शाहलीपुर गुदड़ में अवैध खनन पर लटकी कार्रवाई की तलवार

अब्दुलफजलपुर पहाड़ा में कार्रवाई के बाद प्रशासन की अगली नजर किस पर?

अब्दुलफजलपुर पहाड़ा में बड़ी कार्रवाई से हड़कंप

बिजनौर के नगीना क्षेत्र स्थित ग्राम अब्दुलफजलपुर पहाड़ा में संचालित आरबीएम पट्टे को हाल ही में प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया। मैसर्स एपीएस एंटरप्राइजेज के प्रोपराइटर सतीश सैनी को दो वर्षों के लिए काली सूची में डालते हुए खनन विभाग ने कठोर संदेश दिया कि अवैध खनन अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जांच में सीमांकित क्षेत्र से बाहर 1,355 घनमीटर उपखनिज का अवैध दोहन सामने आया था, जिसके बाद ₹2,83,340 की वसूली का नोटिस भी जारी किया गया।

शाहलीपुर गुदड़: अगला निशाना?

प्रशासन की सख्ती के बाद अब निगाहें शाहलीपुर गुदड़ पर टिक गई हैं, जहां इसी तरह के आरबीएम पट्टे की आड़ में जलधारा में घुसकर पोकलेन मशीनों से भारी पैमाने पर अवैध खनन किया जा रहा है। यह क्षेत्र नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के दिशानिर्देशों का खुलेआम उल्लंघन करते हुए पर्यावरण को गहरे घाव दे रहा है।

एनजीटी नियमों की उड़ रही धज्जियां

शाहलीपुर गुदड़ में न सिर्फ खनन क्षेत्र की सीमाओं को लांघा जा रहा है, बल्कि जलधारा में खनन करके पर्यावरणीय असंतुलन पैदा किया जा रहा है। पोकलेन मशीनों द्वारा नदी में गहरे गड्ढे खोदकर जलधारा की दिशा तक बदलने की आशंका जताई जा रही है, जो सीधे तौर पर NGT के आदेशों का उल्लंघन है।

प्रशासन की चुप्पी पर उठ रहे सवाल

स्थानीय ग्रामीणों और जागरूक नागरिकों का आरोप है कि शाहलीपुर गुदड़ में हो रहे इस अवैध खनन की जानकारी अधिकारियों को है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। अब्दुलफजलपुर पहाड़ा में मिली सफलता के बाद लोगों को उम्मीद थी कि प्रशासन शाहलीपुर में भी तत्काल कदम उठाएगा, लेकिन अब तक की चुप्पी प्रशासन की मंशा पर सवाल खड़े कर रही है।

जिलाधिकारी ने दिए संकेत, कार्रवाई जल्द?

हाल ही में अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) अरविंद कुमार ने बयान दिया था कि अवैध खनन के खिलाफ आगे भी कठोर कदम उठाए जाएंगे। इस संकेत के बाद अब शाहलीपुर गुदड़ जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में कार्रवाई की आस बंधी है। ग्रामीणों की मांग है कि आरबीएम पट्टों की आड़ में हो रहे खनन का भौतिक सत्यापन कर तत्काल प्रभाव से बंद कराया जाए।

क्या अब प्रशासन शाहलीपुर में भी दिखाएगा सख्ती?

जिले में खनन माफियाओं के हौसले अब्दुलफजलपुर पहाड़ा की कार्रवाई के बाद भले ही पस्त हों, लेकिन शाहलीपुर गुदड़ में अवैध गतिविधियों की निरंतरता से यह स्पष्ट है कि सख्ती अभी अधूरी है। यदि जल्द कदम नहीं उठाए गए तो यह मामला भी बड़े पर्यावरणीय संकट में तब्दील हो सकता है।

शाहलीपुर गुदड़ अब प्रशासन की कार्रवाई की अगली कसौटी बन चुका है। यदि अधिकारियों ने त्वरित और कठोर कार्रवाई नहीं की, तो यह खनन माफियाओं के लिए एक नया संरक्षण संदेश बन सकता है। सवाल यही है?क्या अब प्रशासन वाकई अवैध खनन को जड़ से खत्म करने को तैयार है?<!--/data/user/0/com.samsung.android.app.notes/files/clipdata/clipdata_bodytext_250503_182606_581.sdocx-->