गौ आधारित उत्पादों का ग्रामीण अर्थव्यवस्था में योगदान बढ़ने एवं गौशालाओ को स्वाबलंबी बनाने हेतु अध्यक्ष गौ सेवा आयोग ने विशेषज्ञो के साथ बुलाई बैठक गौ सेवा आयोग के तत्वाधान में आज गौ सेवा आय

प्रेस नोट

दिनांक: 16, दिसंबर 2024

स्थान : गौ सेवा आयोग सभागार , आठवां तल इंदिरा भवन ,हजरतगंज ,लखनऊ

गौ आधारित उत्पादों का ग्रामीण अर्थव्यवस्था में योगदान बढ़ने एवं गौशालाओ को स्वाबलंबी बनाने हेतु अध्यक्ष गौ सेवा आयोग ने विशेषज्ञो के साथ बुलाई बैठक

गौ सेवा आयोग के तत्वाधान में आज गौ सेवा आयोग सभागार में एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया ! इस संगोष्ठी की अध्यक्षता में सेवा आयोग के माननीय अध्यक्ष श्री श्याम बिहारी गुप्त जी ने की ,जिसमे माननीय श्री महेश शुक्ल एवं माननीय सदस्यों श्री राजेश सिंह सेंगर एवं श्री रमाकांत उपाध्याय जी भी उपस्थित रहे ! संगोष्ठी का विषय ?? गौ आधरित उत्पादों का ग्रामीण अर्थव्यवस्था में योगदान: अवसर एवं चुनोतियां?? था

कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य गौवंश आधारित उत्पादों एवं पंचगव्य के महत्व को समझाना तथा इन उत्पादों की उपयोगिता को जनसाधरण तक पहुँचाना और ग्रामीण अर्थव्यवस्स्था में इनकी भूमिका को मजबूत करना था

कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए माननीय अध्यक्ष गौ सेवा आयोग श्री श्याम बिहारी गुप्त जी ने अपने उदबोधन में कहा की गौवंश हमारी संस्कृति और अर्थव्ययवसा का अभिन्न अंग है गौ उत्पाद जैसे पंचगव्य ,जैविक खाद ,औषधीय और स्वदेशी उत्पाद ना केवल ग्रामीण क्षेत्र के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित कर सकते है बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाने में भी सहायक हो सकते है यह संगोष्ठी इस दिशा में सार्थक कदम सावित होगी !

कार्यक्रम में अनेक विशेषज्ञों और विद्वानों ने अपने विचार रखे |

1 . डॉ कमल टावरी (पूर्व आईएएस अधिकारी ) ने कहा की गौ आधारित उत्पादों का सही तरीके से प्रचार और प्रसार होने से ग्रामीण विकास के साथ साथ पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा। यह समय की मांग है की हम गौ आधारित उत्पादों से व्यापक उत्पादन और उपभोग को प्रोत्साहित करें ! जिसमे गौशालायें स्वाबलंबी हो सकेंगी एवं अनुदान पर आश्रित नहीं रहेंगी!

2 .श्री निरंजन गुरु जी (कुलपति ,पंचगव्य विद्यापीठम विश्वविद्यालय,चेन्नई) ने पंचगव्य के औषधीय गुणों और इनके आर्थिक महत्व पर प्रकाश डाला ! और उन्होंने कहा की गौ आधरित उत्पाद केवल धार्मिक या सांस्कृतिक दृष्टिकोण तक सीमित नहीं है अपितु यह हमारे स्वस्थ्य और कृषि क्षेत्र में क्रन्तिकारी परिवर्तन ला सकते है। पंचगव्य चिकित्सा पद्धति आने वाले समय में प्रदेश के स्वास्थय सेक्टर के बजट को कम करने में महत्वूर्ण भूमिका निभा सकती है उन्होंने पंचगव्य चिकित्सा के माध्यम से अत्यंत जटिल बीमारियों के इलाज पर भी प्रकाश डाला। पंचगव्य चिकित्सा, जो गाय के पांच उतपादो - दूध ,दही ,घी ,गौमूत्र ,और गोवर से तैयार औषधियों पर आधारित है आयुर्वेद का एक महत्वपूर्ण भाग है , इस पद्दति का उपयोग प्राचीन काल से विभिन्न शारीरिक और मानसिक रोगो के उपचार में किया जा रहा हैआज के दौर में यह चिकित्सा प्रणाली जटिल बीमारियों जैसे -कैंसर ,थेलेसेमिया और सिकल सेल एनीमिया जैसे असाध्य माने जाने वाले रोगो के इलाज में सम्भावनाये दिखा रही है

