लोकायुक्त और विजिलेंस की गोपनीय जांच भी जारी है। शासन ने सिर्फ तबादला करके अपनी जिम्मेदारी से मानो पल्ला झाड़ लिया। रायबरेली की डीएम हर्षिता माथुर के आदेश पर जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी मोहन त्रिपाठी, वरिष्ठ कोषाधिकारी डॉ. भावना श्रीवास्तव और उप कृषि निदेशक विनोद कुमार की तीन सदस्यीय समिति ने जांच में कई आरोपों की पुष्टि की है।

सीएम दफ्तर भेजी थी जांच रिपोर्ट: हर्षिता

रायबरेली की डीएम हर्षिता माथुर ने दो जांच सीवीओ अनिल कुमार के खिलाफ कराई हैं। दोनों में गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध हुए। एक रिपोर्ट लोकायुक्त और दूसरी 64 पेज की जांच रिपोर्ट मार्च में मुख्यमंत्री सचिवालय, प्रमुख सचिव पशुपालन और लखनऊ कमिश्नर को भेजी गयी थी। डीएम ने रिपोर्ट में कठोर विभागीय कार्यवाही की सिफारिश करते हुए इस अफसर का पूरा कच्चा चिट्ठा खोला है। गौशालाओं में उदासीनता बरतने और आदेशों की अवहेलना, गंभीर वित्तीय अनियमितताओं का जिक्र इसमें विस्तार से किया है। फिर भी कोई कार्रवाई इस भ्रष्ट अफसर के खिलाफ आज तक नहीं की गयी। अलबत्ता शासन के मुखिया रहे रविंद्र नायक ने मेहरबानी दिखाते हुए उसके गृह मंडल कानपुर में ही कन्नौज का सीवीओ बनाकर पुरस्कृत जरूर कर दिया।डीएम द्वारा कराई जांच में सामान, दवाओं और सामग्री की खरीद में क्रय समिति से कोई अनुमोदन नहीं लिया जाना पाया गया है। जो बड़े पैमाने पर वित्तीय भ्रष्टाचार की ओर इशारा कर रहा है। वहीं फर्म से साठगांठ करके बिना क्रय समिति गठित किये बजट को टुकड़ों में बांटकर मनमाने तरीके से खर्च किया गया। जांच रिपोर्ट के मुताबिक पशु आरोग्य शिविर/मेला में बीस हजार से कम के नौ क्रयादेश प्रयागराज की एक ही फर्म कॉम्पैक्ट कमर्शियल सर्विसेज को, चार क्रयादेश एसएस फार्मा लखनऊ को दिए गए। यही नहीं खरीद के लिए एक दिन में एक ही पत्रांक के दो-दो क्रयादेश जारी करके फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया। जांच रिपोर्ट के मुताबिक प्रथम पत्र के संशोधित आदेश का विवरण टीम को नहीं मिला। आरोपों के मुताबिक दवाओं, सामान और भूसे की खरीद प्रतिदिन टुकड़ों में बाजार मूल्य से अधिक कीमत पर करके विभाग को बड़ी आर्थिक चपत लगाई गयी। एक ही पत्रांक से दो क्रयादेश जारी किये गए। रायबरेली में भूसा टेंडर में जमानत धनराशि सीवीओ रायबरेली के स्थान पर प्रतापगढ़ के नाम बंधक रखी गयी। अपर निदेशक पशुपालन की जांच में भ्रष्टाचार के इस संगीन मामले की जानकारी देना मुनासिब नहीं समझा गया।

तबादला घोटाला के असली नायक थे "नायक"

पशुपालन विभाग में तत्कालीन प्रमुख सचिव के. रविंद्र नायक और निदेशक रहे डॉ. जयकेश पांडेय पर तबादला घोटाले के संगीन आरोप हैं। सीएम को भेजी गंभीर शिकायत में कहा गया कि क्लास वन के अफसर डॉ. राकेश कुमार को गृह जनपद बाराबंकी में तैनाती दी गयी। वहीं डॉ. अनिल कुमार कानपुर देहात में बतौर पशु चिकित्साधिकारी सात वर्ष आठ माह तैनात रह चुके हैंफिर भी कन्नौज में सीवीओ बनाया गया। डॉ. मदनपाल सिंह, डॉ. सुनील दत्त और डॉ. सुनील राठौर का तबादला बिना शिकायत के तीन वर्ष से पहले किया गया। शासन से लेकर सीएम दफ्तर तक किसी ने संज्ञान नहीं लिया। तबादला घोटाले की कलंक कथा निदेशालय में भी लिखी गयी। जांच के डर से तबादले रुकवा दिए गए। प्रमुख सचिव बनने के बाद नायक ने खूब अंधेरनगरी मचाई थी।अमित घोष बोले, जांच रिपोर्ट की जानकारी नहीं

हाल ही में प्रमुख सचिव पशुपालन बने अमित घोष ने बताया कि सीवीओ अनिल कुमार के संबंध में रायबरेली डीएम की जांच रिपोर्ट के विषय में मुझे जानकारी नहीं है। अभी मीटिंग में हूं। पता चला है तो अब मैं इस रिपोर्ट को दिखवाता हूं। वहीं पशुपालन विभाग के विशेष सचिव देवेंद्र पांडेय ने कहा कि जब ट्रांसफर हुएतब मैं नोडल की जिम्मेदारी पर चार दिन बाहर था। मुझे जानकारी नहीं है आप प्रमुख सचिव से पूछिए। बड़े आश्चर्य की बात है कि पांडेय पशुपालन विभाग में वर्षों से विशेष सचिव के तौर पर तैनात है लेकिन उन्हें रायबरेली डीएम की जांच रिपोर्ट के बारे में कुछ भी नहीं पता है।