चकिया। तहसील क्षेत्र में 102 साल के किसान पर दर्ज हुआ पराली जलाने का मुकदमा, किसान नेता ने जताया विरोध

संवाददाता शीतांजलि शर्मा�

�चकिया। तहसील के इलाके में पराली जलाने पर किसान 102 वर्ष के खखड़ा के अध्यापक किसान पर लादे गए मुकदमे पर किसान नेता राम अवध सिंह ने निंदा किया है। और मुकदमा वापस लेने की मांग की है। किसान नेता ने कहा कि प्रशासन की ऐसी कार्यवाही निंदनीय है। और किसानों के पराली निस्तारण की पहल में की मदद करने के लिए कोशिश करनी चाहिए।

किसान नेता राम अवध सिंह ने कहा कि सरकार किसानों को बदनाम कर उनका उत्पीड़न करने में लगी है। महज पराली जलाने से ही प्रदूषण नही फैल रहा है। औद्योगिक ईकाइयों द्वारा भी बड़े पैमाने पर प्रदूषण फैलाया जा रहा है, लेकिन सरकार का साहस नहीं है कि वह उनके विरूद्ध कार्यवाही करें। किसान तो मजबूरी में पराली जलाता है क्योंकि उसे अगली फसल के लिए खेत को साफ करना पड़ता है। यदि सरकार खेत की सफाई के लिए किसानों को अनुदान दे तो किसान को पराली जलाने की आवश्यकता ही नहीं रहेगी। उन्होंने सरकार व प्रशासन से किसानों पर �मुकदमें लादने की धमकी देने की कार्यवाही वापस ले, क्योंकि किसानों के बीच दहशत व्यापत है और खेत सफाई के लिए किसानों को अनुदान देने की मांग की है। कहा कि जानकारी मिली हैं कि करइल में पराली जलाने पर खखड़ा बलवंत सिंह पूर्व अध्यापक जिनकी उम्र 102 वर्ष हैं उन पर खतौनी में नाम पर मुकदमा किया गया है।

उन्होंने कहा कि किसान संघ जिलाधिकारी से मुकदमा वापस लेने की मांग करेगा। वहीं पूरे जनपद में कई किसानों के उपर पराली जलाने पर मुकदमा किया जा रहा हैं। सरकार का यह काम किसान विरोधी है। � किसानों से मिलने के बाद कहा कि मोदी सरकार किसानों के संकट को हल करने की जगह जुंबा खर्च केवल कर रही है।हर जगह के किसान खाद संकट से जूझ रहे हैं। और खाद की वजन हटाने में लगी हैं पहले पचास किलो से पैंतालीस किलो किया अब चर्चा हैं कि चालीस किलो कर रही है। वही सरकार किसानों से वादे के अनुसार एमएससी भी नहीं दे रही है।