�कैंसर जैसी घातक बीमारी में पंचगव्य आधारित ओषधियाँ शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होती है। गोमूत्र में एंटीऑक्सीडेंट और इम्यूनोमोडुलेटरी गुड पाए जाते है जो कोशिकाओं को स्वस्थ रखने और कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में सहायक हो सकते है इसके अतरिक्त, पंचगव्य उत्पाद शरीर के विषाक्त तत्वों को बाहर निकालने और स्वस्थ कोशिकाओं की मरम्मत में मदद करते है

� थेलेसिमिया और सिकल सेल एनीमिया जैसे रक्त विकारो में पंचगव्य चिकित्सा रक्त में ऑक्सीजन की आपूर्ति को सुधारने ,हीमोग्लोविन स्तर को संतुलित करने और नई रक्त कोशिकाओं के निर्माण में सहायता करती है। पंचगव्य में मौजूद पोषक तत्व और जैव सक्रिय यौगिक( Bioactive Compounds )

शरीर के विभिन्न अंगो के बेहतर कार्य में योगदान करते है। पंचगव्य चिकित्सा जटिल बीमारियों के उपचार में एक वैकल्पिक और प्राकृतिक उपाय के रूप में उभर रही है। यह शरीर के समग्र स्वास्थ्य को सुधारने ,रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और गंभीर बीमारियों के प्रभाव को काम करने में सहायक हो रही है। पंचगव्य में मौजूद पोषक तत्व और जैव सक्रिय यौगिक ( Bioactiv Compounds )शरीर के विभिन्न अंगो के बेहतर कार्य में योगदान करते है।

3 .श्री .पी .एस ओझा .(पूर्व सलाहकार ,कृषि विभाग ,उत्तेर प्रदेश एवं पूर्व मेम्बर, उत्तर प्रदेश जैव ऊर्जा विकास बोर्ड ) ने किसानो के लिए जैविक खेती में गो आधारित खादऔर कीटनाशकों की भूमिका पर जोर दिया तथा अध्यक्ष ,गो सेवा आयोग से मनरेगा वित्त सहायित बायोगैस गोशाला परियोजना का प्रस्ताव बनाकर उनसे जल्द से जल्द पुरे प्रदेश में क्रियाविन्त किये जाने की अपेक्षा की।

4 .डॉ .एस.के . सिंह (पूर्व निदेशक ,फिशरीज विभाग ) ने कृषि पशुपालन एवं मत्स्य आधारित योजनाओ में गो आधारित पंचगव्य उत्पादों के उपयोग की अपार संभावनाओं को रेखांकित किया।

5 . श्री राधेकांत चतुर्वेदी (निदेशक ,आयुर्वेद निदेशालय) ने गो उत्पादों के आयुर्वेद में उपयोग और उनकी वैज्ञानिक महत्व पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि गोमूत्र और गोबर से प्राप्त पंचगव्य उत्पाद, जो आयुर्वेद में प्राचीन काल से प्रयोग में है, आधुनिक चिकित्सा में भी कारगर साबित हो सकते हैं।

6 .श्री ब्रज बिहारी शुक्ल (लखनऊ फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज ) ने भी गो उत्पाद आधारित उधमिता के व्यावसायिक पहलुओं पर चर्चा की।

7 . श्री मुकेश पांडे (डाइरेक्टर ,एफ.पी.ओ.) ने गो उत्पादों के व्यापर और उनके मार्केटिंग के संभावित मोडल पर अपना विचार साझा किया एवं बताया की उनके यहाँ गोवंश के गोबर से बनाये हुए वर्मी -कम्पोस्ट का विदेशो में एक्सपर्ट होता हैं एवं उनकी संस्था नवचेतना द्वारा 35 बायोगैस सयंत्र लगाए गए हैं जो अभी भी बायोगैस बना रहे हैं।

