शिक्षा विभाग के अफसर बेपरवाह, प्राइवेट स्कूलों की मनमानी चरम पर

शिक्षा विभाग के अफसर बेपरवाह, प्राइवेट स्कूलों की मनमानी चरम पर

*किताबें, यूनिफॉर्म, फीस और ट्रांसपोर्ट के नाम पर अभिभावकों से की जा रही अवैध वसूली*

अम्बेडकर नगर। जिले में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह पटरी से उतर चुकी है। प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के बजाय शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं। स्कूल प्रबंधकों द्वारा किताबें, यूनिफॉर्म और अन्य सामग्री के लिए अभिभावकों पर विशेष दुकानों से खरीदारी का दबाव बनाया जा रहा है। वहीं शासन के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद अभी तक संबंधित स्कूलों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि कोई भी स्कूल अभिभावकों को किताबें या यूनिफॉर्म किसी विशेष वेंडर से लेने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। ऐसा करने पर स्कूल की मान्यता रद्द की जा सकती है। इसके बावजूद प्राइवेट स्कूल लगातार इन नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं और शिक्षा विभाग के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।

*शिकायतों के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं*

शहर के विभिन्न इलाकों से अभिभावकों की लगातार शिकायतें मिल रही हैं कि स्कूल किताबें और यूनिफॉर्म के नाम पर मनमानी रकम वसूल रहे हैं, लेकिन न तो शिक्षा विभाग ने कोई जांच की और न ही किसी स्कूल प्रबंधक को नोटिस जारी किया गया है।

*ओवरलोड स्कूल वैन बन रही जान का खतरा*

इसके अलावा स्कूलों द्वारा संचालित वाहन भी गंभीर खतरा बनते जा रहे हैं। विद्यार्थियों को भूसे की तरह ठूंस-ठूंस कर स्कूल वैनों में भरा जा रहा है। ये वाहन ओवरलोड और ओवरस्पीड के साथ सड़कों पर दौड़ते हैं। आरटीओ विभाग के अधिकारी भी इस मामले में लापरवाह बने हुए हैं। सवाल उठता है कि क्या इन स्कूल प्रबंधकों की प्रशासन में ऊंची पहुंच है, या कहीं से उन्हें संरक्षण मिल रहा है?

*शिक्षा को बना दिया व्यवसाय*

विद्यालयों के प्रधानाचार्य और प्रबंधकों ने शिक्षा को पूरी तरह व्यवसाय बना दिया है। छात्रों के भविष्य की कीमत पर अभिभावकों से लाखों की वसूली की जा रही है, जो कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम का स्पष्ट उल्लंघन है।

*मांग उठी सख्त कार्रवाई की*

स्थानीय अभिभावकों और सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि शासन इस मामले में संज्ञान ले और ऐसे स्कूलों की मान्यता रद्द कर सख्त कार्रवाई करे, ताकि शिक्षा को व्यवसाय बनाने वालों पर लगाम लगाई जा सके।