माननीय रमाकांत उपाध्याय गौ सेवा आयोग सदस्य

गव्यसिद्ध डॉ डी एल कुशवाहा अध्यक्ष पंचगव्य डॉक्टर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश

गव्यसिद्ध डॉ अरिहंत जैन सचिव पंचगव्य डॉक्टर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश

मास्टर कमल सिंह

नवीन कुमार कुशवाहा ग्राम प्रधान

गव्यसिद्ध डॉ वरुण केजरीवाल

श्री रमाकांत मिश्र ,भांति गौशाला ,कानपुर उत्तर प्रदेश

मुख्य बिंदु :-

संगोष्ठी में निम्नलिखित विषयों पर विस्तार से चर्चा की गयी :-

1 . गोवंश संरक्षण का आर्थिक और पर्यावरणीय महत्व।

2. गो उत्पाद आधरित व्यवसाओं में रोजगार की संभावनाएं।

3. ग्रामीण क्षेत्रों में गो आधारित कुटीर उद्योगों को स्थापित करने में आने वाली चुनौतियां।

4. पंचगव्य /गो उत्पादों के वैश्विक स्तर पर प्रचार -प्रसार के लिए रणनीतियां।

5. प्राकृतिक खेती में गो आधारित जैविक खाद और कीटनाशकों की भूमिका।

सिफारिशें और निर्णय :-

1. जागरूकता अभियान : पंचगव्य /गो उत्पादों के महत्व पर जागरूकता बढ़ाने के लिए नियमित प्रशिक्षण और कार्यशालाओं का आयोजन किया जायेगा।

2. संस्थागत समर्थन : ग्रामीण स्तर पर गो उत्पाद आधारित उधोगों के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करने हेतु राज्य सरकार के सहयोग से योजनायें शुरू की जाएँगी।

3. शोध और विकास : गो उत्पाद के वैज्ञानिक और व्यवसायिक अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए शोध संस्थानों के साथ भागीदारी की जाएगी।

4. बाजार उपलब्धता :स्थानीय और वैश्रिक बाजारों में गो आधारित उत्पादों को पहुंचने के लिए मजबूत वितरण नेटवर्क विकसित किया जायेगा।

निष्कर्ष और आह्वान :

माननीय अध्यक्ष श्री श्याम बिहारी गुप्त जी ने कार्यक्रम के अंत में सभी अतिथियों और प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया और कहा कि पंचगव्य आधारित उत्पाद गो आधारित प्रकृति कृषि के प्रशिक्षण केंद्र समस्त गोशालाओ को बनाया जायेगा और उनको किसानो से जोड़ा जायेगा और युवाओं एवं NRLM की महिलाओं को स्किल डेवलपमेंट और स्टार्ट - अप से जोड़ा जायेगा प्रदेश के 75 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के अंतर्गत गोशालाओं को आयोग द्वारा चिन्हित कर लिया गया है जहाँ पर प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया जायेगा प्रशिक्षण के पश्चात उन व्यक्तियों द्वारा गो आधारित उत्पादों एवं पंचगव्य ओषधियों के उत्पाद हेतु जगह जगह जाकर प्रशिक्षण दिया जायेगा। श्याम बिहारी जी ने बताया कि जल्द ही प्रति 100 गोवंशों पर 15 एकड़ गोचर भूमि उपलब्ध कराकर उस पर एक दलीय एवं दो दलीय हरा चारा पैदा किया जायेगा। गोवंश गोद लेने के पश्चात उन युवाओं ,किसानों एवं महिलाओं को कैसे गो पालन के स्टार्ट अप से जोड़ा जा सकता है इस पर भी चर्चा हुई ! गो आधारित उत्पाद न केवल हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं बल्कि यह ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने का माध्यम भी हैं। हमें मिलकर इस दिशा में ठोस प्रयास करने होंगे।

सम्पर्क विवरण

(डॉ.अनुराग श्रीवास्तव)

ओषध/मीडिया प्रभारी

उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग

फोन :9415002180